केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि और संबद्ध विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए आसियान-भारत फेलोशिप का आज पूसा, नई दिल्ली में शुभारंभ किया
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि और संबद्ध विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए आसियान-भारत फेलोशिप कार्यक्रम का आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूसा, नई दिल्ली में शुभारंभ किया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर एवं भागीरथ चौधरी भी कार्यक्रम में उपस्थित हुए।
शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि सदियों से भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है, जिसने लाखों लोगों को जीवनयापन कराया है और सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह रोजगार का सबसे बड़ा प्रदाता बना हुआ है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। हालाँकि, इस क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे की जलवायु परिवर्तन, भूमि की उपजाऊ शक्ति का कम होना, छोटे खेत जोत, अपर्याप्त मशीनीकरण, मानसून पर निर्भरता, बीमारियाँ, कटाई के बाद होने वाले नुकसान, विपणन और मूल्य अस्थिरता । उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा एक कुशल, प्रतिभाशाली और उद्यमी कार्यबल विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो इन चुनौतियों का समाधान करने और आने वाले समय में कृषि क्षेत्र की लाभप्रदता और स्थिरता सुनिश्चित करने में सक्षम होगी।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) भारत की कृषि शिक्षा को आकार तथा गुणवत्ता प्रदान करने में अग्रणी है। वे नियम, नीतियाँ और मानक निर्धारित करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश भर में कृषि शिक्षा फल-फूल रही है और इस क्षेत्र में सतत विकास में योगदान दे रही है।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार प्रणाली (National Agricultural Research, Education and Extension System) के तहत सार्वजनिक वित्त पोषण के समर्थन से, भारत में 66 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 4 डीम्ड विश्वविद्यालय, 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और कृषि संकाय वाले 4 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं, जिनकी देखरेख आईसीएआर द्वारा की जाती है। ये संस्थान स्नातक (यूजी) से लेकर डॉक्टरेट कार्यक्रमों तक कई तरह के पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं, जिनमें कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पशु चिकित्सा, कृषि इंजीनियरिंग और बहुत कुछ शामिल है। वे कृषि विज्ञान में महत्वपूर्ण शोध भी करते हैं और किसानों और हितधारकों को अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश में कृषि और संबद्ध विज्ञान विषयों के क्षेत्र में प्रतिभाशाली लोगों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, ICAR का कृषि शिक्षा प्रभाग 1996-97 से वार्षिक रूप से राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है, जिसके तहत कृषि और संबद्ध विज्ञान के 20% स्नातक (12 विषयों में) और 30% स्नातकोत्तर (लगभग 80 विषयों में) कार्यक्रमों (मास्टर्स और डॉक्टरेट) में केंद्रीकृत प्रवेश दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इन परीक्षाओं का मूल उद्देश्य छात्रों के बीच गतिशीलता के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देकर कृषि शिक्षा में मेधावी छात्रों को बढ़ावा देना, प्रतिभा को प्रोत्साहित करना और विश्वविद्यालयों में समान परीक्षा मानकों को बढ़ावा देना है, जिससे देश में उच्च कृषि शिक्षा की गुणवत्ता में समग्र सुधार हो सके।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उच्च कृषि शिक्षा के लिए छात्रों को आकर्षित करने तथा कृषि और संबद्ध विज्ञान विषयों में शिक्षण और अनुसंधान में शैक्षिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए, ICAR यूजी, पीजी और पीएचडी के छात्रों को परिषद द्वारा विकसित निर्धारित मानदंडों के आधार पर विभिन्न छात्रवृत्ति/फेलोशिप प्रदान करके सहायता करता है। छात्रवृत्ति/फेलोशिप की दरों के साथ-साथ दिशा-निर्देशों को समय-समय पर संशोधित किया गया है। ये छात्रवृत्ति/फेलोशिप ICAR सीटों के लिए ICAR प्रवेश परीक्षा के माध्यम से कृषि विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को प्रदान की जाती हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आईसीएआर-कृषि विश्वविद्यालय प्रणाली की क्षमता और योग्यता को अब दुनिया भर में मान्यता मिल चुकी है। कई विकासशील देशों के छात्र भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों में विकसित अनुसंधान और शिक्षण सुविधाओं से आकर्षित होकर लाभान्वित हो रहे हैं और उच्च अध्ययन कर रहे हैं। आईसीएआर/कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE), भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) और अन्य एजेंसियों के माध्यम से प्राप्त आवेदनों पर विचार करके कृषि विश्वविद्यालयों में कृषि, बागवानी, वानिकी, पशु चिकित्सा, कृषि इंजीनियरिंग आदि में विभिन्न डिग्री कार्यक्रमों में विदेशी छात्रों को प्रवेश की सुविधा प्रदान करता है। चूंकि भारत सहित विकासशील देशों में निजी क्षेत्र में अधिक नौकरियां पैदा हो रही हैं, इसलिए विकासशील देशों के छात्रों में भारतीय कृषि को समझने के लिए भारत आकर अध्ययन करने की रुचि बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत में उनके उच्च अध्ययन का समर्थन करने के लिए, आईसीएआर द्वारा नेताजी सुभाष फेलोशिप, भारत-अफ्रीका फेलोशिप, भारत-अफगानिस्तान फेलोशिप, बिम्सटेक फेलोशिप जैसे कई कार्यक्रम/फेलोशिप शुरू किए गए हैं। वर्तमान में लगभग 135 अंतर्राष्ट्रीय छात्र विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों में अपनी डिग्री प्राप्त कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि मुझे बहुत ही प्रसन्ता है कि इस दिशा में, कृषि एवं संबद्ध विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए आसियान-भारत फेलोशिप का शुभारम्भ किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत आसियान सदस्य देशों के साथ 1967 में स्थापना के बाद से ही मजबूत साझेदारी करता रहा है। हमारा इतिहास और भूगोल भारत और आसियान को जोड़ता है। साझा मूल्यों के साथ-साथ क्षेत्रीय एकता, शांति, समृद्धि और बहुध्रुवीय दुनिया में साझा विश्वास भी हमें एक साथ बांधता है। आसियान भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और उसके बाद इस पर निर्मित ‘इंडो-पैसिफिक विजन’ की आधारशिला है। भारत आसियान एकता, आसियान केंद्रीयता और इंडो-पैसिफिक पर आसियान के दृष्टिकोण का पूरा समर्थन करता है। हमारे लिए, आसियान के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी तरह लोगों से लोगों के बीच संबंध भी हैं, जिन्हें हम लगातार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। यह देखना उत्साहजनक है कि हमारी साझेदारी हर गुजरते साल के साथ और अधिक आयाम हासिल कर रही है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत आसियान और पूर्वी एशिया शिखर मंचों को जो प्राथमिकता देता है, वह पिछले साल हमारे अपने G20 शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी की जकार्ता यात्रा से स्पष्ट है। उन्होंने 12-सूत्रीय योजना की घोषणा की थी जिस पर काफी हद तक अमल किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के सदस्य देशों के बीच कृषि सहयोग की अपार संभावनाएं हैं क्योंकि आसियान और भारत कृषि-जलवायु क्षेत्रों के मामले में बहुत समानताएं साझा करते हैं। वर्तमान में, युवा शोधकर्ताओं के लिए कृषि से संबंधित आम समस्याओं को समझने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि और वानिकी में आसियान-भारत सहयोग के लिए कृषि और संबद्ध विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए आसियान-भारत फेलोशिप कार्यक्रम आरंभ किया जा रहा है। यह फेलोशिप विशेष रूप से कृषि और संबद्ध विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में साझा हितों के नए और उभरते क्षेत्रों में स्नातकोत्तर कार्यक्रम के लिए है। इससे आसियान सदस्य देशों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शोध-आधारित शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे भारत और आसियान समुदाय एक-दूसरे के करीब आएंगे और आसियान देशों से आने वाले छात्रों के बीच ज्ञान के अंतर-सांस्कृतिक और अंतरराष्ट्रीय आदान-प्रदान के लिए मंच प्रदान होगा।
उन्होंने कहा कि इस फेलोशिप से आसियान के छात्रों को सर्वश्रेष्ठ भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों में, आवश्यकतानुसार, पहचाने गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कृषि और संबद्ध विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त भाग लेने वाले संस्थानों के भारतीय संकाय सदस्यों की आसियान सदस्य देशों में परिचयात्मक यात्राओं के माध्यम से आसियान क्षमता निर्माण में सहायता प्रदान की जाएगी। इससे कृषि और संबद्ध विज्ञान क्षेत्र के विकास के लिए आसियान में विशेषज्ञ मानव संसाधन के एक पूल के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा ।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह योजना भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा पेश किए जाने वाले मास्टर्स प्रोग्राम छात्रों को अत्याधुनिक शोध से परिचित कराएंगे और उन्हें भविष्य के नवाचारों के लिए तैयार करेंगे। साथ ही भारत में दीर्घकालिक डिग्री कोर्स दोनों क्षेत्रों के शोधकर्ताओं को लंबे समय तक जुड़े रहने में मदद कर सकता है और आसियान और भारत को कृषि से संबंधित मुद्दों को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकता है। जैसा कि बताया गया है शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से कृषि और संबद्ध विज्ञान में मास्टर डिग्री के लिए आसियान सदस्य देशों के छात्रों को कुल 50 फेलोशिप (प्रति वर्ष 10) प्रदान की जाएंगी। इस परियोजना को पांच वर्षों के लिए आसियान-भारत कोष के तहत वित्त पोषण के लिए मंजूरी दी गई है जिसमें छात्रों की फेलोशिप, प्रवेश शुल्क, रहने का खर्च और आकस्मिक खर्च सम्मिलित है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं कृषि एवं संबद्ध विज्ञान में उच्चतर शिक्षा के लिए आसियान-भारत फेलोशिप शुरू करने की पहल के लिए आईसीएआर और आसियान सचिवालय को बधाई देता हूं। मुझे पूर्ण विश्वास है यह फेलोशिप शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए आसियान और भारत की ताकत का लाभ उठाने और ऐसे समाधान खोजने में बहुत मददगार साबित होगी, जिन्हें भारत और आसियान सदस्य देशों दोनों में लागू किया जा सकता है। आसियान में भारतीय संकाय के परिचयात्मक दौरे संकाय को आसियान छात्रों की आवश्यकताओं का आकलन करने और आसियान-भारत संस्थागत संबंधों को बढ़ाने में मदद करेंगे।