केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शहरी आवास योजना 2.0 को मंजूरी दी; शहरी गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए एक करोड़ घर बनाए जाएंगे
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) 2.0 को मंजूरी दे दी है। पीएमएवाई-यू 2.0 पांच वर्षों में शहरी क्षेत्रों में घर बनाने, खरीदने या किराए पर लेने के लिए राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों/प्राथमिक ऋण संस्थानों (पीएलआई) के माध्यम से 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को केंद्रीय सहायता प्रदान करेगी। इस योजना के तहत ₹ 2.30 लाख करोड़ की सरकारी सहायता प्रदान की जाएगी I
प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी विश्व की सबसे बड़ी किफायती आवास परियोजनाओं में से एक है। 2015 में शुरू की गई इस योजना ने देशभर में करोड़ों परिवारों को सभी बुनियादी सुविधाओं सहित उनका अपना पक्का आवास प्रदान कर उन्हें नई पहचान दिलाई है। पीएमएवाई-यू के तहत 1.18 करोड़ आवासों को स्वीकृति दी गई थी, जिनमें से 85.5 लाख से अधिक आवास पूरे कर लाभार्थियों को सौंपे जा चुके हैं और बाकी आवास निर्माणाधीन हैं ।
माननीय प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2023 को लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के भाषण में घोषणा की थी कि भारत सरकार आने वाले वर्षों में कमजोर वर्ग और मध्यम वर्ग के परिवारों को घर के स्वामित्व का लाभ प्रदान करने के लिए एक नई योजना लाएगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 जून 2024 को पात्र परिवारों की संख्या में वृद्धि के कारण उत्पन्न होने वाली आवास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 3 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण और शहरी परिवारों को घरों के निर्माण के लिए सहायता प्रदान करने का संकल्प लिया था। माननीय प्रधानमंत्री के विजन के अनुसरण में, ₹10 लाख करोड़ के निवेश के साथ पीएमएवाई-यू 2.0 योजना के तहत, एक करोड़ पात्र परिवारों की पक्के आवास की आवश्यकता को पूरा किया जाएगा तथा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक नागरिक बेहतर जीवन जी सके।
इसके अलावा, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस)/निम्न आय वर्ग (एलआईजी) को उनके पहले घर के निर्माण/खरीद के लिए बैंकों/हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी)/प्राथमिक ऋण संस्थानों से लिए गए किफायती आवास ऋण पर क्रेडिट रिस्क गारंटी का लाभ प्रदान करने के लिए क्रेडिट रिस्क गारंटी फंड ट्रस्ट (सीआरजीएफटी) का कॉर्पस फंड ₹1,000 करोड़ से बढ़ाकर ₹3,000 करोड़ कर दिया गया है। साथ ही, क्रेडिट रिस्क गारंटी फंड का प्रबंधन राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) से राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी कंपनी (एनसीजीटीसी) को हस्तांतरित किया जाएगा। क्रेडिट रिस्क गारंटी फंड योजना का पुनर्गठन किया जा रहा है और संशोधित दिशानिर्देश आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी किए जाएंगे।
पीएमएवाई-यू 2.0 संबंधी पात्रता मापदंड
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस)/निम्न आय वर्ग (एलआईजी)/मध्यम आय वर्ग (एमआईजी) परिवार, जिनके पास देश में कहीं भी अपना कोई पक्का घर नहीं है, वे पीएमएवाई-यू 2.0 के तहत घर खरीदने या निर्माण करने के पात्र होंगे।
- ₹3 लाख तक की वार्षिक आय वाले परिवारों को ईडब्ल्यूएस,
- ₹3 लाख से ₹6 लाख तक की वार्षिक आय वाले परिवारों को एलआईजी, और
- ₹6 लाख से ₹9 लाख तक वार्षिक आय वाले परिवारों को एमआईजी के रूप में परिभाषित किया गया हैI
योजना का कवरेज
जनगणना 2011 के अनुसार सभी वैधानिक शहर और बाद में अधिसूचित शहर, जिसमे अधिसूचित योजना क्षेत्र, औद्योगिक विकास प्राधिकरण/विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण/शहरी विकास प्राधिकरण या ऐसे किसी भी प्राधिकरण जिसे राज्य विधान के तहत शहरी नियोजन और विनियमों के कार्य सौंपे गए हैं, के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र शामिल हैं, उन्हें भी पीएमएवाई-यू 2.0 के तहत शामिल किया जाएगा।
योजना के अंतर्गत घटक
पीएमएवाई-यू 2.0 का कार्यान्वयन निम्नलिखित चार घटकों के माध्यम से किया जाएगा:
(i) लाभार्थी आधारित निर्माण (बीएलसी)– इस घटक के माध्यम से ईडब्ल्यूएस श्रेणियों से संबंधित व्यक्तिगत पात्र परिवारों को उनकी भूमि पर नए आवास बनाने के लिए केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाएगी। जिन लाभार्थियों के पास उनकी अपनी भूमि नहीं है, उन्हें राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा भूमि अधिकार (पट्टा) प्रदान किया जाएगा।
(ii) भागीदारी में किफायती आवास (एएचपी)– इस घटक के तहत किफायती आवासों का निर्माण सार्वजनिक/निजी संस्थाओं द्वारा किया जाएगा और ईडब्ल्यूएस लाभार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान कर आवंटन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
• यदि लाभार्थी निजी क्षेत्र की परियोजनाओं में आवास खरीदता है तो लाभार्थियों को रिडीमेबल हाउसिंग वाउचर के रूप मे केंद्रीय सहायता प्रदान की जाएगी। राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों/यूएलबी द्वारा ऐसी परियोजनाओं को व्हाइटलिस्ट किया जाएगा।
• नवीन निर्माण तकनीकों का उपयोग करने वाली एएचपी परियोजनाओं को टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रांट (टीआईजी) के रूप में ₹1,000 प्रति वर्गमीटर की दर से अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जाएगा।
(iii) किफायती किराये के आवास (एआरएच)– इस घटक में शहरी प्रवासियों कामकाजी महिलाओं/औद्योगिक श्रमिकों/शहरी प्रवासियों/बेघर/निराश्रित/छात्रों और अन्य समान हितधारकों के लाभार्थियों के लिए पर्याप्त किराये के आवासों का निर्माण किया जाएगा। एआरएच उन शहरी निवासियों के लिए किफायती और रहने की स्वच्छ जगह सुनिश्चित करेगा जो स्वामित्व में अपना घर नहीं चाहते हैं या जिनके पास घर बनाने/खरीदने की वित्तीय क्षमता नहीं है, लेकिन उन्हें अल्पावधि के लिए आवास की आवश्यकता है।
एआरएच को निम्नलिखित दो मॉडलों के माध्यम से लागू किया जाएगा:
• मॉडल 1: सरकार द्वारा वित्तपोषित खाली आवासों को किराये के आवास में परिवर्तित किया जाएगा।
• मॉडल 2: सार्वजनिक/निजी संस्थाएं नए किराये के आवास का निर्माण करेंगी।
नवीन निर्माण तकनीकों का उपयोग करने वाली परियोजनाओं को टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रांट के रूप में ₹5,000 प्रति वर्गमीटर की दर से अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जाएगा (भारत सरकार – ₹3,000/वर्गमीटर+ राज्य सरकार- ₹2000/वर्गमीटर)।
(iv) ब्याज सब्सिडी योजना (आईएसएस)– यह घटक ईडब्ल्यूएस/एलआईजी और एमआईजी परिवारों के लिए गृह ऋण पर सब्सिडी का लाभ प्रदान करेगा। ₹35 लाख तक की कीमत वाले मकान के लिए ₹25 लाख तक का गृह ऋण लेने वाले लाभार्थी 12 वर्ष की अवधि तक के पहले 8 लाख रुपये के ऋण पर 4 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी के पात्र होंगे। पात्र लाभार्थियों को 5-वार्षिक किश्तों में पुश बटन के माध्यम से ₹1.80 लाख की सब्सिडी जारी की जाएगी। लाभार्थी वेबसाइट, ओटीपी या स्मार्ट कार्ड के जरिए अपने खाते की जानकारी ले सकते हैं।
पीएमएवाई-यू 2.0 के बीएलसी, एएचपी और एआरएच घटकों को केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा जबकि ब्याज सब्सिडी योजना (आईएसएस) घटक को केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में लागू किया जाएगा। लाभार्थी योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु चारों घटकों में से अपनी पात्रता और पसंद के अनुसार एक घटक का चुनाव कर सकते हैं।
वित्त पोषण तंत्र
आईएसएस घटक को छोड़कर, बीएलसी, एएचपी और एआरएच के तहत घर निर्माण की लागत मंत्रालय, राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश/यूएलबी और पात्र लाभार्थियों के बीच साझा की जाएगी। पीएमएवाई-यू 2.0 के तहत एएचपी/बीएलसी घटकों में सरकारी सहायता ₹2.50 लाख प्रति वर्ग होगी। राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेश का हिस्सा अनिवार्य होगा। बिना विधायिका वाले केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए, केंद्रीय: राज्य शेयरिंग पैटर्न 100:0 होगा, विधायिका वाले केन्द्र शासित प्रदेशों (दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी), उत्तर-पूर्वी राज्यों और हिमालयी राज्यों (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) के लिए शेयरिंग पैटर्न 90:10 होगा। अन्य राज्यों के लिए शेयरिंग पैटर्न 60:40 होगा। घरों की सामर्थ्य में सुधार के लिए, राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश और यूएलबी लाभार्थियों को अतिरिक्त सहायता दे सकते हैं।
आईएसएस घटक के तहत, पात्र लाभार्थियों को 5-वार्षिक किश्तों में ₹1.80 लाख तक की केंद्रीय सहायता दी जाएगी।