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Union Minister Arjun Ram Meghwal attended the 12th Session of the Justice Ministers Meeting (JMM) of SCO Member States through video conferencing
भारत

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एससीओ के सदस्य देशों के न्याय मंत्रियों की बैठक (जेएमएम) के 12वें सत्र में शामिल हुए

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 29 अक्टूबर 2025 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के न्याय मंत्रियों की बैठक (जेएमएम) के 12वें सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

इससे पहले, दिनांक 04.09.2025, 30.09.2025 और 14.10.2025 को तीन विशेषज्ञ कार्य समूह बैठकें आयोजित की गई जिनमें कानूनी मामलों के विभाग, न्याय विभाग, विधायी विभाग और गृह मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। इन बैठकों का आयोजन सदस्य राज्य रूस द्वारा किया गया जिनमें आज होने वाले जेएमएम बैठक के दौरान हस्ताक्षरित होने वाले संयुक्त वक्तव्य पर विचार-विमर्श किया गया और उसे अंतिम रूप प्रदान किया गया। बैठकें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की गईं।

बैठक में बेलारूस गणराज्य के न्याय मंत्री एवगेनी कोवलेंको, भारत के विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल, ईरान इस्लामी गणराज्य के न्याय मंत्री अमीन हुसैन रहीमी, कजाकिस्तान गणराज्य के न्याय मंत्री एर्लान सरसेम्बायेव, चीनी गणराज्य के न्याय मंत्री ही झोंग, किर्गिज गणराज्य के न्याय उप मंत्री एस.टी. यजाकोवा, पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य के विधि एवं न्याय मंत्री आजम नजीर तरार, ताजिकिस्तान गणराज्य के न्याय मंत्री एम.के. अशुरियन और उज्बेकिस्तान गणराज्य के न्याय मंत्री ए.डी. ताशकुलोव ने भाग लिया। एससीओ के उप महासचिव खान सोहेल ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया।

एससीओ सदस्य देशों के न्याय मंत्रियों की सभा को संबोधित करते हुए, केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने सभी के लिए न्याय तक सस्ता एवं सुलभ पहुंच प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई पहलों को रेखांकित किया। पिछले एक दशक से ज्या समय में, प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में और विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के साथ, अर्जुन राम मेघवाल ने इस बात पर बल दिया कि भारत ने अपनी न्याय प्रणाली में व्यापक परिवर्तन किया है और सुलभ, समावेशी एवं प्रौद्योगिकी-संचालित न्याय के दृष्टिकोण को अपनाया है।

उन्होंने समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने के भारत के प्रयासों पर प्रकाश डाला। इस संबंध में, उन्होंने विवादों के निपटारे के लिए एक प्रभावी साधन, ई-लोक अदालत के शुभारंभ की भी जानकारी दी, जो प्रौद्योगिकी एवं वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तंत्रों से मिलकर बना है और देश के नागरिकों को एक तेज़, पारदर्शी एवं सुलभ विकल्प प्रदान करता है। उन्होंने उपस्थित गणमान्यों को जानकारी दिया कि भारत सरकार एडीआर के माध्यम से विवादों को सुलझाने, वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम तथा मध्यस्थता एवं सुलह कानूनों सहित व्यापार को सुविधाजनक बनाने वाले कानूनों एवं नियमों का निर्माण करने को उच्च प्राथमिकता प्रदान कर रही है जिससे भारत को निवेश एवं व्यापार के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बनाया जा सके।

केंद्रीय मंत्री ने न्याय मंत्रियों के मंच की गतिविधियों के भाग के रूप में, एससीओ सदस्य देशों से इस प्रतिष्ठित मंच के माध्यम से चिन्हित क्षेत्रों में विचारों, सर्वोत्तम प्रथाओं एवं अनुभवों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने एससीओ मंच द्वारा की जा रही गतिविधियों के दायरे को व्यापक बनाने के महत्व पर भी बल दिया।

इस सत्र में अन्य बातों के अलावा सहयोग के क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया गया; कानूनी सूचनाओं के पारस्परिक आदान-प्रदान की अत्यधिक प्रासंगिकता पर बल दिया गया और एडीआर तंत्र में सहयोग की आवश्यकता को स्वीकार किया गया। इसके अलावा, चर्चा में एससीओ सदस्य देशों के न्याय मंत्रालयों की गतिविधियों के डिजिटलीकरण के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। प्रतिभागियों ने सर्वसम्मति से इस विषय के विशेष महत्व को स्वीकार किया और कानूनी क्षेत्र में डिजिटल उपकरणों को और बेहतर बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

एससीओ सदस्य देशों के (कानून और) न्याय मंत्रियों ने कानूनी प्रणालियों के विकास संबंधित मुद्दों पर आपसी समझ पर बल देते हुए और “2035 तक एससीओ विकास रणनीति” में निर्धारित समझौतों एवं कार्यों को ध्यान में रखते हुए, निम्नलिखित घोषणाएं की:-

  1. एससीओ चार्टर के लक्ष्यों एवं सिद्धांतों, एससीओ सदस्य देशों के बीच दीर्घकालिक अच्छे पड़ोसी संबंध, मैत्री एवं सहयोग पर संधि और 2035 तक एससीओ विकास रणनीति के अनुसार एससीओ सदस्य देशों के (कानून और) न्याय मंत्रालयों के बीच सहयोग जारी रखना।
  2. एससीओ सदस्य देशों के विधि एवं न्याय मंत्रालयों के बीच कानूनी क्षेत्र में सहयोग को और ज्यादा मजबूत करना।
  3. कानूनी सहयोग पर सम्मेलन, मंच, सेमिनार तथा अनुभव का आदान-प्रदान करने के लिए प्रासंगिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।

बैठक के प्रतिभागियों ने कानून एवं न्याय के क्षेत्र में दीर्घकालिक साझेदारी के महत्व पर ध्यान केंद्रीत किया, जो एससीओ के कार्य के प्रमुख क्षेत्रों में से एक बन चुका है और संगठन के विकास के लिए इसके रणनीतिक मूल्य की पुष्टि की।

एससीओ सदस्य देशों के न्याय मंत्रियों के 12वें सत्र के परिणामों के बाद एक संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया गया।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल, विधि सचिव डॉ. अंजू राठी राणा, विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (एससीओ) आलोक अमिताभ डिमरी, संयुक्त सचिव एवं विधि सलाहकार जापान बाबू, फोरेंसिक विज्ञान सेवा निदेशालय के निदेशक-सह-मुख्य फोरेंसिक वैज्ञानिक डॉ. एस.के. जैन, संयुक्त सचिव एवं विधायी परामर्शदाता रेणु सिन्हा, न्याय विभाग की निदेशक मोनिका रानी और विदेश मंत्रालय में सलाहकार अमित जखमोला शामिल थे।

एससीओ सदस्य देशों के न्याय मंत्रियों की बैठक (जेएमएम) के अगले सत्र का आयोजन 2026 में ताजिकिस्तान गणराज्य में किया जाएगा।

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