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Union Minister G. Kishan Reddy inaugurated the state's first commercial coal mine at Namchik Namphuk
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केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने नामचिक नामफुक में राज्य की पहली वाणिज्यिक कोयला खदान का उद्घाटन किया

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने आज अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के साथ चांगलांग जिले में नामचिक नामफुक कोयला खदान का उद्घाटन किया, जो राज्य की पहली वाणिज्यिक कोयला खनन परियोजना के रूप में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा। यह आयोजन अरुणाचल प्रदेश की आर्थिक यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ता है, जो इसे भारत के कोयला और ऊर्जा मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करता है।

इस ऐतिहासिक अवसर पर, केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने परियोजना स्थल पर भूमि पूजन किया और ‘‘100 वृक्षारोपण पहल’’ के अंतर्गत वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया। इसके बाद नामचिक नामफुक कोयला खदान का औपचारिक उद्घाटन किया गया। इस कार्यक्रम में खनन पट्टा सौंपे जाने और नामचिक-नामफुक सेंट्रल कोल ब्लॉक के लिए सीपीपीएल के उपकरणों और मशीनरी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया, जिससे खनन कार्यों की आधिकारिक शुरुआत हुई।

केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला और बाद में मीडियाकर्मियों से बातचीत की। उन्होंने इस शुरुआत को ‘‘नयी आशा का प्रतीक और पूर्वोत्तर में ऊर्जा सुरक्षा एवं क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम’’ बताया। उन्होंने बताया कि नामचिक नामफुक कोयला खदान में 1.5 करोड़ टन कोयले का भंडार है और यह आज से चालू हो गई है।

परियोजना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने नामचिक नामफुक कोयला खदान का स्वागत किया और राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, रोजगार के अवसर पैदा करने एवं अरुणाचल प्रदेश के लिए स्थिर राजस्व सृजित करने में इसकी भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पहल स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाएगी तथा राज्य के खनन एवं औद्योगिक क्षेत्रों में भविष्य में निवेश आकर्षित करेगी।

नामचिक नामफुक कोयला खदान पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और साथ ही, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भारत की यात्रा को मजबूती प्रदान करेगी। इससे न केवल स्थानीय रोजगार और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता में क्षेत्र का योगदान भी बढ़ेगा।

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