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President Draupadi Murmu presented National Panchayat Awards
भारत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली में सतत और समावेशी विकास के विषयों में अनुकरणीय योगदान को मान्यता देते हुए, विभिन्न श्रेणियों में चुने गए 45 विजेताओं को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश की लगभग 64 प्रतिशत जनसंख्‍या गांवों में रहती है। इसलिए, भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए गांवों और ग्रामीणों का विकास और सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है। उन्हें यह जानकर प्रसन्‍नता हुई कि पिछले एक दशक में सरकार ने पंचायतों के सशक्तिकरण के लिए गंभीर प्रयास किए हैं, जिनका उद्देश्य ठोस परिणाम प्राप्त करना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आत्मनिर्भर और सक्षम स्थानीय निकायों के आधार पर ही विकसित भारत की नींव रखी जा सकती है। पंचायतों को अपने राजस्व के स्रोत विकसित कर आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करना चाहिए। यह आत्मनिर्भरता ग्राम सभाओं को आत्मविश्वास और देश को मजबूती प्रदान करेगी।

राष्ट्रपति ने ‘राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार’ के सभी विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार उनके समर्पण और प्रयासों का प्रमाण है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मान उन्हें और भी बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करेगा तथा अन्य ग्राम पंचायतों को भी ग्राम विकास की दिशा में सार्थक प्रयास करने के लिए प्रेरित करेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि पंचायती राज संस्थाएं महिलाओं को राजनीतिक रूप से सशक्त बना रही हैं। यह प्रसन्‍न्‍ता की बात है कि महिला प्रतिनिधि जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। राष्ट्रपति ने उनसे पंचायतों में निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में निडरतापूर्वक और पूरी दक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि महिला पंचायत प्रतिनिधियों के परिवार के सदस्यों द्वारा अपने कर्तव्यों का पालन करने की प्रवृत्ति अब भी कुछ स्थानों पर मौजूद है। उन्होंने महिला प्रतिनिधियों से कहा कि वे ऐसी प्रथाओं को खत्म करें और खुद को स्वतंत्र नेता के रूप में स्थापित करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि चुनाव जन प्रतिनिधियों को जनता के प्रति जिम्मेदार बनाता है। इसलिए यह बहुत महत्‍वपूर्ण है कि पंचायत चुनाव समय पर और निष्पक्ष रूप से हों। उन्होंने चुनावों के दौरान और उसके बाद भी चुनावी हिंसा की घटनाओं की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया सदैव सौहार्दपूर्ण वातावरण में संचालित होनी चाहिए। यह याद रखना चाहिए कि ग्रामीण अपनी भलाई के लिए अपने बीच से ही अपना प्रतिनिधि चुन रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था का उद्देश्य जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों को जवाबदेह बनाना और प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि मतदाता बड़े विश्वास के साथ अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं। अत: निर्वाचित प्रतिनिधियों का यह कर्तव्य है कि वे अपने आचरण एवं कार्यों से इस विश्वास को बनाये रखें।

राष्ट्रपति ने कहा कि देशभर में गांवों के ज्यादातर विवाद ऐसे होते हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जा सकता है। अदालत जाने से न सिर्फ उनका पैसा और समय बर्बाद होता है बल्कि अदालत और प्रशासन पर अनावश्यक दबाव भी बढ़ता है। उन्होंने सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे ग्रामीणों के बीच विवादों को पंचायत स्तर पर ही सुलझाने का प्रयास करें। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें ऐसा करने का अधिकार है और यह उनका कर्तव्य भी है।

राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2024 में दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सतत विकास पुरस्कार, नानाजी देशमुख सर्वोत्तम पंचायत सतत विकास पुरस्कार, ग्राम ऊर्जा स्वराज विशेष पंचायत पुरस्कार, कार्बन न्यूट्रल विशेष पंचायत पुरस्कार और पंचायत क्षमाता निर्माण सर्वोत्तम संस्थान पुरस्कार जैसी श्रेणियां शामिल हैं। इन पुरस्कारों का उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य, बाल कल्याण, जल संरक्षण, स्वच्छता, बुनियादी ढांचे, सामाजिक न्याय, शासन और महिला सशक्तिकरण में प्रयासों के लिए पंचायतों को पहचानना और प्रोत्साहित करना है।

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