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केन्‍द्रीय नागर विमानन मंत्री ने सभी विमानों और विमान इंजन के कलपुर्जों पर 5 प्रतिशत की एकसमान IGST दर लागू करने की घोषणा की

केन्‍द्रीय नागर विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने सभी विमानों और विमान इंजन के कलपुर्जों पर 5 प्रतिशत की एकसमान आईजीएसटी दर लागू करने की घोषणा की है, जो आज 15 जुलाई 2024 से प्रभावी होगी। यह निर्णय घरेलू रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक विमानन केन्‍द्र बनाना है।

इस प्रगति पर टिप्पणी करते हुए, किंजरापु राममोहन नायडू ने कहा, “एमआरओ वस्तुओं पर एक समान 5 प्रतिशत आईजीएसटी दर की शुरूआत विमानन क्षेत्र के लिए एक बड़ा प्रोत्‍साहन है। इससे पहले, विमान घटकों पर 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की अलग-अलग जीएसटी दरों ने चुनौतियां खड़ी की, जिसमें कर संरचना में भिन्‍नता और एमआरओ खातों में जीएसटी संचय शामिल था। यह नई नीति इन असमानताओं को समाप्त करती है, कर संरचना को सरल बनाती है और एमआरओ क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देती है।”

केन्‍द्रीय मंत्री ने इस बदलाव को संभव बनाने में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में, हम आत्मनिर्भर भारत पहल के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत को एक प्रमुख विमानन केन्‍द्र में बदलने में उनका समर्थन इस नीति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा है।”

केन्‍द्रीय मंत्री ने नागर विमानन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और अन्य हितधारकों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने 22 जून 2024 को अपनी 53वीं बैठक में जीएसटी परिषद द्वारा अनुशंसित इस नीति समायोजन को प्राप्त करने के लिए लगन से काम किया है, एक समान 5 प्रतिशत आईजीएसटी दर का उद्देश्य परिचालन लागत को कम करना, कर क्रेडिट के मुद्दों को हल करना और निवेश को आकर्षित करना है।

भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए, राममोहन नायडू ने कहा, “हमारा दृष्टिकोण भारत को एक अग्रणी विमानन केन्‍द्र में बदलना है। भारतीय एमआरओ उद्योग के 2030 तक 4 बिलियन डॉलर का उद्योग बनने का अनुमान है। यह नीति परिवर्तन एमआरओ सेवाओं के लिए एक मजबूत इकोसिस्‍टम बनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और स्‍थायी विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

मंत्रालय को विश्वास है कि इस कदम से भारतीय एमआरओ क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, नवाचार और दक्षता को बढ़ावा मिलेगा तथा एक मजबूत और कुशल विमानन क्षेत्र का निर्माण होगा।

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