आज यहां दिल्ली के होटल ताज में “अमेरिका चैंबर ऑफ इंडिया” (एएमसीएचएएम) के दूसरे “हेल्थकेयर शिखर सम्मेलन” को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सुलभ, किफायती स्वास्थ्य सेवा के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया।
केंद्रीय मंत्री ने भारत को दुनिया के शीर्ष 6 जैव-विनिर्माताओं में से एक बताया, जो सबसे अधिक किफायती और प्रभावी जैव-विनिर्माण के साथ-साथ लागत प्रभावी स्वास्थ्य सेवा गंतव्य में से एक है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “मैं इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा शिखर सम्मेलन के आयोजन और भारत में स्वास्थ्य सेवा के सरकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए एएमसीएचएएम के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं।” उन्होंने इस समुदाय के सम्मेलन का हिस्सा बनने और स्वास्थ्य, जो उनकी रुचि का क्षेत्र है, पर चर्चा करने पर अपनी खुशी व्यक्त की।
संयोग से, मंत्री महोदय स्वयं एक प्रसिद्ध एंडोक्राइनोलॉजिस्ट हैं, जिनका चिकित्सा जगत में तीन दशक लंबा करियर है। उन्होंने मेटाबॉलिक संबंधी विकारों के बढ़ते बोझ और इसके कारण होने वाली चुनौतियों पर जोर दिया, जो कई तरह की बीमारियों और बढ़ती उम्र के साथ नई बीमारियों को जन्म देती हैं।
मंत्री महोदय ने शिखर सम्मेलन की थीम, ‘अभिनव एवं सुलभ स्वास्थ्य सेवा में तेजी लानाः प्रौद्योगिकी परिवर्तन’ की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह थीम भारत के समकालीन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों और सभी के लिए किफायती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के सरकारी प्रयासों के लिए काफी प्रासंगिक है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रकार के शिखर सम्मेलन प्रमुख हितधारकों – स्वास्थ्य पेशेवरों, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं और उद्योग जगत के प्रमुखों को स्वास्थ्य सेवा में अमेरिका-भारत साझेदारी को मजबूत करने पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच पर लाने में सहायक होते हैं।
हाल के दिनों में स्वास्थ्य सेवा में आए बदलाव पर बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास संचारी रोगों के उन्मूलन और गैर-संचारी रोगों में कमी, स्वास्थ्य सूचकांकों के विकास और निरंतर प्रगति के साथ एक स्वस्थ भारत का विजन है।” उन्होंने कहा, “भारत ने कोविड महामारी में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया; यह इस बात की पुष्टि करता है कि मोदी सरकार 3.0 का दृढ़ विश्वास है कि सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रत्येक नागरिक का अधिकार है।
“वे दिन चले गए जब लोग चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए दूसरे विकसित देशों में जाते थे; अब भारत चिकित्सा का एक केंद्र है, जो चिकित्सा पर्यटन के लिए पसंदीदा गंतव्य है और निवारक स्वास्थ्य सेवा में अग्रणी देशों में से एक है।” विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री के अनुसार, पिछले दशक में, स्वास्थ्य सेवा सरकार की प्राथमिकता रही है। उन्होंने आयुष्मान कार्ड जैसी उपलब्धियों को याद किया, जिसने नागरिकों को कैशलेस चिकित्सा उपचार सुनिश्चित किया। डिजिटल हेल्थकेयर मिशन, पीएम जन औषधि और आयुष जैसे चिकित्सा के अन्य क्षेत्रों के साथ एकीकरण आदि इसका उदाहरण हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा तक समान पहुंच सुनिश्चित करने में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में क्रांति ला रही है, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) उपकरणों का एकीकरण हमारी क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर हम दक्षता बढ़ा सकते हैं, प्रतीक्षा समय कम कर सकते हैं और समग्र स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार कर सकते हैं। टेलीमेडिसिन के अपने अनुभव को साझा करते हुए मंत्री ने बताया कि इसने स्वास्थ्य सेवा को कैसे बदल दिया है और जम्मू एवं कश्मीर के दूरदराज के गांवों तक भी सेवाएं सुलभ बना दी हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग पर बल दिया। यह समझना महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है; निजी भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है और हमें एक समग्र समाज के रूप में सही दिशा में कदम उठाने होंगे। मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने से कुछ ही महीनों में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का निजी निवेश हुआ है और 2022 में एक स्टार्टअप से बढ़कर वर्तमान में स्टार्टअप की संख्या 200 से अधिक हो गई है और इनकी क्षमता वैश्विक है।
मंत्री महोदय ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रयासों और ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान में अनुसंधान व विकास को बढ़ावा देने के लिए उनकी उपलब्धियों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि जैव-विनिर्माण और जैव-फाउंड्री 2014 में 13 बिलियन डॉलर से 10 गुना बढ़कर 2024 में 130 बिलियन डॉलर हो गई है।
फार्मास्यूटिकल क्षेत्र की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा, “भारत अमेरिका में लिखे जाने वाले हर दस डॉक्टर के पर्चों में से चार की आपूर्ति करता है, जो हमारी फार्मास्यूटिकल विनिर्माण क्षमताओं को दर्शाता है।” उन्होंने आगे कहा कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी महत्वपूर्ण है।
शिखर सम्मेलन में एएमसीएचएएम की महानिदेशक सीईओ रंजना खन्ना, एएमसीएचएएम के अध्यक्ष एवं इंडिया हेवलेट पैकार्ड एंटरप्राइज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सोम सत्संगी, भारतीय औषधि महानियंत्रक डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी, बोस्टन साइंटिफिक के भारत उपमहाद्वीप के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मदन कृष्णन और विप्रो जीई हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक चैतन्य सरवटे ने भी भाग लिया।