केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने एक घंटे में 5 लाख से अधिक पौधे लगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए प्रादेशिक सेना की 128 बटालियन पारिस्थितिकी कार्य बल को बधाई दी
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 22 सितम्बर, 2024 को एक घंटे में 5 लाख से अधिक पौधे लगाने का विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए प्रादेशिक सेना की 128 इन्फैंट्री बटालियन और पारिस्थितिक कार्य बल (एमओईएफ एंड सीसी की 6 इकाइयों में से एक) को बधाई दी।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, सीमा सुरक्षा बल, जैसलमेर जिला प्रशासन, पुलिस और सीमा विंग होमगार्ड, संकल्प तरु एनजीओ और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों सहित कई हितधारकों को भी बधाई दी।
भूपेंद्र यादव द्वारा एक्स पर पोस्ट किया गया: – राजपूताना राइफल्स की 128 इन्फैंट्री बटालियन (प्रादेशिक सेना) पारिस्थितिक कार्य बल ने 22 सितम्बर को 11:00 बजे से 12:00 बजे तक प्रधानमंत्री के अभियान “एक पेड़ मां के नाम” और प्रादेशिक सेना के आउटरीच कार्यक्रम “भागीदारी और जिम्मेदारी” के तहत जैसलमेर में “विशेष पौधारोपण अभियान” के तहत 5,19,130 से अधिक पौधे लगाए, जिसका उद्देश्य पारिस्थितिक बहाली को बढ़ाना और स्थानीय समुदायों के बीच पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देना है।
इस कार्यक्रम में भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, सीमा सुरक्षा बल, जैसलमेर जिला प्रशासन, पुलिस और सीमा विंग होमगार्ड, संकल्प तरु एनजीओ और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों सहित कई हितधारकों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। जैसलमेर में सात अलग-अलग स्थानों पर एक साथ पौधारोपण अभियान चलाया गया, जो सामुदायिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए एकजुट प्रयास को प्रदर्शित करता है।
“वृक्षों की रक्षा करें” के बैनर तले और “जो वृक्षों की रक्षा करते हैं, वे सुरक्षित रहते हैं” के ध्येय वाक्य के तहत प्रादेशिक सेना इकाई ने कई विश्व रिकॉर्ड बनाए। इन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन द्वारा अंतरिम मान्यता दी गई। इनमें एक घंटे में एक टीम द्वारा लगाए गए सबसे ज़्यादा पौधे, एक घंटे में महिलाओं की एक टीम द्वारा लगाए गए सबसे ज़्यादा पौधे और एक ही स्थान पर एक साथ सबसे ज़्यादा लोगों द्वारा पौधे लगाना शामिल है।
मान्यता देने वाली एजेंसी वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने क्षेत्र में मौजूद रहकर पौधारोपण अभियान का सत्यापन किया और इस बड़ी उपलब्धि को प्रमाणित किया। पौधारोपण के बाद पारिस्थितिकी कार्य बल को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से पुरस्कार भी मिला।