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Union Civil Aviation Minister issues guidelines for seaplane operations in India
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केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ने भारत में सीप्लेन संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए

केंद्रीय नागर विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने नई दिल्ली में भारत में सीप्लेन संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। भारतीय विमानन अकादमी में आयोजित कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये दिशा-निर्देश न केवल परिवहन के लिए भारत के विमानन परिदृश्य में सीप्लेन संचालन को एकीकृत करेंगे, बल्कि रोजगार सृजन और आर्थिक सशक्तीकरण को भी बढ़ावा देंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रकार, सीप्लेन देश के विकास, नवाचार और समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बनने जा रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री राममोहन नायडू ने उड़ान के 5.4 संस्करण को भी लॉन्च किया। उड़ान 5.4 के तहत, उन मार्गों के लिए नई बोलियां आमंत्रित की जाएंगी जो किसी कारण से रद्द कर दिए गए थे। इसके साथ ही, हवाई सेवाओं से अछूते मार्गों को कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने यह भी घोषणा की कि निर्माता कंपनी डेहैविलैंड द्वारा सीप्लेन को प्रदर्शित करने से जुड़ी उड़ानें जल्द ही आयोजित की जाएंगी।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने भारत की 7517 किलोमीटर लंबी तटरेखा और नदियों तथा झीलों के व्यापक नेटवर्क के बारे में बताया जो देश में सीप्लेन परिचालन के विकास के लिए एक अनूठा अवसर पेश करते हैं। स्थितियों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने और हेलीकॉप्टर परिचालन के अनुभव से लाभ उठाते हुए, सरकार ने सीप्लेन परिचालन के विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक लचीला और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया है। ये दिशा-निर्देश आरसीएस के तहत सीप्लेन संचालन को नॉन शिड्यूल्ड ऑपरेटर परमिट (एनएसओपी) के तहत संचालन का उपयोग करने में सक्षम बनाएंगे। आरसीएस के तहत सीप्लेन संचालन के लिए व्यवहार्यता अंतर निधि (वीजीएफ) के विस्तार से ऑपरेटरों को शुरुआती तौर पर बढ़ावा मिलेगा। सीप्लेन संचालन को बढ़ावा देने की कोशिशों के दौरान, संचालन के दौरान बचाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त ध्यान रखा गया है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि खास तौर पर जल हवाई अड्डों के विकास से जुड़ी शुरुआती चुनौतियों के बावजूद, , सरकार ने सीप्लेन परिचालन के निरंतर विकास को सुनिश्चित करने के लिए लचीला और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया है। आरसीएस योजना के तहत हेलीकॉप्टरों और छोटे विमानों के लिए एनएसओपी परिचालन की सफलता से प्रेरणा लेते हुए, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अब व्यापक सीप्लेन एनएसओपी दिशानिर्देश तैयार किए हैं। ये दिशा-निर्देश परिचालन के दौरान बचाव और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं और सभी हितधारकों की जिम्मेदारियों को भी परिभाषित करते हैं, जिससे पूरे देश में निर्बाध और कुशल सीप्लेन परिचालन सुनिश्चित होता है। सीप्लेन के लिए नॉन-शिड्यूल्ड ऑपरेटर परमिट (एनएसओपी) ढ़ांचे को अपनाना क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

केंद्रीय मंत्री ने भारत में सीप्लेन उद्योग के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल की आवश्यकता पर जोर दिया और कार्बन उत्सर्जन को कम करने तथा जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं के साथ संरेखित करने के लिए इलेक्ट्रिक सीप्लेन जैसी तकनीकों में अनुसंधान को प्रोत्साहित दिए जाने की बात कही। हमारा लक्ष्य एक ऐसा नियामक ढांचा तैयार करना है जो नवाचार को बढ़ावा दे, विकास को गति दे और स्थानीय कार्यबल के विकास को प्राथमिकता देकर पायलटों, रखरखाव कर्मचारियों और ग्राउंड क्रू के लिए रोजगार के अवसर सृजित करे। हम सीप्लेन और परिवहन के अन्य साधनों के बीच निर्बाध संपर्क के लिए मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब विकसित करने की कल्पना करते हैं।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, केंद्रीय नागर विमानन और सहकारिता राज्य मंत्री मंत्रालय मुरलीधर मोहोल ने कहा कि इस पहल से न केवल कनेक्टिविटी में सुधार होगा, बल्कि पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और भारत के सबसे दूरदराज के क्षेत्रों को एक साथ लाने में मदद मिलेगी। नए दिशा-निर्देश एक सुविचारित रूपरेखा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार किए गए हैं कि सीप्लेन संचालन सुरक्षित और कुशलतापूर्वक किया जाए, जो भारत के विमानन परिदृश्य में एक नए युग की शुरुआत करता है।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन सचिव वुमलुनमंग वुलनाम ने इस कार्यक्रम में कहा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है। हमने सीप्लेन संचालन के लिए नॉम शिड्यूल्ड ऑपरेटर परमिट (एनएसओपी) ढांचे का लाभ उठाने का फैसला किया है, जो पहले से ही आरसीएस योजना के तहत हेलीकॉप्टरों और छोटे विमानों के लिए सफल साबित हुआ है। आज जारी सीप्लेन एनएसओपी दिशा-निर्देश सीप्लेन संचालन को जारी रखने और बढ़ाने के लिए एक व्यवस्थित और सुरक्षित ढांचा प्रदान करते हैं। हालांकि, हम जल एयरोड्रम बुनियादी ढांचे के पूर्ण विकास की दिशा में काम भी कर रहे हों।

इस कार्यक्रम में डीजीसीए के महानिदेशक विक्रम देव दत्त और नागर विमानन मंत्रालय, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों, एनएसओपी और एसओपी ऑपरेटरों, मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम), सीप्लेन निर्माताओं, पट्टादाताओं से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों और मीडिया कर्मियों ने भाग लिया।

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