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Union Minister Shivraj Singh Chouhan attends valedictory session of 22nd Mid-Career Training Programme (Phase III) at LBSNAA
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केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने LBSNAA में 22वें मध्य-कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रम (तृतीय चरण) के समापन सत्र में भाग लिया

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए), मसूरी में 22वें मध्य-कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रम (एमसीटीपी) (तृतीय चरण) के समापन समारोह में मुख्य भाषण दिया।

एमसीटीपी (तृतीय चरण) नौ से चौदह वर्ष के सेवा अनुभव वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों के लिए एक मध्य-कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रम है।

इस अवसर पर एलबीएसएनएए के निदेशक श्रीराम तरनीकांति, संयुक्त निदेशक उदित अग्रवाल, उप निदेशक (वरिष्ठ) एवं पाठ्यक्रम समन्वयक गणेश शंकर मिश्रा तथा लोक प्रशासन के प्रोफेसर डॉ. बागदी गौतम भी उपस्थित थे।

शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में सेवा और विकास के संवैधानिक आदर्शों के प्रति सिविल सेवकों की प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सेवा ‘देश और उसके लोगों की सेवा करने के लिए आजीवन प्रतिबद्धता है।’ ‘देश के लिए और देश की जनता के लिए’ के ​​सार को उद्धृत करते हुए उन्होंने अधिकारियों से विनम्रता, अनुशासन और सहानुभूति के मूल्यों को आत्मसात करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि शासन प्रणाली सहभागी, सहानुभूतिशील हो और हर नागरिक तक इसकी पहुंच हो।

उन्होंने महर्षि अरबिंदो के गतिशील प्रक्रिया के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए अधिकारियों को अधिकार के माध्यम से नहीं, बल्कि जागृति के माध्यम से परिवर्तन करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने ‘अमर रहें वो मूल्य’ में निहित संवैधानिक लोकाचार पर जोर देते हुए देश की एकता और साझा जिम्मेदारी के वैश्विक दृष्टिकोण के रूप में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के विचार की पुष्टि की।

शिवराज सिंह चौहान ने भारत की कृषि शक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्रीय विकास का भविष्य ग्रामीण समृद्धि में निहित है। उन्होंने कहा, “प्रयोगशाला से लेकर भूमि तक, नवाचार को हमारे किसानों के लिए वास्तविक लाभ में बदलने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भारत के विविध कृषि-जलवायु क्षेत्र इसे फूड बास्केट के रूप में स्थापित करते हैं।

उन्होंने ‘लाडली लक्ष्मी’ और ‘लाडली बहना’ जैसी महत्वपूर्ण पहलों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने का जिक्र करते हुए कहा “महिलाओं की गरिमा, भागीदारी और सशक्तिकरण के बिना सच्चा विकास अधूरा है।”

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