एम्स बिलासपुर ने अत्याधुनिक रीनल ट्रांसप्लांट आईसीयू सुविधा के संचालन के साथ एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल कर लिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के दौरे के दौरान इस उच्च स्तरीय सुविधा का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने हाल ही में किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी करवाने वाले पहले मरीज और डोनर से बात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। दोनों की हालत में सुधार हो रहा है।
जगत प्रकाश नड्डा ने एम्स बिलासपुर में इसके संचालन के कुछ ही समय में प्रत्यारोपण सेवाएं शुरू होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि “एम्स बिलासपुर में किडनी प्रत्यारोपण सेवाओं की शुरुआत संस्थान के इतिहास में एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है और यह हिमाचल प्रदेश में प्रत्यारोपण सेवाओं की उपलब्धता में लंबे समय से चली आ रही कमी को पूरा करेगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि “किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत वाले लोगों के लिए राज्य के अंदर उपलब्ध इस जीवन रक्षक चिकित्सा के साथ, 2 करोड़ रुपये का प्रारंभिक अनुदान स्वीकृत किया गया है, जो ऐसे गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करेगा, जिनके पास ऐसे महंगे उपचार के लिए संसाधनों की कमी है।” केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह सुविधा पीएमजेएवाई और हिमकेयर स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत भी उपलब्ध है। यह सुविधा निकट भविष्य में मल्टीऑर्गन और बोन मैरो प्रत्यारोपण सेवाओं की स्थापना के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी। इससे हर साल 50-100 रोगियों की मदद होने की उम्मीद है और साथ ही इससे अंगदान के बारे में जागरूकता भी बढ़ेगी।
अपने दौरे के दौरान जगत प्रकाश नड्डा ने संस्थान की विभिन्न सुविधाओं का दौरा किया तथा विभिन्न रोगी देखभाल सेवाओं की उपलब्धता और उनकी कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी ली।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने संस्थान के कामकाज की समीक्षा की और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहलों के कार्यान्वयन का मूल्यांकन करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। समीक्षा बैठक के दौरान अनुराग ठाकुर, सांसद (लोकसभा), जय राम ठाकुर, पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता, हिमाचल प्रदेश और एम्स बिलासपुर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए संस्थान की उपलब्धियों, वर्तमान परियोजनाओं और भविष्य के लक्ष्यों पर चर्चा की गई।
समीक्षा के दौरान, जगत प्रकाश नड्डा ने 3 अक्टूबर, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसकी आधारशिला रखे जाने के बाद से एम्स बिलासपुर के उल्लेखनीय विकास की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि संस्थान ने अपने शुरू होने के बाद से महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इसमे मई 2021 में टेलीमेडिसिन सेवाओं की सफल शुरुआत भी शामिल है, जिसने अब तक हिमाचल प्रदेश में 20,000 से अधिक रोगियों की मदद की है। ओपीडी, रेडियोलॉजी और डायग्नोस्टिक सुविधाएं सीमित क्षमता में खोली गईं। एम्स बिलासपुर में 250 बिस्तरों वाली सेवाओं, आपातकालीन और ट्रॉमा देखभाल सेवाओं और एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी उन्नत डायग्नोस्टिक्स सेवाएँ उपलब्ध है। जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि “इस साल की शुरुआत में खोली गई कार्डियक कैथ लैब और रेडियोथेरेपी सेवाओं जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं ने आम जनता के लाभ के लिए विशेष सेवाएं प्रदान करने की संस्थान की क्षमता को मजबूत किया है”।
विभिन्न स्नातक, स्नातकोत्तर और सुपर-स्पेशियलिटी चिकित्सा पाठ्यक्रमों, बीएससी (ऑनर्स) (नर्सिंग) और बीएससी (संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान) पाठ्यक्रमों में अब 614 छात्र अध्ययन कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के प्रति एम्स बिलासपुर के समर्पण पर संतोष व्यक्त किया। यह अनुमान है कि 2025 में पीएचडी कार्यक्रमों की शुरूआत से चिकित्सा अनुसंधान में एम्स बिलासपुर के विद्वत्तापूर्ण योगदान में वृद्धि होगी।
केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि पावरग्रिड द्वारा प्रायोजित 25.6 करोड़ रुपये की लागत से 250 बिस्तरों वाले रात्रि आश्रय (विश्राम सदन) के निर्माण का कार्य बहुत जल्द शुरू होने जा रहा है। जगत प्रकाश नड्डा ने संस्थान के लिए 178 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी की भी घोषणा की। इनमें 72 आवासीय इकाइयां, 204 बिस्तरों वाला यूजी बॉयज हॉस्टल, 334 बिस्तरों वाला यूजी गर्ल्स हॉस्टल, नर्सिंग और संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान महाविद्यालय के लिए 4 व्याख्यान कक्ष और 538 किलोवाट प्रति घंटा क्षमता का सोलर रूफटॉप पावर प्लांट शामिल हैं। उन्होंने 22 करोड़ रुपये की लागत से एक पीईटी-सीटी मशीन की खरीद की भी घोषणा की, जिसकी स्थापना का काम चल रहा है। हिमाचल प्रदेश में इस सुविधा की उपलब्धता से कैंसर और सूजन संबंधी बीमारियों के रोगियों के उपचार में सुधार होगा।
जगत प्रकाश नड्डा ने एम्स बिलासपुर में 18 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से क्षेत्रीय वीआरडीएल (वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी) स्थापित करने के लिए भारत सरकार की मंजूरी की घोषणा की। इसके अलावा, उन्होंने घोषणा की कि सरकार ने एनेस्थिसियोलॉजी, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन और ट्रॉमा, इमरजेंसी एंड क्रिटिकल केयर जैसे विषयों में क्रमश: 6, 3 और 10 सहायक प्रोफेसरों सहित कुल 29 पदों के अलावा विभिन्न श्रेणियों के 98 गैर-संकाय पदों का सृजन किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन पदों को भरने से प्रयोगशालाओं का चौबीसों घंटे संचालन संभव होगा और साथ ही महंगे उपकरणों और अत्याधुनिक मशीनों का उचित उपयोग होगा, जिससे ऑपरेशन थिएटर का प्रभावी संचालन हो सकेगा।
समीक्षा के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। एम्स बिलासपुर ने दूरदराज के स्थानों से मरीजों और मेडिकल नमूनों को स्थानांतरित करने में लगने वाले समय को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए जिला स्वास्थ्य संसाधनों के साथ अपने ड्रोन और एम्बुलेंस सेवाओं को एकीकृत करने का प्रस्ताव रखा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य सेवा में ड्रोन तकनीक के प्रस्तावित उपयोग, एम्बुलेंस सेवाओं के साथ इसके एकीकरण की सराहना की और निकट भविष्य में इसके कार्यान्वयन के लिए सभी प्रकार के समर्थन का आश्वासन दिया।
जगत प्रकाश नड्डा ने क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने एम्स बिलासपुर द्वारा अपनी स्थापना के बाद से ही की गई प्रगति की सराहना की और इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल प्रदेश और पड़ोसी क्षेत्रों के लोगों को भारत सरकार और राज्य सरकार के सक्रिय सहयोग से संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली शीर्ष चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से भरपूर लाभ मिलता रहेगा।
हिमाचल प्रदेश और पड़ोसी क्षेत्रों के लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एम्स बिलासपुर में 17 क्लिनिकल वाइड स्पेशलिटी और 13 सुपर-स्पेशलिटी विभागों सहित 38 विभागों की स्थापना ने इसके चिकित्सा पेशकश के दायरे को काफी बढ़ा दिया है। इस सुविधा में कई गहन देखभाल इकाइयां (आईसीयू) हैं, जिनमें मेडिकल, सर्जिकल, बाल चिकित्सा और नवजात आईसीयू और 690 ऑपरेशनल बेड शामिल हैं। पूर्ण रूप से शुरू करने के बाद से, संस्थान ने 5,00,000 से अधिक बाह्य रोगियों और 35,000 आंतरिक रोगियों का इलाज किया है, जो चिकित्सीय और नैदानिक सेवाओं की अपनी विस्तारित श्रृंखला के माध्यम से जीवन रक्षक उपचार प्रदान करते हैं। संस्थान पहले से ही जटिल सर्जिकल प्रक्रियाएं, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, कार्डियक कैथ लैब इंटरवेंशन, कार्डियक स्टेंट प्लेसमेंट प्रक्रिया, न्यूरोसर्जरी और संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी कर रहा है।
व्यापक कैंसर देखभाल सेवाएँ पूर्ण रूप से काम कर रहे रेडियोथेरेपी विभाग में उपलब्ध हैं, जो लिनियर ऐक्सलरटरी बीम थेरेपी और कीमोथेरेपी सुविधा प्रदान करता है। न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में गामा कैमरा और पीईटी सीटी सुविधा की स्थापना से कैंसर देखभाल सेवाओं को देश में कहीं भी उपलब्ध सर्वोत्तम स्तर तक बढ़ाया जाएगा।
इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की संयुक्त सचिव अंकिता मिश्रा बुंदेला, एम्स बिलासपुर के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रणदीप गुलेरिया, एम्स बिलासपुर के कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) वीर सिंह नेगी, संकाय सदस्य और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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