केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने NACIN, पालसमुद्रम् में भारतीय राजस्व सेवा के 42 ट्रेनी अधिकारियों के 75वें बैच की पासिंग आउट परेड की अध्यक्षता की
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने शुक्रवार को पालसमुद्रम् स्थित राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर और नार्कोटिक्स अकादमी (एनएसीआईएन) में भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क एवं अप्रत्यक्ष कर) के 42 ट्रेनी अधिकारियों के 75वें बैच की पासिंग आउट परेड की अध्यक्षता की। इस परेड में 25 पुरुष और 17 महिला अधिकारी शामिल हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में भूटान की शाही सरकार के 5 अधिकारी भी शामिल थे। इस अवसर पर सीबीआईसी के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल, सीबीआईसी की सदस्य अरुणा नारायण गुप्ता और एनएसीआईएन के महानिदेशक डॉ. एम. सुब्रमण्यम के साथ सीबीआईसी के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे।
राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर एवं नारकोटिक्स अकादमी (एनएसीआईएन), पालसमुद्रम् की पासिंग आउट परेड 18 महीने के गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन का प्रतीक है तथा भारत के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए समर्पित कर्मयोगी के रूप में उनकी यात्रा की शुरुआत करती है।
समारोह पहलगाम घटना के पीड़ितों को शोक और श्रद्धांजलि के साथ शुरू हुई, जिसमें अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों ने उनकी स्मृति में खड़े होकर मौन श्रद्धांजलि दी
इस अवसर पर वित्त राज्य मंत्री चौधरी ने बैच की उपलब्धियों की सराहना की और पारदर्शी तथा जवाबदेह कर प्रणाली के निर्माण में उनकी जिम्मेदारी पर जोर दिया। वित्त राज्य मंत्री चौधरी ने आर्थिक विकास में आईआरएस अधिकारियों की भूमिका को रेखांकित किया और उनसे साहस और स्पष्टता के साथ नेतृत्व करने का आग्रह किया। मंत्री ने आर्थिक प्रगति और सामाजिक समानता को बढ़ावा देकर सरकार के विकसित भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की उनकी क्षमता पर विश्वास व्यक्त किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में सीबीआईसी के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने 75वें बैच के अधिकारियों को बधाई दी और राजस्व जुटाने, व्यापार सुविधा और राष्ट्रीय विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया और उनसे अपडेट रहने, ईमानदारी बनाए रखने और कुशलतापूर्वक सेवा करने के लिए डिजिटल परिवर्तन को अपनाने का आग्रह किया। संजय कुमार अग्रवाल ने अधिकारियों से प्रवर्तन और सुविधा के बीच संतुलन बनाने का आग्रह किया और अधिकारियों को सहानुभूति, आत्मविश्वास और अनुशासन के साथ नेतृत्व करने को प्रोत्साहित किया।
अपने संबोधन में सीबीआईसी की सदस्य अरुणा नारायण गुप्ता ने नैतिक आचरण, सहानुभूति और निरंतर सीखने पर जोर दिया, साथ ही आईआरएस अधिकारियों के लिए “सेवाभाव” को एक आधारभूत गुण बताया और उनसे सहानुभूति, विनम्रता और सेवा-उन्मुख होकर अपने कर्तव्यों का पालन करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोक सेवकों को अपने आचरण में सुलभ, निष्पक्ष और नागरिक-केंद्रित रहना चाहिए और लोगों की सेवा करना ही उनका लक्ष्य होना चाहिए।
अपने संबोधन में एनएसीआईएन के महानिदेशक डॉ. एम. सुब्रमण्यम ने अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने अधिकारियों से मुखातिब होते हुए कहा कि वे नव विकसित एनएसीआईएन पालसमुद्रम् परिसर में अपना संपूर्ण आधारभूत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पहले बैच के अधिकारी हैं, जिससे यह अवसर अकादमी के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बन गया है। उन्होंने आधुनिक कर अधिकारियों को आकार देने में अनुकूलनशीलता, सार्वजनिक सेवा और ईमानदारी के महत्व पर जोर देते हुए अकादमी की विकसित क्षमताओं पर गर्व व्यक्त किया और इसके उन्नत प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर प्रकाश डाला।
समारोह के दौरान 75वें बैच के असाधारण प्रदर्शनकर्ताओं को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया:
- वित्त मंत्री का स्वर्ण पदक: श्रीकुमार रविन्द्रकुमार को शैक्षणिक, उपस्थिति और शारीरिक प्रशिक्षण में संतुलित उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रदान किया गया।
- अध्यक्ष का स्वर्ण पदक: लिखित परीक्षाओं में सर्वोच्च कुल अंक प्राप्त करने के लिए अभिषेक माजी को प्रदान किया गया।
- कौशल्या नारायणन स्मारक स्वर्ण पदक: सर्वश्रेष्ठ महिला अधिकारी ट्रेनी के रूप में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पूजा बरवाल को प्रदान किया गया।
- महानिदेशक का स्वर्ण पदक: पूरे प्रशिक्षण के दौरान लगातार प्रदर्शन और उत्कृष्ट आचरण के लिए शांतनु सुनील मालानी को प्रदान किया गया।
- एन.के. उपाध्याय स्मारक स्वर्ण पदक: अनुकरणीय अनुशासन, आचरण और टीम वर्क के लिए सत्या पार्वती आर को प्रदान किया गया।
परेड में अभ्यास का प्रदर्शन शामिल था, जिसमें अधिकारियों की व्यावसायिकता और अनुशासन का प्रदर्शन किया गया और साथ ही प्रशिक्षण और राष्ट्र निर्माण में उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध विश्वस्तरीय संस्थान के रूप में एनएसीआईएन की भूमिका की पुष्टि की गई। कार्यक्रम का समापन अधिकारियों द्वारा ईमानदारी और सेवा के मूल्यों को बनाए रखने की शपथ लेने के साथ हुआ, क्योंकि वे आर्थिक रूप से सक्षम और राष्ट्र के रक्षक के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं।