भारत

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अष्टलक्ष्मी महोत्सव के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की

संचार एवंउत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज अष्टलक्ष्मी महोत्सव के लिए आयोजित एक प्रेस वार्ता की अध्यक्षता की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला किउत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में पहली बार अष्टलक्ष्मी महोत्सव का आयोजन करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण है कि पूर्वोत्तर भारत के विकास का इंजन बने। लक्ष्मी के आठ अवतार- समृद्धि, ऐश्वर्य, पवित्रता, धन, ज्ञान, कर्तव्य, कृषि और पशुपालन- पूर्वोत्तर के सार का प्रतीक हैं।”

इस कार्यक्रम में शिक्षा एवंउत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार, उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय में सचिव चंचल कुमार और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक संपदा का प्रतीक तीन दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव अष्टलक्ष्मी महोत्सव 6 से 8 दिसंबर, 2024 तक नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में आयोजित किया जाएगा। यह कार्यक्रम उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसका प्रबंधन सीपीएसई उत्तर पूर्व हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम लिमिटेड (एनईएचएचडीसी) के माध्यम से किया जा रहा है।

महोत्सव के शुभंकर ‘पूर्वी’ को उद्घाटन समारोह के दौरान पेश किया गया। पूर्वी पूर्वोत्तर भारत के सभी आठ राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक युवा लड़की है।इस शुभंकर को कार्यक्रम की अवधि के बाद भी उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का प्रतीक बनाये रखने की परिकल्पना की गई है।

एनईएचएचडीसी के एमडी ब्रिगेडियर राजीव कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) ने दर्शकों को महोत्सव के बारे में जानकारी दी।उन्होंने बताया कि अष्टलक्ष्मी महोत्सव का पहला संस्करण पूर्वोत्तर भारत की विशाल सांस्कृतिक विरासत को उजागर करने के लिए तैयार किया गया है, जिसमें पारंपरिक कलाओं, शिल्पों और सांस्कृतिक प्रथाओं को एक गतिशील प्रदर्शन में एक साथ लाया जाएगा। इस महोत्सव का लक्ष्य पारंपरिक हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि उत्पादों और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में परस्पर संपर्क और आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देना है, जिससे क्षेत्र की आर्थिक उन्नति और प्रगति को प्रोत्साहन मिले।

महोत्सव में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।

  1. कारीगरों की प्रदर्शनी जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के 250 से अधिक कारीगर और उद्यमी हस्तशिल्प, हथकरघा और कृषि-बागवानी उत्पादों तथा 34 जीआई टैग वाले उत्पादों – पूर्वोत्तर भारत के स्वदेशी फलों और जैविक उत्पादों का उत्कृष्ट संग्रह प्रदर्शित करेंगे। राज्य विशिष्ट मंडप, एरी और मुगा सिल्क गैलरी भी इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण होंगे।
  2. पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे महिला नेतृत्व, सूचना प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, खेल, कला और संस्कृति पर तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे। महोत्सव के दौरान “समृद्धि की ओर: विकसित भारत की दिशा में पूर्वोत्तर की प्रगति को गति देना” शीर्षक से एक व्यापक सत्र भी आयोजित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य देश को प्रगति की ओर ले जाने में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है।
  3. निवेशक गोलमेज सम्मेलन को नेटवर्क, साझेदारी और संयुक्त पहलों को बनाने और मजबूत करने के लिए एक अनूठा अवसर के रूप में डिजाइन किया गया है, साथ ही पूर्वोत्तर में व्यापार विकास और नए निवेश के लिए असंख्य अवसरों पर गहराई से जानकारी प्रदान की गई है।
  4. क्रेता-विक्रेता बैठकें विशेष रूप से हथकरघा और हस्तशिल्प, कृषि और बागवानी, रत्न एवं आभूषण, तथा पर्यटन जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित होंगी। प्रतिभागी व्यवसाय के अवसरों की खोज करेंगे, तथा इन प्रमुख क्षेत्रों में सार्थक संबंध स्थापित करेंगे, जिससे आर्थिक सहयोग और विकास को और बढ़ावा मिलेगा।
  5. डिजाइन कॉन्क्लेव और फ़ैशन शो, पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध हथकरघा और हस्तशिल्प परंपराओं को राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित करने के लिए समर्पित है। डिज़ाइन कॉन्क्लेव का उद्देश्य डिज़ाइन के छात्रों के लिए ज्ञान का एक मंच बनना है, जो इस समुदाय के भीतर शिक्षा, प्रेरणा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है। फ़ैशन शो क्षेत्र के कारीगरों और प्रतिष्ठित डिजाइनरों के बीच एक सुंदर सहयोग बनने के लिए तैयार है।
  6. अष्टलक्ष्मी ग्रामीण हाट अष्टलक्ष्मी महोत्सव का मुख्य आकर्षण बनने के लिए तैयार है, जिसे पूर्वोत्तर भारत के पारंपरिक ग्रामीण बाजारों के जीवंत माहौल को फिर से बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस क्यूरेटेड मार्केटप्लेस में स्टॉल्स का एक विविध संग्रह होगा, जिसमें 300 से अधिक कारीगर, जैविक उत्पादक और किसान स्वदेशी उत्पादों की एक विस्तृत विविधता प्रदर्शित करने के लिए तैयार होंगे।
  7. सांस्कृतिक प्रदर्शन: यह महोत्सव पारंपरिक नृत्यों, मंत्रमुग्ध कर देने वाले प्रदर्शनों और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रदर्शन के माध्यम से एक आकर्षकसमारोह बनने जा रहा है।

6 दिसंबर, 2024 को दर्शकों को “अष्टलक्ष्मी सिम्फनी” के साथ एक आकर्षक सांस्कृतिक अनुभव का आनंद मिलेगा, जो उत्सव की भावना को आगे ले जाएगा।इसके अलावा प्रसिद्ध शिलांग चैंबर चोइर शाम को अपनी मधुर उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।

महोत्सव के दूसरे दिन, 7 दिसंबर, 2024 को कई आकर्षक प्रस्तुतियां होंगी।मिजोरम के पंगपारी की जीवंत लय और अनूठी धुनें दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देंगी, इसके बाद सिक्किम के सोफियम बैंड का शानदार प्रदर्शन होगा।सांस्कृतिक उत्सव प्रसाद बिदापा द्वारा फैशन शो के साथ जारी रहेगा जिसमें उत्तर पूर्वी क्षेत्र के प्रतिभाशाली डिजाइनरों के संग्रह प्रदर्शित किए जाएंगे और कुछ शीर्ष भारतीय डिजाइनरों द्वारा एक भव्य समापन समारोह भी प्रदर्शित किया जाएगा।

8 दिसंबर, 2024 को महोत्सव मणिपुर के बासव की धुनों से गूंजेगा, जिसमेंभावपूर्ण संगीतमय प्रस्तुति होगी।दिन के उत्साह को और बढ़ाते हुए फेदरहेड्स हाओकुई बैंडएक दमदार प्रदर्शन करेगाजबकि सुंदर ताई खामती नृत्य क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं की झलक प्रदान करेगा।इसके अलावा, प्रतिभाशाली गिटारवादक इम्नानला जमीर अपनी कला कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देंगी तथा विविध और मनोरम कलात्मक अभिव्यक्तियों से भरे इस दिन का समापन करेंगी।

अष्टलक्ष्मी महोत्सव में उपस्थित लोगों को एक विशिष्ट यात्रा का अवसर मिलेगा, जहां विरासत आधुनिकता से मिलकर एक ऐसा स्थान तैयार होगा, जहां न केवल क्षेत्र की विविधता का उत्सव मनाया जाएगा, बल्कि उसे समृद्ध होने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाएगा।

आने वाले समय में पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत की विकास यात्रा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।पूर्वोत्तर क्षेत्र की सांस्कृतिक संपदा और विविधता को सम्मानित करने और प्रदर्शित करने के बाद, उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकासमंत्रालय की यह पहल ‘अष्टलक्ष्मी महोत्सव’ एक कैलेंडर कार्यक्रम बन जाएगी।

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