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‘सहयोग के लिए खतरा हैं आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद’ – पाकिस्तान में बोले विदेशमंत्री डॉ जयशंकर

विदेशमंत्री डॉक्टर जयशंकर ने कहा है कि अर्थव्यवस्था और विकास के लिए शांति और स्थिरता बहुत जरूरी है। उन्होंने चेतावनी दी कि सीमा पार से होने वाली आतंकवादी, उग्रवादी और अलगाववादी गतिविधियां व्यापार और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के प्रयासों को बाधित करती हैं। आज पाकिस्तान के इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन के शासनाध्यक्षों की परिषद की 23वीं बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही।

विदेश मंत्री ने बताया कि जलवायु की प्रतिकूल परिस्थितियां, आपूर्ति श्रृंखला की अनिश्चित्ताएं और वित्तीय उथल-पुथल से दुनियाभर में विकास और वृद्धि की गतिविधियां पहले से ही प्रभावित हो रही हैं। विदेश मंत्री ने ऋण को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा कि देशों के बीच सहयोग परस्पर सम्मान, संप्रभुता का आदर और भौगोलिक अखंडता की मान्यता पर आधारित होना चाहिए।

विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की जरूरत पर जोर देते हुए डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि सामूहिक प्रयासों से संसाधन जुटाने, निवेश आकर्षित करने और व्यापारिक ढांचे का विस्तार करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा और जलवायु के मुद्दे पर कार्रवाई परस्पर लाभकारी सहयोग के प्रमुख क्षेत्र हैं।

डॉक्टर जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन की व्यवस्था में भारत के वैश्विक प्रयासों के महत्व का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन तथा आपदाओं का मुकाबला करने वाले आधारभूत ढांचे से जुड़े गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है। विदेश मंत्री ने डिजिटल प्रणाली, योग तथा श्री अन्न के महत्व और इस दिशा में भारत के प्रयासों का उल्लेख किया।

डॉक्टर जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार लाने की भी पैरवी की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता और उसकी प्रभावशाली भूमिका व्यापक सुधारों से विकासशील देशों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने पर निर्भर करेगी।

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