उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने तिरुवनंतपुरम स्थित मार इवानियोस कॉलेज के प्लेटिनम जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया
उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज तिरुवनंतपुरम स्थित मार इवानियोस कॉलेज के प्लेटिनम जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। यह समारोह शिक्षा और राष्ट्र निर्माण में संस्थान के 75 वर्षों के योगदान का प्रतीक है।
सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि मार इवानियोस कॉलेज जैसे संस्थान शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति का उदाहरण हैं, जो न केवल ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि समाज को अज्ञानता और असमानता से भी मुक्त करती है।
उन्होंने कहा कि शैक्षिक और आध्यात्मिक संस्थान, जब संवैधानिक मूल्यों के साथ संरेखित होते हैं, तब वे राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत इतिहास के एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है, जहां विश्व नेतृत्व और नवाचार के लिए भारत की ओर देख रहा है। उन्होंने युवाओं से न केवल अपने संवैधानिक अधिकारों, बल्कि अपने मौलिक कर्तव्यों का भी पालन करने का आग्रह किया, जिनमें विविधता का सम्मान, वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रतिपादित ‘विकसित भारत @ 2047’ के राष्ट्रीय विजन का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि युवा भविष्य की प्रतीक्षा नहीं कर रहे हैं, बल्कि सक्रिय रूप से उसे आकार दे रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक विकसित भारत का निर्माण केवल सत्ता के गलियारों में ही नहीं, बल्कि कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, खेतों, कारखानों, स्टार्टअप्स और गांवों में युवा भारतीयों की ऊर्जा और आकांक्षाओं से होगा।
आत्मनिर्भर भारत के विजन को प्राप्त करने में शिक्षा की भूमिका पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 रटने की पद्धति से दूर हटकर बहु-विषयक शिक्षा, आलोचनात्मक चिंतन, नवाचार और रचनात्मकता की दिशा में एक परिवर्तनकारी बदलाव को चिन्हित करती है।
भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल और नवाचार इको-सिस्टम का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शैक्षिक परिसरों को नवाचार और उद्यमिता के केंद्र के रूप में विकसित होना चाहिए। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे केवल रोजगार की तलाश ही न करें, बल्कि रोजगार सृजित करने और सामाजिक चुनौतियों के स्वदेशी समाधान विकसित करने की भी अकांक्षा रखें।
युवाओं से कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने नैतिकता, संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक हित के प्रति सजगतापूर्वक प्रौद्योगिकी के उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
भारत के शैक्षिक और साक्षरता परिदृश्य में केरल की अनुकरणीय भूमिका को उजागर करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि राज्य की उपलब्धियां यहां के लोगों और शिक्षा के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध संस्थानों के सामूहिक प्रयासों को दर्शाती हैं।
इस अवसर पर केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, केरल के स्थानीय स्वशासन मंत्री एम. बी. राजेश, सांसद डॉ. शशि थरूर, तिरुवनंतपुरम नगर निगम के महापौर वी. वी. राजेश, त्रिवेंद्रम के मेजर आर्कबिशप-कैथोलिकोस और मार इवानियोस कॉलेज के पेट्रन् बेसेलियोस कार्डिनल क्लेमिस और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।





