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Union Minister Piyush Goyal held talks with Swiss industry to further enhance India-Switzerland economic partnership
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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भारत-स्विट्जरलैंड आर्थिक साझेदारी और बढ़ाने के लिए स्विट्जरलैंड के उद्योग जगत से वार्ता की

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्विट्जरलैंड के बर्न में स्विस उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ महत्वपूर्ण बैठकें की, जिनका उद्देश्य आर्थिक सहयोग को और बढ़ाना तथा भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के बीच उस व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) के अंतर्गत नए रास्ते तलाशना था जिस पर हाल ही में हस्ताक्षर किए गए हैं।

मंत्री महोदय ने विविध क्षेत्रों की कई प्रमुख स्विस कंपनियों के प्रमुखों के साथ मुलाकात की। इन बैठकों के दौरान भारतीय और स्विस उद्यमों के बीच तालमेल बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया और नवाचार, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा दीर्घकालिक स्तर पर होने वाले विनिर्माण पर विशेष बल दिया गया। पीयूष गोयल ने स्विस कंपनियों को भारत में अपना विस्तार करने और देश के गतिमान तथा तेजी से फैल रहे बाजार का लाभ उठाने के लिए गर्मजोशी से आमंत्रित किया।

पीयूष गोयल ने स्विट्जरलैंड की कंपनियों के प्रमुखों को आश्वस्त किया कि भारत पारदर्शी विनियामक प्रक्रियाओं, मजबूत बौद्धिक संपदा व्यवस्था और निवेश को बढ़ावा देने वाली नीतियों के ढांचे के माध्यम से अनुकूल कारोबारी माहौल को प्रोत्साहन देने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है। उन्होंने स्विट्जरलैंड के व्यवसायियों को भारत को न केवल बाजार के रूप में बल्कि विनिर्माण, प्रतिभा और नवाचार के लिए रणनीतिक केंद्र के रूप में देखने और यहां संभावनाएं तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया।

पीयूष गोयल ने इन रणनीतिक चर्चाओं के बाद स्विस उद्योग जगत के विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों के साथ जैव प्रौद्योगिकी और औषधि, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तथा अभियंत्रण के क्षेत्र में डिजाइन, विकास और विनिर्माण, रक्षा और उभरती हुई तकनीकों पर केंद्रित दो गोलमेज बैठकों की अध्यक्षता की। स्विट्जरलैंड में भारतीय दूतावास के सहयोग से आयोजित इन सत्रों में भारत की योग्यता, सामर्थ्य और नवाचार के उभरते माहौल पर प्रकाश डाला गया।

पीयूष गोयल ने स्विट्जरलैंड के व्यवसायियों से इन्वेस्ट इंडिया में समर्पित ईएफटीए डेस्क का लाभ उठाने का आह्वान किया, ताकि उन्हें सहायता और सुविधाएं प्रदान की जा सके। उन्होंने विनियामक सामंजस्य और पारस्परिक मान्यता से जुड़े समझौतों की दिशा में काम करने की भारत की इच्छा की भी पुष्टि की तथा स्विट्जरलैंड और भारत के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए पारस्परिक संबंध बनाने की दिशा में सक्रियता के भारत के दृष्टिकोण का भी उल्लेख किया।

मंत्री महोदय ने उद्योग जगत के साथ वार्ता के अतिरिक्त इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) के स्विट्जरलैंड चैप्टर के सदस्यों से भी मुलाकात की। उन्होंने चैप्टर के योगदान और आईसीएआई के उच्च मानकों और वैश्विक प्रतिष्ठा को कायम रखने के साथ-साथ भारत और स्विट्जरलैंड के बीच पेशेवर और व्यावसायिक माहौल को मजबूत करने के लिए उनकी सराहना की।

बैठकों के दौरान जैव प्रौद्योगिकी, डिजाइन, विकास और विनिर्माण, स्वास्थ्य देखभाल सेवा, स्वचालन, रक्षा, साइबर सुरक्षा और उच्च श्रेणी की सामग्री सहित विविध क्षेत्रों से संबधित स्विस उद्योग जगत के दिग्गजों ने वैश्विक आर्थिक महाशक्ति और नवाचार-आधारित विकास के मुकाम के रूप में भारत की प्रगति पर दृढ़ विश्वास व्यक्त किया।

स्विट्जरलैंड की कंपनियों ने भारत की अनूठी खूबियों की सराहना की जिनमें विशाल और निरंतर सक्रिय बाजार, मध्य वर्ग का विकास, विश्व स्तरीय अभियंत्रण और वैज्ञानिक प्रतिभा तथा व्यापार में आसानी की स्थिति, आईपी संरक्षण और प्रौद्योगिकी साझेदारी को तेजी से बढ़ावा देने वाले नीतिगत माहौल को प्रोत्साहन शामिल है। बहुत-से लोगों के लिए भारत न केवल उत्साहवर्द्धक बाजार है, बल्कि विनिर्माण, अनुसंधान और विकास और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी सामग्रियों के मिल-जुलकर निर्माण के लिए आदर्श स्थान भी है।

स्विट्जरलैंड की कई कंपनियों ने भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए संयुक्त उद्यम शुरु करने, परिचालन बढ़ाने और उत्पादन के स्थानीयकरण की दिशा में कार्य करने में रुचि का संकेत दिया। स्विस कंपनियों ने कैंसर के उपचार के अत्याधुनिक तरीकों और कोशिका विज्ञान से लेकर औद्योगिक स्वचालन, फाइबर ऑप्टिक्स, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और डिजिटल सुरक्षा तक विकास की भारत की प्राथमिकताओं और क्षेत्रीय विकास योजनाओं के समान उद्देश्यों के लिए मिलकर काम करने के विचार पर बल दिया। यह भावना एक जैसी रणनीतिक और दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं में शामिल है। बैठकों के कई प्रतिभागियों ने भारत को स्विट्जरलैंड का सहज भागीदार बताया और विकास के अगले चरण में निवेश करने की तत्परता व्यक्त की। इसका उद्देश्य न केवल घरेलू मांग को पूरा करना है बल्कि भारत को अपने व्यावसायिक क्रियाकलापों की वैश्विक श्रृंखला के एक केंद्र के रूप में स्थापित करना भी है।

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