भारतीय सेना ने सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज़ (सीएलएडब्ल्यूएस) के सहयोग से आज नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में चाणक्य रक्षा संवाद 2025 (सीडीडी-2025) का पूर्वावलोकन आयोजित किया। 27-28 नवंबर 2025 को होने वाला यह संवाद “सुधार से रूपांतरण : सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत” विषय-वस्तु पर आधारित होगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ स्वागत भाषण के साथ हुआ, जिसके बाद सीडीडी-2025 का टीज़र जारी किया गया। थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल उपेंद्र द्विवेदी के साथ एक फायरसाइड चैट, कार्यक्रम के प्रमुख आकर्षणों में से एक था। परस्पर बातचीत के दौरान, सीओएएस ने राष्ट्रीय विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संबंध को रेखांकित किया और कहा कि विकसित भारत @2047 की आकांक्षाओं के लिए निरंतर स्थिरता और सुरक्षित वातावरण की आवश्यकता है। उन्होंने रक्षा मंत्रालय द्वारा 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित करने का स्मरण किया और इस बात को रेखांकित किया कि सुरक्षा और विकास को साथ-साथ आगे बढ़ना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए उन्होंने आतंकवाद के विरुद्ध राष्ट्रीय संकल्प दोहराया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि “खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते” और आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने वालों के लिए जवाबदेही आवश्यक है। सीओएएस ने कहा कि इस ऑपरेशन ने राष्ट्रीय हितों की रक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करने के प्रति भारत के दृढ़ दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया।
पूर्व इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एक विशेष संबोधन दिया। उन्होंने प्रौद्योगिकीय क्षमता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच कार्यनीतिक संबंध पर बल दिया और भारत की दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करने में विश्वसनीय, स्वदेशी डिजिटल और उभरती-प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम प्रणालियों के महत्व को रेखांकित किया।
पैनल चर्चा : रक्षा में आत्मनिर्भरता-सशक्त भारत की कुंजी
उप-सेना प्रमुख (क्षमता विकास एवं संपोषण) लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह की अध्यक्षता में आयोजित पैनल चर्चा में डीआरडीओ, रक्षा उद्योग और शिक्षा जगत के विशेषज्ञों ने भाग लिया। विचार-विमर्श में रणनीतिक स्वायत्तता के मार्ग के रूप में आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें स्वदेशी डिज़ाइन, विकास और नवोन्मेषण; दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों को सुदृढ़ करना; डीआरडीओ, निजी क्षेत्र और शिक्षा जगत के बीच इकोसिस्टम का एकीकरण; खरीद प्रक्रियाओं में सुधार; और प्रतिस्पर्धी एवं निर्यात-सक्षम क्लस्टरों के निर्माण में एमएसएमई और रक्षा औद्योगिक गलियारों की भूमिका पर बल दिया गया। चर्चाओं में भविष्य की प्रचालनगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं, निम्न बाहरी निर्भरताओं और भारत के गहन-तकनीकी इकोसिस्टम के त्वरित विकास की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया।
सीडीडी-2025, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को रक्षा सुधारों, प्रौद्योगिकीय रूपांतरण, नागरिक-सैन्य एकीकरण और विकसित भारत @2047 की तैयारी में भारत की उभरती सुरक्षा प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श के लिए एक मंच पर लाएगा। सीडीडी-2025 के तहत व्यापक कार्यक्रमों की श्रृंखला के एक हिस्से के रूप में, भारतीय सेना ने 31 अक्टूबर 2025 को यंग लीडर्स फोरम का भी आयोजन किया था, जो युवाओं के बीच कार्यनीतिक जागरूकता विकसित करने पर केंद्रित था।




