राज्यसभा में आज हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि माननीय सदस्यों ने इस सप्ताह इन मुद्दों को बार-बार उठाया है जिसके कारण हम पहले ही सदन के 3 कार्य दिवस खो चुके हैं जिन्हे लोकहित के कामकाज में समर्पित होना चाहिए था। उन्होने कहा कि कर्तव्यों के पालन की शपथ के अनुसार हमें अपना कामकाज अपेक्षा अनुसार भली-भांति निभाना चाहिए।
सभापति ने कहा कि प्रश्नकाल न चलने से समय और अवसर की हानि होती है आम जनता के हित बाधित होते हैं। सभापति ने कहा कि उन्हें लगता है कि नियम 267 को हमारे सदन के सामान्य कामकाज में व्यवधान उत्पन्न करने के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे सदन के माननीय सदस्यों से इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का आग्रह करते हैं। सदन के सद्स्य काफी वरिष्ठ हैं और ऐसे व्यवहार की सराहना नहीं की जा सकती।
सभापति ने कहा कि सदन के सामान्य कामकाज में व्यावधान उत्पन्न किए जाने से उन्हें गहरी पीड़ा और दुख हुआ है। उन्होंने कहा कि हम बहुत खराब मिसाल कायम कर रहे हैं। हम देश के लोगों का अपमान कर रहे हैं और उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं।
सभापति ने कहा कि यह करनी लोकहित केंद्रित नहीं हैं। ये लोगों की पसंद के बिल्कुल प्रतिकूल हैं, हम अप्रासंगिक होते जा रहे हैं और लोग हमारा उपहास कर रहे हैं, हम वस्तुतः हंसी का पात्र बन गए हैं।
सभापति ने कहा कि इसलिए वे राज्यसभा सांसदो से कृपा कर सदन के कामकाज में सुचारू रुप से भाग लेने की अपील करते हैं।
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