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Union Agriculture Minister Shivraj Singh Chauhan held an important meeting with agriculture ministers and officials of the states
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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों के कृषि मंत्रियों और अधिकारियों के साथ अहम बैठक की

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में राज्यों के कृषि मंत्री, कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट सहित विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक उपस्थित रहे। बैठक में खाद और यूरिया की कमी, बायोस्टुमिलेंट (जैव उत्तेजकों) प्रमाणिकता, आगामी रबी फसल के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की तैयारियों, राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन, दलहन-तिलहन उत्पादन बढ़ाने, अगले 5 साल की कृषि कार्य योजना, बाढ़ और आपदा प्रभावित इलाकों में फसल बीमा योजना के क्लेम, किसान जनसमस्या के निवारण के लिए ट्रोल फ्री नंबर को प्रसारित करने सहित विभिन्न विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वतंत्रता दिवस की बधाई के साथ बैठक की शुरुआत की। फिर उन्होंने बताया कि रबी फसल के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस नई दिल्ली में 15 और 16 सितंबर को आयोजित होगी और अभियान की औपचारिक शुरुआत 3 अक्टूबर, 2025 विजय पर्व के साथ होगी। अभियान 3 अक्टूबर से 18 अक्टूबर धनतेरस के दिन तक चलेगा।इस अभियान को लेकर केंद्रीय मंत्री ने सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों को गंभीरतापूर्वक तैयारी करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह राज्य के मुख्यमंत्रियों को भी औपचारिक रूप से पत्र लिखेंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए कहेंगे कि इस कॉन्फ्रेंस में राज्यों के कृषि मंत्रियों सहित कृषि विभाग के उच्च वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। केंद्रीय मंत्री ने राज्य के कृषि मंत्रियों से कहा कि वह रबी फसल के लिए विभिन्न विषयों सहित खाद की आवश्यकता का आंकलन भी इकट्ठा कर लें और आगामी कॉन्फ्रेंस में इसपर गंभीर विचार-विमर्श और मंथन के लिए तैयार रहें।

बैठक में आगे 23 अगस्त को प्रधानमंत्री द्वारा शुरुआत होने जा रहे राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन की तैयारियों को लेकर भी चर्चा हुई। जिस पर केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि मिशन के लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में तत्परता से काम करते हुए संपूर्ण तैयारियां सुनिश्चित कर ली जाएं। प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के तहत 100 जिलों में मिशन की प्रगति को लेकर भी बात की।

केंद्रीय मंत्री ने दलहन तिलहन के उत्पादन को लेकर भी विचार-विमर्श किया। साथ ही राज्य के कृषि मंत्रियों से आग्रह किया कि वह अपने राज्यों में इन उपयोगी मिशन, योजनाओं और अभियानों का स्वयं प्रतिनिधितत्व करते हुए इसे आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि दलहन तिलहन के मामले में देश की आवश्यकता के अनुसार हमें उत्पादन को मजबूत करना होगा।

केंद्रीय मंत्री ने नकली खाद और उर्वरक की समस्या को एक बार फिर उजागर किया और राज्य सरकारों से इस संबंध में सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि करीब 30 हजार जैव उत्तेजक उत्पाद बिक रहे थे। जिनमें में अत्याधिक प्रमाणित नहीं थे। अब-तक मात्र 600 बायोस्टुमिलेंट प्रमाणित पाए गए हैं। इसलिए अधिकारी अब ये सुनिश्चित करें कि यह प्रमाणित बायोस्टुमिलेंट ही किसानों तक पहुंचे। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि यदि कोई खाद के साथ कुछ और दवाई जबर्दस्ती बेचता है, तो यह भी गलत है। जिसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने राज्यों से भी इस संबंध में कठोर कदम उठाने के लिए कहा।

बैठक में कृषि मंत्रियों ने जमीनी स्तर पर आ रही समस्याओं के बारे में केंद्रीय मंत्री को जानकारी दी। राजस्थान के कृषि मंत्री भजन लाल, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री ऐंदल सिंह कंषाना, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, कर्नाटक के कृषि मंत्री एन. चेलुवरायस्वामी, उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी, छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रामविचार नेताम सहित गुजरात के कृषि मंत्री राघवजीभाई पटेल और पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुद्डियन के प्रतिनिधियों की तरफ से अतिरिक्त यूरिया की मांग की गई। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्रियों ने केंद्रीय मंत्री को यूरिया की कमी के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान की भी जानकारी दी साथ ही अतिरिक्त सहायता राशि की आवश्यकता जताई।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूरिया की अतिरिक्त मांग की मुख्य दो वजह हो सकती हैं, पहला – अच्छी बारीश के कारण चावल और मक्के सहित बुआई में बढ़ोतरी और दूसरा कारण हो सकता है यूरिया का गैर खेती के कामों में अनुचित इस्तेमाल। उन्होंने कहा कि यदि खेती की आवश्यकता के लिए यूरिया की मांग है तो निश्चित रूप से यूरिया उपलब्ध करवाया जाएगा, जिसके लिए तत्परता से मंत्रालय में काम चल रहा है। लेकिन यदि यूरिया के गलत इस्तेमाल की आशंका है तो यह एक गंभीर विषय है, जिस संबंध में सख्त कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने राज्य के कृषि मंत्रियों से भी आग्रह किया कि वह यह सुनिश्चित करें कि यूरिया का सही इस्तेमाल ही हो। इस संबंध में निगरानी समितियों का गठन करते हुए तंत्र मजबूत करें।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों से प्रगतिशील किसानों, विशेषज्ञों एवं अन्य उपयोगी सुझावों को जोड़ते हुए अगले 5 साल की कृषि कार्य योजना की रूपरेखा तय करने का भी निर्देश दिया।साथ ही जनकल्याण समस्याओं के लिए मंत्रालय के ट्रोल फी नंबर को अधिक से अधिक प्रसारित करने के भी निर्देश दिए।

शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की प्रगति को लेकर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस योजना को पूरी पारदर्शिता के साथ संचालित करने में जुटी है। डिजिटल भुगतान के माध्यम से किसानों तक बीमा की राशि पहुंचे, यह सुनिश्चित हो रहा है। यदि बीमा कंपनी या राज्य सरकारों की तरफ से बीमा क्लेम देने में देरी होती है, तो अतिरिक्त 12 प्रतिशत ब्याज सीधे किसानों के खातों में देना होगा।

अंत में, कृषि मंत्री ने प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के आह्वान को दोहराया और कहा कि किसी भी हालत में कृषि क्षेत्र और देशवासियों के हितों के साथ समझौता नहीं होने दिया जाएगा। किसान भाई- बहनों के साथ पशुपालकों और मछुआरों के हित भी सुरक्षित रखे जाएंगे। कृषि विकास के लिए सरकार कटिबद्ध है।

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