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Union Minister Jitendra Singh releases landmark RSSDI study 'Indian Diabetes Prevention Study (IPDS) on Yoga and Diabetes Prevention'
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केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ऐतिहासिक RSSDI अध्ययन ‘योग और मधुमेह की रोकथाम पर भारतीय मधुमेह रोकथाम अध्ययन (IPDS)’ जारी किया

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज “योग एवं मधुमेह निवारण” पर आरएसएसडीआई के ऐतिहासिक अध्ययन को जारी किया। डॉ. जितेंद्र सिंह मेडिसिन के प्रोफेसर, प्रसिद्ध मधुमेह विशेषज्ञ और मधुमेह शोधकर्ताओं एवं चिकित्सकों के विश्व के सबसे बड़े संगठन “रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया” (आरएसएसडीआई) के आजीवन संरक्षक भी हैं।

यह अध्ययन आरएसएसडीआई के प्रतिष्ठित सदस्यों के एक समूह द्वारा किया गया है जिसमें यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली में मधुमेह, एंडोक्राइनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म केंद्र के प्रमुख प्रोफेसर एसवी मधु, मुंबई के ग्रांट मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रमुख और वर्तमान में मधुमेह एंडोक्राइन पोषण प्रबंधन और अनुसंधान केंद्र, मुंबई के प्रमुख प्रोफेसर एचबी चंदालिया, मणिलेक रिसर्च सेंटर जयपुर के डॉ अरविंद गुप्ता और अन्य गणमान्य शामिल थे।

इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने टाइप-2 मधुमेह की रोकथाम में योग की परिवर्तनकारी क्षमता का उल्लेख किया। अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने इस अभूतपूर्व अध्ययन के उल्लेखनीय निष्कर्षों पर जोर दिया यह दर्शाता है कि कैसे योग प्री-डायबिटीज वाले व्यक्तियों में मधुमेह के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है।

अध्ययन की कुछ प्रमुख विशेषताओं के बारे में मंत्री महोदय को जानकारी देते हुए प्रथम लेखक प्रोफेसर एसवी मधु ने कहा कि रिसर्च सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) द्वारा शुरू किया गया “योग और टाइप 2 मधुमेह की रोकथाम- भारतीय मधुमेह रोकथाम अध्ययन” शीर्षक से संबंधित यह अध्ययन मधुमेह की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

भारत में पांच केंद्रों पर तीन वर्षों तक किए गए इस अध्ययन में लगभग 1,000 प्री-डायबिटीज व्यक्तियों को शामिल किया गया। इस अध्ययन में बताया गया है कि 40 मिनट का दैनिक योग अभ्यास, जिसमें चुनिंदा आसन और प्राणायाम शामिल हैं, साथ ही मानक जीवनशैली को अपनाने से मधुमेह होने के जोखिम को लगभग 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। ये परिणाम देश में वर्तमान मधुमेह रोकथाम रणनीतियों के परिणामों से बेहतर हैं।

भारतीय मधुमेह रोकथाम कार्यक्रम (डीपीपी) ने जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से 28 प्रतिशत जोखिम में कमी हासिल की, जबकि जीवनशैली से जुड़े उपायों को चरणबद्ध औषधि (मेटफॉर्मिन) के साथ मिलाकर किए गए एक अन्य परीक्षण में 32 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। इस अध्ययन में योग की प्रभावकारिता ने दोनों से बेहतर प्रदर्शन किया और यह एक स्वतंत्र निवारक उपाय के रूप में इसकी श्रेष्ठता को दर्शाता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अध्ययन के निष्कर्षों को भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए संभावित रुप से “गेम चेंजर” बताया। वर्तमान में 101 मिलियन से अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और 136 मिलियन लोग प्री-डायबिटिक अवस्था में हैं, इसलिए अध्ययन का साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण बढ़ती महामारी से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय मधुमेह रोकथाम नीतियों में योग को एकीकृत करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह अध्ययन मधुमेह की रोकथाम में योग की प्रभावशीलता को वैज्ञानिक रूप से मान्यता देने वाला प्रथम अच्छी तरह से डिज़ाइन किया गया, दीर्घकालिक परीक्षण है।

उन्होंने कहा कि यह अभूतपूर्व साक्ष्य आधुनिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में प्राचीन भारतीय पद्धति योग की प्रासंगिकता की पुष्टि करता है।

भारतीय मधुमेह रोकथाम अध्ययन आरएसएसजीआई द्वारा एक अग्रणी पहल है जिसका उद्देश्य मधुमेह की रोकथाम के लिए अभिनव और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की खोज करना है। डायबिटीज एंड मेटाबोलिक सिंड्रोम: क्लिनिकल रिसर्च एंड रिव्यूज़ में प्रकाशित, अध्ययन के निष्कर्ष मधुमेह प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय और वैश्विक रणनीतियों पर महत्वपूर्ण रूप से प्रभाव डाल सकते हैं।

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