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Union Textiles Minister Giriraj Singh inaugurated the new campus of Indian Institute of Handloom Technology at Fulia in Nadia district of West Bengal
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केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के फुलिया में भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान के नए परिसर का उद्घाटन किया

केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के फुलिया में भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान के नए स्‍थायी परिसर का उद्घाटन किया। संस्थान के नए परिसर का निर्माण अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करके 5.38 एकड़ भूमि पर 75.95 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। भवन में स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी तथा आधुनिक और अच्छी तरह से सुसज्जित परीक्षण प्रयोगशालाओं से युक्त आधुनिक बुनियादी ढांचा है। नया परिसर एक आदर्श शिक्षण स्थल होगा तथा हथकरघा और वस्त्र प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में काम करेगा तथा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और सिक्किम से आने वाले छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करेगा।

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उद्घाटन समारोह के दौरान, माननीय केंद्रीय मंत्री ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत पौधे लगाए।

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भारत के सभी आईआईएचटी संस्थानों में शीर्ष 10 रैंक हासिल करने वालों को पदक और योग्यता प्रमाण पत्र माननीय केंद्रीय वस्त्र मंत्री द्वारा प्रदान किए गए हैं।

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इस उद्घाटन समारोह के दौरान सभी 6 केंद्रीय आईआईएचटी के लिए एकीकृत वेबसाइट का शुभारंभ किया गया।

कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री द्वारा “जैक्वार्ड बुनाई के लिए कंप्यूटर-सहायता प्राप्त फीगर्ड ग्राफ डिजाइनिंग” नामक पुस्तक का विमोचन किया गया।

गिरिराज सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में हथकरघा बुनकरों के ‘विकास और प्रगति’ के लिए वस्त्र मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के योगदान पर प्रकाश डाला। मंत्री महोदय ने विश्व स्तरीय अवसंरचना वाले इस संस्थान को पश्चिम बंगाल को समर्पित किया और इस संस्थान में पहले वर्ष के लिए सीटों की संख्या मौजूदा 33 से बढ़ाकर 66 करने की घोषणा की। हथकरघा बुनकरों के बच्चों को इस संस्थान में अध्ययन करने और पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और सिक्किम के हथकरघा उद्योग की सेवा करने का अवसर मिलेगा।

माननीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईआईएचटी फुलिया कच्चे माल के रूप में फ्लैक्स और लिनन का उपयोग करके और कोलकाता स्थित एनआईएफटी से डिजाइन से संबंधित जानकारी का उपयोग करके वस्‍त्र मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान देगा। केंद्रीय मंत्री ने पश्चिम बंगाल की हथकरघा बुनाई की विरासत पर भी प्रकाश डाला और कहा कि औद्योगिक क्रांति से पहले मैनचेस्टर में उत्पादित कपड़े की तुलना में हमारे हथकरघा उत्पादों की मांग अधिक थी। बंगाल के हाथ से बुने वस्‍त्रों की बारीकी ऐसी थी कि एक साड़ी को एक छोटी सी अंगूठी के अंदर से गुजारा जा सकता था।

मंत्री महोदय ने इस बात पर भी रोशनी डाली कि वस्त्र मंत्रालय वर्ष 2030 तक 300 बिलियन डॉलर के बाजार आकार तक पहुंचने और वस्त्र मूल्य श्रृंखला में 6 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गिरिराज सिंह सिंह ने कहा ने कहा कि यह आईआईएचटी भवन सिर्फ एक भवन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा प्‍लेटफॉर्म है, जहां से हथकरघा बुनकरों के बच्चे अपने सपने पूरे कर सकते हैं। छात्रों को उच्च कौशल प्रदान करके हथकरघा शिल्प को टिकाऊ बनाया जाएगा और इससे हथकरघा क्षेत्र को वैश्विक पहचान मिलेगी। सादगी, परंपरा और प्रौद्योगिकी का संगम ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की दिशा में एक संयुक्त कदम है।

इस मौके पर सुवेंदु अधिकारी, विधायक और पश्चिम बंगाल विधानसभा में माननीय नेता प्रतिपक्ष; जगन्नाथ सरकार, राणाघाट के माननीय संसद सदस्य; चकदाहा के माननीय विधायक बंकिम चंद्र घोष; राणाघाट उत्तर पूर्व के माननीय विधायक आशिम विश्वास; कृष्णगंज के माननीय विधायक आशीष कुमार विश्वास और डॉ. एम.बीना, आईएएस, हथकरघा विकास आयुक्त, वस्‍त्र मंत्रालय, भारत सरकार, मौजूद थे।

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