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TDB) approves funding to Hyderabad-based M-s Midwest Advanced Materials Pvt Ltd for sustainable magnet production
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प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) ने सतत चुंबक उत्पादन के लिए हैदराबाद स्थित मेसर्स मिडवेस्ट एडवांस्ड मैटेरियल्स प्राइवेट लिमिटेड को वित्त पोषण की मंजूरी दी

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत काम करने वाले प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने आज (30 मई 2024) टीडीबी केंद्र, नई दिल्ली में आवश्यक सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लक्ष्य से हैदराबाद स्थित मेसर्स मिडवेस्ट एडवांस्ड मैटेरियल्स प्राइवेट लिमिटेड (एमएएम) के लिए वित्त पोषण को मंजूरी दे दी है।

यह रणनीतिक परियोजना नियोडिमियम सामग्रियों और दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुंबक के वाणिज्यिक विनिर्माण को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है, जो ई-मोबिलिटी अनुप्रयोगों के लिए अनिवार्य घटक हैं। राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप, इस वित्त पोषित परियोजना का उद्देश्य ऑक्साइड से शुरू होकर, दुर्लभ पृथ्वी (आरई) चुंबक के लिए एक एकीकृत उत्पादन मॉड्यूल स्थापित करना है। पिघला हुआ नमक वैद्युत अपघटन (एमएसई) प्रौद्योगिकी को प्रयोग में लाने वाली एक संशोधित धातु निष्कर्षण विधि का उपयोग करते हुए, जिसमें प्रप्राइइटेरी सेल डिजाइन के साथ पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ वैद्युत अपघटन प्रक्रिया शामिल है, यह पहल स्थायी तकनीकी उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करती है।

नियोडिमियम (एनडीएफईबी) स्थायी चुंबक इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना में जनरेटर में प्रणोदन प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण हैं और बाजार में इनके पर्याप्त विस्तार होने का अनुमान है, जिससे स्वदेशी उत्पादन क्षमताओं का महत्व रेखांकित होता है। यह कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन को कम करने और सौर तथा पवन ऊर्जा सहित नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के अनुरूप है।

केंद्र सरकार के खान मंत्रालय के तत्वावधान में एक प्रतिष्ठित अनुसंधान एवं विकास संस्थान, नॉनफेरस मैटेरियल्स टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर (एनएफटीडीसी) से मिडवेस्ट एडवांस्ड मैटेरियल्स लिमिटेड को उन्नत प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण ने नियोडिमियम सामग्रियों और दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुंबकों के वाणिज्यिक उत्पादन का मार्ग प्रशस्त किया है। एडवांस्ड मैटेरियल्स, विशेष रूप से दुर्लभ अर्थ मैटेरियल्स में एनएफटीडीसी की दक्षता, प्रक्रिया विकास और उपकरण डिजाइन में विशेषज्ञता के साथ-साथ खनन, पाउडर धातुकर्म, ई-गतिशीलता और परियोजना वित्तपोषण में मिडवेस्ट एडवांस्ड मैटेरियल्स लिमिटेड की मजबूती, इस टीआरएल-9 डेमोंस्ट्रेशन प्लांट का आधार बनाती है। 500 टन प्रति वर्ष (टीपीवाई) मैग्नेट के प्रारंभिक उत्पादन लक्ष्य के साथ, 2030 तक 5000 टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने के साथ, यह पहल महत्वपूर्ण तकनीकी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी प्रगति को रेखांकित करती है।

अपने भाषण के दौरान, एनएफडीटीसी के निदेशक डॉ. के. बाला सुब्रमण्यन ने भारत में एक अग्रणी पहल के रूप में इस परियोजना के महत्व पर बल दिया। उन्होंने 150-170 टन ऑक्साइड से 500 टन मैग्नेट के वार्षिक उत्पादन की परिकल्पना की, जो देश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा। यह सर्वव्यापी वैज्ञानिक सफलता, जो मोटर और तैयार मैग्नेट से लेकर दुर्लभ पृथ्वी ऑक्साइड तक की पूरी श्रृंखला तक फैली हुई है, का स्मार्टफोन, पवन टरबाइन, मेडिकल इमेजिंग डिवाइस और इलेक्ट्रॉनिक सहित कई उच्च तकनीकी उद्योगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इस परियोजना के लिए, इष्टतम संचालन प्रभावशीलता और दक्षता प्रदान करने के लिए उपकरण के पांच विशिष्ट पीसेज़ का सावधानीपूर्वक निर्माण किया गया है।

स्थानीय संयंत्र और मशीनरी डिज़ाइन के कारण, परियोजना को बहुत कम पूंजी निवेश से लाभ होता है। चूंकि इंडिया रेयर अर्थ इंजीनियर्स लिमिटेड (आईआरईएल) कच्चे माल की आपूर्ति करेगा, इसलिए परिचालन व्यय के मामले में परियोजना वित्तीय रूप से अधिक व्यवहार्य होगी। भविष्य में, मिडवेस्ट एडवांस्ड मैटेरियल्स प्राइवेट लिमिटेड 2030 तक 5,000 टन प्रतिवर्ष के उत्पादन लक्ष्य तक पहुंचना चाहता है। यह एक परिकलित कदम है, जो परियोजना की दीर्घकालिक लाभप्रदता और वैल्यू प्रापज़िशन में सुधार करेगा। एनएफटीडीसी एक ज्ञान और तकनीकी भागीदार के रूप में रेयर अर्थ्स और अन्य महत्वपूर्ण मैटेरियल्स में मिडवेस्ट एडवांस्ड मैटेरियल्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रयासों का समर्थन करेगा।

टीडीबी के सचिव राजेश कुमार पाठक ने इस परियोजना के महत्व पर प्रकाश डाला। यह पहल घरेलू स्तर पर उच्च प्रदर्शन वाले मैग्नेट के निर्माण, राष्ट्रीय जरूरतों को संबोधित करने और ई-मोबिलिटी और स्वच्छ ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण मैटेरियल्स में टिकाऊ प्रौद्योगिकियों की दिशा में वैश्विक परिवर्तन में योगदान देने की भारत की प्रगति का प्रतीक है।

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