केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा रसायन और उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज नई दिल्ली से एक वीडियो संदेश के माध्यम से 11वें एशिया प्रशांत मेडटेक फोरम (एपीएसीमेड) 2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर बल दिया कि मेडटेक क्षेत्र भारत में स्वास्थ्य परिवर्तन का एक प्रमुख स्तंभ है। उन्होंने इस क्षेत्र के व्यापक दायरे को रेखांकित किया। इसमें निदान, उन्नत उपकरण, डिजिटल स्वास्थ्य और एआई-संचालित समाधान शामिल हैं – ये सभी स्वास्थ्य सेवा को प्रत्येक नागरिक के लिए अधिक सुलभ, कुशल और किफायती बनाने में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र उच्च-गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा का एक विश्वसनीय प्रदाता बन गया है। इसे पहुँच, नवाचार और बुनियादी ढाँचे के विकास पर सरकार से समर्थन प्राप्त है।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने उन्नत विनिर्माण, जटिल प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास तथा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकरण के माध्यम से भारत में एपीएसीमेड सदस्यों की बढ़ती उपस्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि फोरम का विषय और एजेंडा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।
जे. पी. नड्डा ने इस वर्ष के फोरम के चार विषयगत स्तंभों को रेखांकित किया :
- मेडटेक में वैश्विक नेतृत्व के लिए भारत को खोलना
- सीमाहीन नवाचार – बेहतर से सफलता की ओर
- सभी के लिए मेडटेक – आदर्श प्रदान करना और परिणाम प्राप्त करना
- मेडटेक का विस्तार – भारत के मेडटेक भविष्य में निवेश
उन्होंने बताया कि ये स्तंभ एक ऐसी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के साझा दृष्टिकोण का सार प्रस्तुत करते हैं, जो नवोन्मेषी, समावेशी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो। जे. पी. नड्डा ने विश्वास व्यक्त किया कि अगले दो दिनों के विचार-विमर्श से रणनीतियों को आकार मिलेगा, नए अवसर खुलेंगे और भारत को चिकित्सा प्रौद्योगिकी का वैश्विक केंद्र बनाने के मिशन को मजबूती मिलेगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने समारोह को संबोधित करते हुए भारत के मेडटेक और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को मज़बूत करने के लिए सरकार की कई प्रमुख पहलों को रेखांकित किया। इनमें घटक निर्माण को समर्थन देने के लिए एक नई योजना, साझा बुनियादी ढाँचे का विकास, ब्रांडिंग और महत्वपूर्ण बाज़ार और नैदानिक अध्ययन शामिल हैं।
उन्होंने सरकार की निवेशक-अनुकूल नीतियों पर भी बल दिया। इनमें चिकित्सा उपकरणों में शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, एक निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना और व्यापार को आसान बनाने और निर्यात के अवसरों को व्यापक बनाने के लिए एक राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण संवर्धन परिषद का गठन शामिल है।
अनुप्रिया पटेल ने कहा की “भारत न केवल एक उच्च-मात्रा वाले निर्माता के रूप में उभर रहा है, बल्कि वैश्विक मेडटेक बाज़ार में एक उच्च-मूल्य वाले देश के रूप में भी उभर रहा है। अगली छलांग सहयोग से आएगी और मैं सभी हितधारकों को भारत के साथ मिलकर ऐसे समाधान बनाने के लिए आमंत्रित करती हूँ जो हमारे 1 अरब 40 करोड़ नागरिकों और उभरते बाजारों की व्यापक स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं दोनों की पूर्ति करेंगे।”
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद के. पॉल ने कार्यक्रम में बोलते हुए चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान और विकास, सामर्थ्य और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए हाल के वर्षों में सरकार द्वारा किए गए परिवर्तनकारी उपायों की श्रृंखला की रूपरेखा प्रस्तुत की।
उन्होंने राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 को एक ऐतिहासिक कदम बताया, यह समग्र क्षेत्रीय विकास के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार करती है। फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और विकास और नवाचार नीति, आंध्र मेडटेक ज़ोन की तर्ज पर चिकित्सा उपकरण पार्कों का विकास, उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, और फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने (पीआरआईपी) की शुरुआत। इसे ब्रिक्स योजना के रूप में जाना जाता है और इसके पूरक के रूप में कार्य किया है।
एपीएसीमेड के एशिया प्रशांत क्षेत्र के अध्यक्ष जॉन कॉलिंग्स ने एक एकीकृत आवाज़ बनाकर देखभाल के मानकों को आगे बढ़ाने के एपीएसीमेड के उद्देश्य को रेखांकित किया। इससे उन्हें बाजार पहुँच बढ़ाने के लिए नियामक मानकों में सामंजस्य स्थापित करने हेतु नीति निर्माताओं के साथ जुड़ने का अवसर मिलता है।
16-17 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले इस दो दिन के फोरम का आयोजन एशिया पैसिफिक मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन द्वारा “स्वस्थ भारत – एक स्वस्थ भारत, साथ मिलकर” थीम के अंतर्गत किया जा रहा है। इस फोरम में एशिया प्रशांत क्षेत्र के 10 से ज़्यादा देशों के वरिष्ठ नीति निर्माताओं, वैश्विक उद्योग जगत के नेताओं, नियामकों और स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया गया है। इससे प्रधानमंत्री के हेल्थकेयर विज़न 2030 और विकसित भारत 2047 के अनुरूप भारत के मेडटेक रोडमैप को आकार देने की रणनीतियों पर चर्चा की जा सके।
2014 में स्थापित और सिंगापुर में मुख्यालय वाला, एशिया पैसिफिक मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन (एपीएसीमेड ) 350 से ज़्यादा अग्रणी चिकित्सा उपकरण कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है और विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नियामक मंच जैसी वैश्विक नियामक संस्थाओं के साथ मिलकर काम करता है। भारत में, एपीएसीमेड के 40 से ज़्यादा सदस्य संगठन उच्च-गुणवत्ता वाले और नवोन्मेषी स्वास्थ्य सेवा समाधानों तक पहुँच बढ़ाने के लिए सरकार और व्यापार संघों के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।