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Coal Ministry likely to offer 62 blocks in 10th round of commercial coal block auction
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वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के 11वें दौर में 12 खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी हुई

कोयला मंत्रालय ने 05 दिसंबर, 2024 को वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला खदानों की नीलामी के 11 वें दौर की शुरुआत की है, जो कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। अग्रिम नीलामियों में कुल बारह कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई, जिनमें आठ पूरी तरह से खोजी गई और चार आंशिक रूप से खोजी गई कोयला खदानें शामिल हैं।

इन बारह खदानों में सामूहिक रूप से लगभग 5,759.23 मिलियन टन का भूगर्भीय भंडार है, जिसमें आंशिक रूप से खोजी गई खदानों को छोड़कर कुल अधिकतम क्षमता (पीआईसी) 15.46 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है। नीलामी में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली, जिसमें 36.27 प्रतिशत का प्रभावशाली औसत राजस्व हिस्सा हासिल हुआ, जो भारत के कोयला क्षेत्र में उद्योगों की निरंतर रुचि और एक स्थिर और पारदर्शी नीति ढांचा प्रदान करने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

नई नीलाम की गई खदानों से लगभग 3,330 करोड़ रुपए (आंशिक रूप से खोजी गई खदानों को छोड़कर) का वार्षिक राजस्व उत्पन्न होने और लगभग 2,319 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश आकर्षित होने का अनुमान है। इसके अतिरिक्त, इन खदानों से 20,902 रोजगार अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जो कोयला-धारक क्षेत्रों में आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

वर्ष 2020 में वाणिज्यिक कोयला खनन की शुरुआत के बाद से, कोयला मंत्रालय ने कुल 125 कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की है, जिनकी संयुक्त उत्पादन क्षमता 273.06 मिलियन टन प्रतिवर्ष है। एक बार चालू हो जाने पर ये खदानें घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाने और भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। सामूहिक रूप से इन खदानों से 38,767 करोड़ रुपए का वार्षिक राजस्व उत्पन्न होने, 40,960 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश आकर्षित करने और लगभग 4,69,170 लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

वाणिज्यिक कोयला खदानों से उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 23-24 में कोयले का उत्पादन 12.55 मीट्रिक टन था और वित्त वर्ष 24-25 में यह बढ़कर 22.35 मीट्रिक टन (आज तक) हो गया है, जो 78.14 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

कोयला मंत्रालय द्वारा की गई ये रणनीतिक पहल कोयला क्षेत्र को आर्थिक विकास के प्रमुख चालक के रूप में बदलने के लिए उसके समर्पण की पुष्टि करती है। कोयले की मजबूत और टिकाऊ आपूर्ति सुनिश्चित करके ये प्रयास न केवल देश की ऊर्जा मांगों को पूरा करते हैं बल्कि आर्थिक स्थिरता और रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देते हैं, जिससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को आगे बढ़ाया जा सकता है।

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