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Union Education Minister Dharmendra Pradhan today released 41 new books under the PM Yuva 2.0 Scheme at the New Delhi World Book Fair 2025
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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2025 में पीएम युवा 2.0 योजना के तहत 41 नई पुस्तकों का विमोचन किया

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2025 में पीएम युवा 2.0 योजना के तहत 41 नई पुस्तकों का विमोचन किया। त्रिपुरा के राज्यपाल इंद्रसेन रेड्डी नल्लू ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।

इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने उन 41 युवा लेखकों को बधाई दी जिनकी पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। उनकी क्षमता पर विश्वास व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी लेखनी और रचनात्मकता साहित्यिक परिदृश्य को समृद्ध करेगी और बौद्धिक विमर्श को एक नई दिशा प्रदान करेगी।

मंत्री महोदय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री युवा योजना की संकल्पना की। उन्होंने इसे राष्ट्रीय आंदोलन में बदलने पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने उभरते लेखकों को मार्गदर्शन देने तथा उनका पोषण करने, भारतीय संस्कृति, विरासत, इतिहास, भाषाओं तथा साहित्य के गौरवशाली राजदूतों को बढ़ावा देने तथा स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों की कहानियों को प्रकाश में लाने में इसके महत्वपूर्ण प्रभाव पर जोर दिया।

धर्मेंद्र प्रधान ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश भर में भारतीय भाषाओं में पुस्तकों को बढ़ावा देना एक राष्ट्रीय मिशन है। उन्होंने पीएम युवा जैसी पहलों को इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस वर्ष के बजट में हाल ही में घोषित ‘भारतीय भाषा पुस्तक योजना’ इस राष्ट्रीय प्रयास को गति प्रदान करेगी।

भारतीय भाषाओं में पुस्तकों और साहित्य को सुलभ बनाने में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए उन्होंने संस्था से आग्रह किया कि वह प्रौद्योगिकी को अपनाए तथा भारत की समृद्ध साहित्यिक विरासत और भाषाई परंपराओं को वैश्विक दर्शकों तक ले जाने के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशकों के साथ सहयोग करे।

मंत्री महोदय ने प्रदर्शनी हॉल का भी दौरा किया और दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेलों में से एक के आयोजन के लिए एनबीटी को बधाई दी। इसे साहित्य, भाषाओं, ज्ञान, लोगों और संस्कृतियों का “ज्ञान-कुंभ” बताते हुए उन्होंने मेले को पाठकों का स्वर्ग बताया – नई पुस्तकों की खोज करने, साहित्य में डूबने, लेखकों से मिलने और साथी पुस्तक प्रेमियों से जुड़ने के लिए एक आदर्श मंच।

इसके अलावा, धर्मेंद्र प्रधान ने कुडोपाली की गाथा: 1857 की अनसुनी कहानी का हिंदी संस्करण भी जारी किया। उन्होंने घोषणा की कि यह पुस्तक जल्द ही 12 भारतीय और दो विदेशी भाषाओं में उपलब्ध होगी, जिससे इसकी व्यापक पहुंच और गहरा प्रभाव सुनिश्चित होगा। उन्होंने 14वीं सदी के गणितज्ञ और खगोलशास्त्री माधव की रचनाओं का मलयालम अनुवाद संगमा माधवंते रंडू कृतिकल भी जारी किया।

इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार, एनबीटी के अध्यक्ष प्रो. मिलिंद सुधाकर मराठे, यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार और एनबीटी के निदेशक युवराज मलिक उपस्थित थे।

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