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Union Textiles Minister Giriraj Singh inaugurated the Crafted for the Future exhibition at the National Handicrafts Museum.
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केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरीराज सिंह ने राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय में “क्राफ्टेड फॉर द फ्यूचर” प्रदर्शनी का उद्घाटन किया

केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरीराज सिंह ने आज नई दिल्ली के राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय में “क्राफ्टेड फॉर द फ्यूचर” प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। वस्त्र मंत्रालय के हस्तकला विभाग के विकास आयुक्त कार्यालय द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में भारत की समृद्ध शिल्प परंपराओं और उनके सतत, समकालीन जीवन से प्रासंगिकता को रेखांकित किया गया है।

इस उद्घाटन समारोह में वस्त्र मंत्रालय की डीसी हैंडीक्राफ्ट्स अमृत राज, संयुक्त राष्ट्र रेसिडेंट कोऑर्डिनेटर कार्यालय, भारत की चीफ ऑफ स्टाफ राधिका कौल बत्रा, पर्यावरणीय पुनर्स्थापक पद्मावती द्विवेदी तथा गिव मी ट्रीज ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी प्रेम परिवर्तन (पीपल बाबा) उपस्थित थे। प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए गिरीराज सिंह ने कहा कि आज का युवा पारंपरिक शिल्प को समझ रहा है और वैश्विक दर्शकों के लिए प्रासंगिक समकालीन उत्पाद प्रस्तुत कर रहा है। गिरीराज सिंह ने कहा कि कारीगरों को सुगमता प्रदान करने और भारत के विभिन्न शिल्पों को विश्व तक पहुंचाने के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं।

‘क्राफ्टेड फॉर द फ्यूचर’, की यह 10 दिवसीय प्रदर्शनी राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह का हिस्सा है। 21 दिसंबर 2025 तक यह जनता के लिए खुली रहेगी, जिसमें सभी आगंतुकों के लिए निःशुल्क प्रवेश होगा। ‘क्राफ्टेड फॉर द फ्यूचर’, व्यापक ‘वीव द फ्यूचर’ श्रृंखला का तीसरा संस्करण है, जो दैनिक भौतिक संस्कृति पर जोर देता है—खासकर समुदायों और उनके पर्यावरण और दैनिक जीवन को आकार देने वाली सामग्रियों के बीच अंतर्निहित संबंध पर। पूरे भारत से कारीगरों और सामग्री नवप्रवर्तकों पर प्रकाश डालकर, यह पहल पारिस्थितिक संतुलन, क्षेत्रीय पहचान और गहन सामग्री बुद्धिमत्ता पर आधारित प्रथाओं को भी प्रदर्शित करती है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वस्त्र मंत्रालय की हस्तकला विभाग की विकास आयुक्त अमृत राज ने कहा कि भारत की शिल्प बुद्धिमत्ता को जीवित रखना स्मृति को संरक्षित करने के बारे में नहीं है, बल्कि शिल्प को एक जीवंत, सांस लेने वाली शक्ति के रूप में पहचानना है जो हमारे कल को आकार दे रही है।

‘क्राफ्टेड फॉर द फ्यूचर’ प्रदर्शनी के दर्शक भारत की भौतिक संस्कृतियों की उत्पत्ति, प्रक्रियाओं और समकालीन संभावनाओं में डुबोने के लिए डिज़ाइन किए गए विभिन्न कार्यक्रमों का अनुभव कर सकते हैं।

इस प्रदर्शनी में शामिल हैं—

ऐसे मोहक संस्थापन जिसमे रोज रोज की भौतिक सामग्रियों की झलक दिखाई पड़ती है।

विशेष रूप से निर्मित हस्तशिल्प की वस्तुओं का बाजार जहाँ स्थानीय, शिल्पी कारीगर अपनी स्थानीय पुनर्चक्रीय सामग्रियों के साथ अपनी कलाकृति निर्मित की हुई हो ।

सामग्री की उत्पत्ति और शिल्प प्रक्रियाओं पर दैनिक फिल्म स्क्रीनिंग, प्रदर्शन तथा संवाद।

मिट्टी के बर्तन, कढ़ाई, ऊन, बांस, प्राकृतिक रंग, खाद्य परंपराओं आदि में कारीगरों, डिजाइनरों तथा अभ्यासकर्ताओं द्वारा संचालित हैंड्स-ऑन वर्कशॉप (वर्कशॉप के लिए पंजीकरण आवश्यक)।

यह आयोजन कला निर्माण सामग्री की उत्पत्ति और शिल्प-नेतृत्व वाले पारिस्थितिक ज्ञान तंत्रों के साथ जनता की भागीदारी बढे इस बात को प्रोत्साहित करता है। साथ ही कलाकृति की पारिस्थितिकी तंत्र जनित ज्ञान प्रणाली को पूरी गहराई से यह लोगो को अवगत कराता है की कैसे निर्माण सामग्री और कारीगरों से एक चेतनशील और सतत संबंधों के माध्यम से सतत भविष्य को आकार देने की गहरी समझ विकसित हो।

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