केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता की स्थिति की समीक्षा की
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर बुधवार को एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने बैठक में सभी संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों से दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए पिछली पांच बैठकों में लिए गए सभी निर्णयों के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन में तेज़ी लाने को कहा। दिल्ली सरकार के पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव मंत्री सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा भी बैठक में उपस्थित थे।
भूपेंद्र यादव ने प्रत्येक कार्य-बिंदु की बारीकी से समीक्षा करते हुए दिल्ली-एनसीआर में सभी चिन्हित श्रेणियों में कार्य योजनाओं के उच्च-गुणवत्तापूर्ण कार्यान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया। इन क्षेत्रों में त्वरित सड़क विकास और मरम्मत, फुटपाथों की पूरी श्रृंखला सुनिश्चित करके धूल नियंत्रण, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन, उत्सर्जन मानकों का उद्योग अनुपालन, स्मार्ट यातायात प्रबंधन, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, पारंपरिक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और खुले स्थानों को हरा-भरा बनाना शामिल हैं।
मंत्री ने प्रत्येक हितधारक से आने वाले वर्ष के लिए विस्तृत वार्षिक कार्य योजना तैयार करने का अनुरोध किया ताकि प्रदूषण को स्रोत पर ही नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने मासिक और साप्ताहिक लक्ष्यों को प्राप्त करके योजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि सालभर चलने वाले रोडमैप एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार की दिशा में सक्रिय योजना सुनिश्चित करेंगे। भूपेंद्र यादव ने यह भी निर्देश दिया कि कार्य योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही जमीनी स्तर पर समीक्षा बैठकें आयोजित की जाएंगी। सीएक्यूएम द्वारा समन्वित इन बैठकों में पंजाब और हरियाणा सरकारों के कृषि विभागों के साथ पराली जलाने पर केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्रालय के साथ नियोजित शहरी विकास की नई पहलों पर और एनसीआर शहरों के स्थानीय निकायों के साथ प्रदूषण के स्थानीय कारकों से निपटने पर चर्चा शामिल होगी।
बैठक के दौरान सभी मुद्दों पर चर्चा करते हुए प्रगति की समीक्षा की गई। दिल्ली-एनसीआर में उद्योगों द्वारा उत्सर्जन मानकों के अनुपालन के मुद्दे पर यह निर्णय लिया गया कि दोषी इकाइयों को ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) और वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों (एपीसीडी) की त्वरित स्थापना स्वेच्छा से शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सहायता प्रदान की जाएगी। दिनांक 31.12.2025 तक अनुपालन न करने वाली इकाइयों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी यहां तक कि उन्हें बंद करने के निर्देश भी दिए जाएंगे। इसके अलावा यह भी बताया गया कि ऐसे उपकरणों की बाजार कीमतों में वृद्धि पर कड़ी नज़र रखी जा रही है ताकि औद्योगिक इकाइयों को हतोत्साहित न किया जाए और उपकरणों की स्थापना में देरी न हो।
धातु, कपड़ा, खाद्य/खाद्य प्रसंस्करण और अन्य लाल श्रेणी के उद्योगों जैसी प्रदूषण की उच्च संभावना वाली लगभग 2,254 औद्योगिक इकाइयों को 31.12.2025 तक एपीसीडी के साथ-साथ कैलिब्रेटेड और सत्यापित ओसीईएमएस स्थापित करना अनिवार्य कर दिया गया है। सीपीसीबी ने बताया कि ओसीईएमएस स्थापना के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी गई है और एनसीआर के एसपीसीबी/पीसीसी को शीघ्र स्थापना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
मंत्री महोदय ने गड्ढों की मरम्मत सहित सड़क विकास कार्यों की समीक्षा की और एनसीआर राज्यों को लंबित कार्यों को पूरा करने के लिए समयबद्ध मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को सख्ती से अपनाने का निर्देश दिया। नागरिकों का जवाब प्राप्त करने और अधिकारियों द्वारा तद्नुसार सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए ऐप-आधारित निगरानी पर ज़ोर दिया गया। भूपेंद्र यादव ने गुणवत्तापूर्ण सड़क निर्माण सुनिश्चित करने, सीएक्यूएम डिज़ाइन ढांचे का पालन करने, जिसमें शुरू से अंत तक फुटपाथ और उचित जल निकासी पर ज़ोर दिया। उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि दिल्ली में चल रहे कार्यों की गहन जमीनी निगरानी की जानी चाहिए। मंत्री महोदय ने नगर निगम अधिकारियों से जमीनी स्तर पर मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीन (एमआरएसएम) की तैनाती में तेज़ी लाने का अनुरोध किया।
यातायात में भीड़भाड़ के संबंध में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि दिल्ली में 62 चिन्हित हॉटस्पॉट्स पर दिल्ली पुलिस द्वारा स्मार्ट ट्रैफ़िक प्रबंधन समाधानों के माध्यम से तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है और यातायात संबंधी समस्याओं को जल्द से जल्द हल करने के लिए अल्पकालिक उपाय तुरंत लागू किए जा सकते हैं। इसके अलावा अतिक्रमण और अवैध पार्किंग हटाने, व्यस्त यातायात के समय विशेष पुलिस तैनाती, फुट-ओवर ब्रिज के लिए निविदाएं जारी करने आदि जैसे कार्यों में तेज़ी लाने को कहा गया। एनसीआर के अन्य शहरों के लिए भी इसी तरह की कार्ययोजनाओं को प्रोत्साहित किया गया और मंत्री महोदय ने ज़मीनी स्तर पर दिखाई देने वाले सुधारों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
समीक्षा बैठक में सार्वजनिक परिवहन बेड़े के इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवर्तन पर प्रकाश डाला गया। वर्तमान में लगभग 3,400 बसें चल रही हैं और अगले वर्ष मार्च तक इनकी संख्या बढ़कर 5,000 से अधिक हो जाने की उम्मीद है। दिल्ली-एनसीआर के उच्च जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में यात्री भार के आधार पर संपूर्ण कनेक्टिविटी पर ज़ोर दिया गया। मंत्री महोदय ने बीएस-IV से नीचे के वाणिज्यिक वाहनों के विरुद्ध लक्षित कार्रवाई का भी आह्वान किया। बताया गया कि बीएस-III और उससे नीचे के वाहनों को 01.11.2025 से दिल्ली में प्रवेश करने से रोक दिया गया है।
मंत्री महोदय ने अधिकारियों को एनसीआर में संभावित हरित स्थलों की पहचान करने और मानचित्रण व कार्यान्वयन में जनभागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बंजर वन भूमि पर वृक्षारोपण, खुले स्थानों को हरित बनाने और शहरी पार्कों, जलाशयों और आर्द्रभूमि से अतिक्रमण हटाने पर ज़ोर दिया गया। एनसीआर राज्यों के शिक्षा विभागों को युवाओं के नेतृत्व वाले हरित प्रयासों को बढ़ाने और सामुदायिक संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए इको-क्लब और हरित योद्धा समूहों को पुनर्जीवित करने के लिए कहा गया। भूपेंद्र यादव ने इच्छा व्यक्त की कि संबंधित विभागों के साथ मिलकर सूक्ष्म योजनाएं तैयार की जाएं और इसी शीतकाल में लागू की जाएं और अगले पाँच वर्षों तक जारी रहें तथा स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
मंत्री महोदय ने पिछली पांच बैठकों में हुई प्रगति की समीक्षा की, जिसमें समग्र सरकार और समग्र समाज के दृष्टिकोण को शामिल किया गया था। बैठक में मंत्रालय, सीएक्यूएम, सीपीसीबी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों, एनसीआर शहरों के नगर आयुक्तों और अन्य संबंधित एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।





