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Union Minister for Environment, Forest and Climate Change Bhupender Yadav participated in the 11th Joint Crediting Mechanism (JCM) Partner Countries Meeting
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केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 11वीं जॉइंट क्रेडिटिंग मैकेनिज्म (जेसीएम) के साझेदार देशों की बैठक में हिस्सा लिया

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 11वीं जॉइंट क्रेडिटिंग मैकेनिज्म (जेसीएम) के साझेदार देशों की बैठक में हिस्सा लिया। यह बैठक 19.11.2025 को जापान के पर्यावरण मंत्रालय ने आयोजित की। बैठक ब्राजील के बेलेम में यूएनएफसीसीसी कॉप 30 के दौरान हुई। बैठक की अध्यक्षता जापान के पर्यावरण मंत्री हिरोताका इशिहारा ने की। संयुक्त ऋण व्यवस्था (जेसीएम) मूल रूप से जापान द्वारा शुरू की गई द्विपक्षीय पहल है, जो भारत जैसे साझेदार देशों में निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों और निवेश के प्रवाह को प्रोत्साहित करती है। इस व्यवस्था के तहत, परियोजनाओं से होने वाले उत्सर्जन में कमी का श्रेय साझेदार देश और जापान दोनों को संयुक्त रूप से दिया जाता है, जिससे उन्हें अपने-अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलती है। उन्होंने जेसीएम साझेदार देशों के मंत्रियों और प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर इस प्रक्रिया की समीक्षा की। उन्होंने दोनों देशों के जलवायु सहयोग को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।

शुरुआती भाषण में इशिहारा ने बताया कि जेसीएम ने अपने साझेदारों की सूची बढ़ाकर 31 कर दी है और पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के अनुसार 280 से ज़्यादा परियोजनाएं लागू की जा रही हैं। उन्होंने आशा प्रकट कीकि लंबे समय के निवेश के लिए रूपरेखा बनाकर, जलवायु लचीली परियोजनाओं में साझेदार देशों के लिए भागीदारी के अवसर पक्के करके और क्षमता बढ़ाने के कार्यक्रमों को समर्थन करके, दुनिया भर में सहयोग का विस्तार किया जाएगा।

इस अवसर पर भूपेंद्र यादव ने ऐसे समय में सहयोग व्यवस्था के महत्व पर ज़ोर दिया जब दुनिया मापन योग्य, समान और प्रौद्योगिकी-चालित जलवायु समाधान ढूंढ रही है। उन्होंने ज़ोर दिया कि जेसीएम जैसी व्यवस्था “ विशेषरूप से विकासशील देशों के लिए, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को समर्थन प्रदान करते हुए जलवायु कार्रवाई के प्रयासों को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं।” उन्होंने कहा कि भारत और जापान के बीच “विश्वास, प्रौद्योगिकी सहयोग और टिकाऊ विकास के लिए साझा प्रतिबद्धता पर आधारित लंबे समय से चली आ रही साझेदारी है।”

भारत-जापान सहयोग ज्ञापन पर 07.08.2025 को हस्ताक्षर होने का ज़िक्र करते हुए, भूपेंद्र यादव ने ज़ोर देकर कहा कि जेसीएम पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के अनुसार है और “सरकारों और निजी क्षेत्रों दोनों को मिलकर जलवायु परिवर्तन का असर कम करने की परियोजनाएं विकसित करने, फाइनेंस जुटाने, उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और इससे होने वाले उत्सर्जन में कमी को पारदर्शी तरीके से बांटने के लिए स्पष्ट रूपरेखा प्रदान करती है”। उन्होंने यह भी कहा कि यह इस बात का उदाहरण है कि कैसे द्विपक्षीय सहयोग व्यावहारिक और आपसी लाभ वाले तरीके से बहुपक्षीय लक्ष्यों को मज़बूत कर सकता है।

मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जेसीएम सीधे तौर पर भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान और दीर्घावधि निम्न उत्सर्जन विकास रणनीति में योगदान देगा। उन्होंने कहा कि “अनुच्छेद 6 को लागू करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित एजेंसी द्वारा मंज़ूर की गई निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी हमारे दीर्घावधि लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी”।

भूपेंद्र यादव ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस व्यवस्था से उन्नत निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी को लागू करने के लिए निवेश, प्रौद्योगिकी तैनाती और क्षमता निर्माण समर्थन को आसान बनाने की आशा है। उन्होंने कहा कि इससे घरेलू इकोसिस्टम बनाने और हाई-टेक्नोलॉजी इंटरवेंशन को स्थानीय रूप देने में मदद मिलेगी, साथ ही भारत के टिकाऊ विकास लक्ष्यों में भी योगदान मिलेगा।

भूपेंद्र यादव ने साझेदारों को बताया कि इसे लागू करने की रूपरेखा पर काम अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है। कार्यान्वयन के नियम और मुख्य एक्टिविटी-साइकिल डॉक्यूमेंट्स फाइनल होने के अग्रिम चरण में हैं। भारत में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो भी इंडियन कार्बन मार्केट पोर्टल डेवलप कर रहा है। उन्होंने बताया कि पोर्टल में अनुच्छेद 6 के तहत संयुक्त ऋण व्यवस्था और दूसरे सहयोगात्मक तरीकों के लिए समर्पित मॉड्यूल शामिल होगा, जिससे पारदर्शिता, दक्षता बढ़ाने और परियोजना को आसान बनाने में सुविधा सुनिश्चित होगी।

भविष्य के रास्तों की जानकारी देते हुए, मंत्री ने कहा कि जेसीएम गतिविधियां भंडारण के साथ नवीकरणीय ऊर्जा, टिकाऊ विमान ईंधन, कम्प्रेस्ड बायोगैस,ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में, और स्टील, सीमेंट और केमिकल्स जैसे कठिन क्षेत्रों शामिल होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि ये क्षेत्र “भारत की विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं और सहयोग के लिए महत्वपूर्ण अवसर देते हैं।”

भूपेंद्र यादव ने जापान और सभी जेसीएम साझेदार देशों के साथ मिलकर काम करने के भारत की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की और कहा,

“जापान के साथ हमारा सहयोग दिखाता है कि कैसे पूरी सत्यनिष्ठा, सहयोगात्मक व्यवस्था सही प्रौद्योगिकी की तैनाती में निवेश का समर्थन कर सकती हैं और साथ ही पेरिस समझौते को लागू करने की प्रक्रिया भी मज़बूत कर सकती हैं”। भाषण के अंत में, उन्होंने मिलकर काम करने की अपील की ताकि यह पक्का हो सके कि जेसीएम “पारदर्शी, असरदार और सामान जलवायु साझेदारी के लिए मॉडल” बने।

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