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ऊर्जा साझेदारी का विकास: हरदीप सिंह पुरी ने 9वें ओपेक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में वैश्विक ऊर्जा नेताओं से मुलाकात की

कल विएना में आयोजित किए गए 9वें ओपेक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के दौरान, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भारत की ऊर्जा साझेदारियों को और मज़बूत बनाने तथा देश की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के मकसद से कई अहम द्विपक्षीय और व्यावसायिक बैठकें कीं।

हरदीप सिंह पुरी ने कुवैत के तेल मंत्री और कुवैत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष महामहिम तारिक सुलेमान अल-रूमी से मुलाकात की, जहाँ दोनों पक्षों ने मौजूदा सहयोग को और मज़बूत करने पर चर्चा की। कुवैत वर्तमान में कच्चे तेल का छठा सबसे बड़ा स्रोत, एलपीजी का चौथा सबसे बड़ा स्रोत और भारत का आठवाँ सबसे बड़ा हाइड्रोकार्बन व्यापार साझेदार है, जो इस द्विपक्षीय ऊर्जा संबंध की गहराई और रणनीतिक महत्व को दर्शाता है।

एक अन्य बैठक के दौरान, हरदीप सिंह पुरी ने नाइजीरिया के पेट्रोलियम संसाधन राज्य मंत्री, महामहिम सीनेटर हेनेकेन लोकपोबिरी के साथ भी मुलाकात की। यह मुलाकात साल 2024 में दावोस में उनकी पिछली मुलाकात के बाद हुई है। भारतीय कंपनियाँ लगातार नाइजीरियाई कच्चे तेल की खरीददार रही हैं, और इसी को मद्देनज़र रखते हुए चर्चा का मुख्य विषय दोनों देशों के बीच हाइड्रोकार्बन व्यापार को और बढ़ाने तथा दीर्घकालिक साझेदारी को मज़बूत करने के अवसर तलाशना था।

हरदीप सिंह पुरी ने भारत की महत्वाकांक्षी अन्वेषण और उत्पादन (ईएंडपी) योजनाओं के मद्देनजर, संभावित सहयोग पर चर्चा करने के लिए शेल के सीईओ वाल सावन के साथ भी एक संक्षिप्त बैठक की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत नए अपतटीय और तटवर्ती क्षेत्रों में करीब 2.5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का अन्वेषण करने के लिए तैयार है, जो दुनिया के सबसे बड़ी बोली के दौरों में से एक है। हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत के अपने ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 6% से बढ़ाकर 15% करने के प्रयास, उन्नत तकनीकी साझेदारी के लिए अहम अवसर पेश करते हैं। उन्होंने कहा कि अधिक अन्वेषण और उत्पादन गतिविधि की दिशा में किए गए प्रयास, शेल की अत्याधुनिक तकनीकों से लाभान्वित होंगे, जिससे भारत के ऊर्जा सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करने वाले पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग का रास्ता साफ होगा।

सेमिनार के दौरान, हरदीप सिंह पुरी ने ओपेक महासचिव महामहिम हैथम अल ग़ैस से भी मुलाकात की। हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया कि उन्हें अपने प्रिय मित्र और ओपेक महासचिव महामहिम हैथम अल ग़ैस के साथ एक रोचक बातचीत करके बेहद खुशी हुई। उन्होंने ओपेक के साथ भारत की मज़बूत साझेदारी और यह सुनिश्चित करने के उपायों पर बातचीत की, कि तेल बाज़ार संतुलित और पूर्वानुमानित रहें, ताकि खासकर हाल की भू-राजनीतिक चुनौतियों के मद्देनज़र हरित और वैकल्पिक ऊर्जा की ओर सुचारु वैश्विक परिवर्तन को बढ़ावा मिल सके। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक के रूप में, भारत और प्रमुख तेल उत्पादकों के समूह, ओपेक के बीच गहरे संबंध हैं।

बीपी के सीईओ मरे औचिनक्लॉस के साथ अपनी बैठक में, हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि उनकी चर्चा सफल रही। उन्होंने भारत के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम ऊर्जा क्षेत्र में बीपी की साझेदारी को मजबूत करने पर चल रही बातचीत को आगे बढ़ाया। बीपी का भारत में ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में दीर्घकालिक और व्यापक जुड़ाव है और उसने ओएएलपी के 9वें दौर में भी भाग लिया है। चर्चाओं में ओएएलपी राउंड-10 के तहत 2.5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की खोज करके, अपनी घरेलू ईएंडपी क्षमताओं को आक्रामक रूप से बढ़ाने की भारत की योजनाओं पर भी चर्चा हुई। पिछले कुछ सालों में, भारतीय सार्वजनिक उपक्रमों ने वैश्विक स्तर पर ईएंडपी निवेश के लिए बीपी के साथ भागीदारी की है और अब खुदरा, प्राकृतिक गैस और कंप्रेस्ड बायोगैस में भी साथ जुड़ रहे हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के हरित ऊर्जा परिवर्तन की धुरी है। बीपी ने पुणे में एक विश्व स्तरीय वैश्विक व्यापार और प्रौद्योगिकी केंद्र भी स्थापित किया है

हरदीप सिंह पुरी ने विटॉल के समूह सीईओ रसेल हार्डी से भी मुलाकात की, जहाँ उन्होंने वैश्विक ऊर्जा बाजारों की वर्तमान चुनौतियों और हाइड्रोकार्बन मूल्य श्रृंखला में सहयोग पर चर्चा की। हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में अन्वेषण एवं उत्पादन, शोधन और गैस-आधारित ऊर्जा परिवर्तन सहित, ऊर्जा ढ़ांचे के विस्तार और उसे बढ़ाने की दिशा में भारत के अभूतपूर्व प्रयासों से उत्पन्न व्यापक सहयोग के अवसर दुनिया भर में गूंज रहे हैं और वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन रहे हैं।

रूस से तेल ख़रीदने पर भारत का रुख़:

एक प्रेस वार्ता के दौरान रूस से तेल ख़रीदने के बारे में पूछे जाने पर, मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि रूस प्रतिदिन 90 लाख बैरल से ज़्यादा तेल का उत्पादन करता है और कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। अगर करीब 97 मिलियन बैरल की वैश्विक तेल आपूर्ति में से 9 मिलियन बैरल अचानक गायब हो जाते हैं, तो पूरी दुनिया को अपनी खपत में 10% से ज़्यादा की कटौती करनी पड़ती, जो कि असंभव है। इस अफरातफरी के चलते वैश्विक तेल की कीमतें 130-200 डॉलर प्रति बैरल से भी ज़्यादा हो जातीं, क्योंकि सभी उपभोक्ता कम आपूर्ति का फ़ायदा उठाने का प्रयास करते।

भारत ने कभी कोई प्रतिबंधित माल नहीं खरीदा है। रूस के तेल पर कभी वैश्विक प्रतिबंध नहीं लगाए गए, क्योंकि समझदार निर्णयकर्ता वैश्विक तेल आपूर्ति श्रृंखलाओं की हकीकत से भली भांति अवगत थे। इसे केवल एक मूल्य सीमा के अंतर्गत रखा गया था। केवल वे लोग, जिन्हें तेल बाजारों की समझ नहीं है, वे ही हमारी नीतियों पर गैरज़रुरी निर्णय देते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत वैश्विक ऊर्जा मूल्य स्थिरता में एक सकारात्मक योगदानकर्ता रहा है। पिछले वर्ष में भी, जब एलपीजी की वैश्विक कीमतें आसमान छू रही थीं, तब भी प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित किया कि हमारे 33 करोड़ परिवारों को दुनिया भर में सबसे कम कीमतों पर स्वच्छ रसोई गैस मिलती रहे, जिससे हमारे उज्ज्वला लाभार्थियों को महज़ 0.4 डॉलर/किग्रा या एक औसत उज्ज्वला परिवार के लिए केवल 7-8 सेंट/दिन की दर से स्वच्छ रसोई गैस उपलब्ध हो सके।

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