केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कंटेनरों की कमी और बंदरगाह विस्तार से जुड़ी प्रमुख चिंताओं पर संसद को संबोधित किया
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज समुद्री क्षेत्र को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक व्यापक अपडेट संसद में दिया। उनके विस्तृत जवाबों में कंटेनरों की कमी और बंदरगाह क्षमता विस्तार से जुड़ी चिंताओं को संबोधित किया गया, जिसमें सरकार के जारी प्रयासों और रणनीतिक उपायों पर बात की गई।
भारतीय निर्यातकों को प्रभावित करने वाले कंटेनरों की कमी के सवालों के जवाब में सर्बानंद सोनोवाल ने स्पष्ट किया कि कंटेनरों की कोई गंभीर कमी नहीं है। हाल की चुनौतियां लाल सागर संकट से उपजी हैं, जो 2023 के अंत में शुरू हुआ और 2024 की शुरुआत तक जारी रहा। इस संकट के चलते स्वेज नहर से जहाजों को केप ऑफ गुड होप की ओर मोड़ना पड़ा, जिससे पारगमन समय 35 से 40 प्रतिशत बढ़ गया। नतीजतन, इससे प्रमुख वैश्विक बंदरगाहों पर देरी हुई और चार्टर किराया लागत बढ़ गई।
इन मसलों को हल करने के लिए सरकार ने कई सक्रिय कदम उठाए हैं। शिपिंग कंपनियां वर्तमान में बाजार की जरूरतों के आधार पर वैश्विक स्तर पर खाली कंटेनरों की स्थिति बदल रही हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय अपने सेवा सुधार समूह ढांचे के अंतर्गत सक्रिय रूप से काम कर रहा है। वो शिपिंग लाइनों, बंदरगाह अधिकारियों और निर्यात-आयात संघों के साथ नियमित बातचीत कर रहा है। इस दिशा में उठाए गए उल्लेखनीय कदमों में बाधित मार्गों पर चलने वाले जहाजों के लिए सुरक्षा व्यवस्था रखने की सलाह देना और कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ समन्वय करके अंतर्देशीय कंटेनर डिपो में जाम को दूर करना शामिल है। इसके अलावा, शिपिंग महानिदेशालय दीर्घावधि समाधान के तौर पर भारतीय संस्थाओं द्वारा कंटेनरों के स्वामित्व और संचालन को बढ़ावा दे रहा है। यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूएलआईपी) और लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (एलडीबी) के जरिए ट्रैकिंग और ट्रेसिंग तंत्र विकसित करने का उद्देश्य निर्यात कंटेनरों के टर्नअराउंड समय में सुधार करना है, जिससे उनकी उपलब्धता बढ़ सके।
सर्बानंद सोनोवाल ने देश भर में बंदरगाहों की क्षमता विस्तार के संबंध में पूछे गए प्रश्नों का भी उत्तर दिया। 2014-15 से 2023-24 तक भारत के सभी 12 प्रमुख बंदरगाहों में बंदरगाहों का क्षमता विस्तार महत्वपूर्ण रहा है। मसलन, श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह ने अपनी क्षमता में 31.29% की वृद्धि की, जबकि पारादीप बंदरगाह में 141.86% की पर्याप्त वृद्धि देखी गई। महत्वपूर्ण ढंग से कामराजर बंदरगाह और वी.ओ. चिदंबरनार बंदरगाह ने क्रमशः 154.05% और 150.19% का प्रभावशाली विस्तार हासिल किया। चेन्नई, कोचीन और न्यू मैंगलोर जैसे अन्य बंदरगाहों ने भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। गुजरात का दीनदयाल बंदरगाह पिछले दशक में क्षमता में उल्लेखनीय 121.79% की वृद्धि के साथ सबसे हटकर दिखा, जो इसकी परिचालन क्षमता में खासी वृद्धि दर्शाता है। कुल मिलाकर, इन बंदरगाहों की कुल क्षमता में 87.01% की वृद्धि हुई, जो समुद्री बुनियादी ढांचे को बढ़ाने को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है।
सर्बानंद सोनोवाल के बयान वर्तमान समुद्री चुनौतियों को दूर करने और भारत के बंदरगाह और शिपिंग क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए जारी प्रयासों को दर्शाते हैं। सरकार के सक्रिय उपायों का उद्देश्य निर्यातकों का समर्थन करना, कंटेनर लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करना और भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए बंदरगाह क्षमताओं को मजबूत करना है।