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केंद्रीय मंत्री सी.आर. पाटिल ने गंगा संरक्षण अधिकार प्राप्‍त कार्य बल की 12वीं बैठक की अध्यक्षता की

जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने राज्य मंत्री डॉ. राज भूषण चौधरी की उपस्थिति में गंगा संरक्षण पर अधिकार प्राप्त कार्य बल (ईटीए फ) की 12वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के ओएसडी, अशोक के. मीणा, राकेश कुमार वर्मा (एएस), राजीव कुमार मित्तल (डीजी), कार्यकारी निदेशक और ऊर्जा मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रतिनिधियों सहित वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। इस बैठक में अनुराग श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश सरकार; सुनील कुमार यादव, अतिरिक्‍त सचिव, बिहार सरकार; शैलेश बगौली, सचिव, उत्तराखंड सरकार; सुनील कुमार, प्रधान सचिव, झारखंड सरकार और नंदिनी घोष, परियोजना निदेशक एसपीएमजी पश्चिम बंगाल भी उपस्थित हुए।

राजीव कुमार मित्तल, महानिदेशक, एनएमसीजी ने विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत प्रस्तुति दी और पिछली बैठक के बाद हुई सभी प्रगतियों की जानकारी मंत्री को दी।

बैठक के दौरान, गंगा नदी के कायाकल्प के लिए एक व्यापक कार्य योजना पर चर्चा हुई। प्रमुख विषयों में नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति शामिल है, जिसमें उपचारित पानी के पुन: उपयोग, जैव विविधता संरक्षण, प्रदूषित नदी क्षेत्रों का उपचार, नदी कार्य योजना और प्राकृतिक खेती के कार्यान्वयन पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। मंत्री ने गंगा नदी से संबंधित परियोजनाओं की प्रगति की सुक्ष्म निगरानी और मूल्यांकन करने के लिए हितधारकों के बीच एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया और समर्पित संरक्षण प्रयासों के माध्यम से पवित्र नदी की पवित्रता को संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। नदी की सफाई में ग्रामीण एवं शहरी स्वच्छता प्रयासों की बड़ी भूमिका है और समयबद्ध रूप से अवसंरचना निर्माण के लक्ष्यों को पूरा करने का निर्देश दिया गया।

जल शक्ति मंत्री ने राज्य सरकारों को प्रदूषण उन्मूलन कोशिशों को पूरा करने में एनएमसीजी की सहायता करने का निर्देश दिया, जिससे नदी सफाई की कोशिश को अगले स्तर तक पहुंचाया जा सके:

सीआर पाटिल ने देश में गंगा नदी के आध्यात्मिक जुड़ाव पर बल दिया और निर्देश दिया कि इस पवित्र नदी के तट पर पर्यटन संभावनाओं का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था विकसित होगी और अवसंरचना को भी बढ़ावा मिलेगा।

उपचारित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग

  1. जल शक्ति मंत्री ने उपचारित पानी के पुन: उपयोग पर बल दिया और उल्लेख किया कि उपचारित पानी का पुन: उपयोग करने की आवश्यकता है और इसे एक महत्वपूर्ण संसाधन माना जाना चाहिए। पुन: उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए और सभी संभावित विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  2. उन्होंने उल्लेख किया कि एनएमसीजी द्वारा उपचारित जल के पुन: उपयोग के लिए एक राष्ट्रीय संरचना जारी किया गया है और निर्देश दिया कि सभी राज्यों को राष्ट्रीय संरचना के अनुरूप अपनी संरचना को विकसित/अपडेट करना चाहिए।
  3. उन्होंने निर्देश दिया कि विद्युत मंत्रालय को इस क्षेत्र में उपचारित पानी के पुन: उपयोग को सुनिश्चित करना चाहिए और बढ़ावा देना चाहिए। इस क्षेत्र में ताजे पानी के उपयोग की लागत पर ध्यान देते हुए पुन: उपयोग के अर्थशास्त्र पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है।
  4. बैठक में इस बात पर भी ध्यान दिया गया कि निर्माण और अन्य क्षेत्रों में पुन: उपयोग पर भी गौर किया जाएगा।

सीआर पाटिल ने इस बात पर भी बल दिया कि शहरी नदी प्रबंधन योजनाएं शहरी स्तर पर नदी कायाकल्प प्रयासों के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती हैं और इन्हें शहरी नदियों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने बल देकर कहा कि रिवर सिटी एलायंस (आरसीए) को नदी शहरों के बीच सह-शिक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और नदी संबंधी मुद्दों का समाधान करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करना चाहिए। उन्होंने स्वच्छ नदियों के लिए स्मार्ट लैब की अवधारणा की सराहना की, जिसे डेनमार्क और आईआईटी (बीएचयू) के सहयोग से विकसित किया जा रहा है और इससे देश में छोटी नदियों का कायाकल्प करने में मदद मिलेगी।

मंत्री ने गंगा बेसिन के किनारे प्राकृतिक खेती को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि इससे नदी कायाकल्प में मदद मिलेगी। कृषि मंत्रालय ने उल्लेख किया कि वे एनएमसीजी की इस पहल का समर्थन करेंगे और इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से सहयोग करेंगे। केंद्रीत दृष्टिकोण के साथ प्राकृतिक खेती के अंतर्गत गतिविधियों को बढ़ाने के लिए एक कार्य योजना तैयार की जाएगी।

एक संस्थागत विकास पहल के रूप में, डीजीसी को पहल के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग और एनएमसीजी द्वारा संयुक्त रूप से स्वच्छ गंगा कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

मंत्री ने नदी कायाकल्प के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में सभी हितधारकों द्वारा सहयोगात्मक प्रयासों पर बल दिया और उल्लेख किया कि ईटीएफ नदी संबंधित मुद्दों पर केंद्रित विचार-विमर्श के लिए एक मंच प्रदान करता है। उन्होंने उल्लेख किया कि गंगा नदी कायाकल्प के प्रयासों को अगले स्तर तक ले जाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सभी हितधारक मिलकर काम करेंगे और इसे एक मॉडल बनाएंगे।

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