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Union Minister Hardeep S. Puri speaks about India's ambition to lead the global green hydrogen market at the 2nd International Conference on Green Hydrogen
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केंद्रीय मंत्री हरदीप एस. पुरी ने ग्रीन हाइड्रोजन पर दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन बाजार का नेतृत्व करने की भारत की महत्वाकांक्षा के बारे में बताया

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज ग्रीन हाइड्रोजन (आईसीजीएच) पर दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। इसमें ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात में वैश्विक नेतृत्व करने की भारत की प्रतिबद्धता के बारे में बताया। यह सम्मेलन 11 से 13 सितंबर तक भारत मंडपम में हो रहा है। इसे नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है।

अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने “भविष्य के ईंधन” के रूप में हरित हाइड्रोजन की क्षमता में अपना दृढ़ विश्वास व्यक्त किया और हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन और निर्यात दोनों में अग्रणी होने की भारत की क्षमता पर बल दिया। उन्होंने भारत में हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की कई पहलों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश की वार्षिक हाइड्रोजन खपत का लगभग 54 प्रतिशत पेट्रोलियम रिफाइनिंग क्षेत्र में उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के माध्यम से रिफाइनरियों और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रणालियों में हरित हाइड्रोजन का उपयोग सुनिश्चित कर रहा है। केन्दीय मंत्री ने आगे बताया कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा 2030 तक 1 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है और बिल्ड-ओन-ऑपरेट (बीओओ) आधार पर इसकी खरीद के लिए निविदाएँ जारी करने की प्रक्रिया में हैं, जिसकी प्रारंभिक क्षमता ~42 किलो टन प्रति वर्ष है, जिसे बढ़ाकर 165 किलो टन प्रति वर्ष करने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (सीआईएएल) ने विमानन क्षेत्र में पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट विकसित करने के लिए भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) ने नौसेना को एक अत्याधुनिक ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस भी सौंपी और गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) ने मध्य प्रदेश के विजयपुर में एक प्लांट स्थापित किया है, जो 10 मेगावाट प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (पीईएम) इलेक्ट्रोलाइज़र का उपयोग करके 4.3 टन प्रति दिन हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सक्षम है।

ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के पिछले संस्करण के बाद से हाइड्रोजन क्षेत्र में हुई महत्वपूर्ण प्रगति पर हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पिछले सम्मेलन के बाद से भारत ने लगभग 3,000 मेगावाट की इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण क्षमता हासिल की है, ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में 412,000 टन प्रति वर्ष हासिल किया है, और 450,000 टन प्रति वर्ष ग्रीन हाइड्रोजन और 739,000 टन प्रति वर्ष ग्रीन अमोनिया के लिए निविदाएं जारी की हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ग्रीन हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में उच्च दक्षता और शून्य प्रत्यक्ष CO2 उत्सर्जन प्रदान करता है।

हरित हाइड्रोजन उत्पादन में भारत की रणनीतिक दृष्टि और क्षमता को रेखांकित करते हुए, हरदीप सिंह पुरी ने इस बात पर बल दिया कि भारत वैश्विक हाइड्रोजन मांग को पूरा करने के लिए शानदार स्थिति में है, इसके 2030 तक 200 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है। प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों और मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ, भारत हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में एक प्रमुख उत्पादक बनने के लिए तैयार है। हरदीप सिंह पुरी ने कम लागत वाली सौर ऊर्जा और पावर ग्रिड में महत्वपूर्ण निवेश के कारण भारत के प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त के बारे में बताया। देश की स्थापित सौर क्षमता 2014 में 2.6 गीगावाट से बढ़कर आज 85.5 गीगावाट हो गई है, जिसे दुनिया के सबसे बड़े सिंक्रोनस ग्रिड में से एक द्वारा समर्थित किया गया है। जो रुक-रुक कर अक्षय ऊर्जा का प्रबंधन करने में सक्षम है। यह भारत को हरित हाइड्रोजन के अग्रणी उत्पादक के रूप में स्थापित करता है, जो घरेलू और वैश्विक दोनों बाजारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार है।

केंद्रीय मंत्री ने भारत की महत्वाकांक्षी हरित हाइड्रोजन नीति और राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के बारे में विस्तार से बताया। हरित हाइड्रोजन नीति का लक्ष्य 2030 तक 5 मिलियन टन उत्पादन लक्ष्य हासिल करना है, जिसे जून 2025 से पहले शुरू की गई परियोजनाओं के लिए अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन शुल्क में 25 साल की छूट जैसे प्रोत्साहनों द्वारा समर्थित किया गया है। 19,744 करोड़ रुपये के शुरुआती निवेश के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से 2030 तक जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रुपये की उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है। इस पहल से संभवतः 6 लाख से अधिक नौकरियाँ सृजित होंगी और कुल 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा। इसके अतिरिक्त, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु सहित कई राज्य हरित हाइड्रोजन के उपयोग को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए नीतियाँ विकसित कर रहे हैं, जो हरित ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व करने की भारत की प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है।

अपने समापन भाषण में, हरदीप सिंह पुरी ने इस बात पर बल दिया कि जबकि वैश्विक हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला अभी भी विकसित हो रही है, भारत को हरित वित्तपोषण, व्यापार मार्गों और मानव संसाधन कौशल उन्नयन सहित चुनौतियों का समाधान करना चाहिए। उन्होंने भारत की एक समृद्ध हाइड्रोजन हब बनाने की क्षमता पर विश्वास व्यक्त किया, जिससे आर्थिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा को लाभ मिलेगा।

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