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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा कथित रूप से नकदी बरामदगी को लेकर 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की; जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की

उच्चतम न्‍यायालय ने कल रात अपनी वेबसाइट पर दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास पर कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की आंतरिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय की जांच रिपोर्ट में आधिकारिक ब्‍यौरे के बारे में जानकारी शामिल थी।

25 पन्नों की जांच रिपोर्ट में 14 मार्च को होली की रात न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर आग बुझाने की वीडियो और फोटोग्राफ्स शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया कि नोटों चार से पांच अधजले ढेर मिले थे। रिपोर्ट के अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति का गठन किया है। न्‍यायमूर्ति संजीव खन्ना ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को न्यायमूर्ति वर्मा को कोई भी न्यायिक कार्य नहीं सौंपने का भी निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति वर्मा ने अपने जवाब में कहा है कि उन्‍होंने या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने भंडार कक्ष में कोई नकदी नहीं रखी थी। उन्होंने कहा कि उनके आवास पर नकदी मिलने के आरोप, उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश है। रिपोर्ट्स के अनुसार न्यायमूर्ति वर्मा के घर में आग लगने के बाद बेहिसाब नकदी बरामद हुई। इसके बाद, सर्वोच्‍च न्‍यायालय की कॉलीजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय वापस भेजने का फैसला किया।

हालांकि, शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायधीशों की एक बैठक के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि सिर्फ़ स्थानांतरण ही काफी नहीं होगा। आगे की कार्रवाई की भी आवश्‍यकता है। न्यायालय ने सर्वसम्मति से आंतरिक जांच की मंजूरी दे दी, जिसमें पहला कदम स्थानांतरण करना था, स्थानांतरण प्रक्रिया के संबंध में अभी सरकार की स्‍वीकृति की प्रतीक्षा है।

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