AIM-ICDK वाटर इनोवेशन चैलेंज का चौथा संस्करण कोपेनहेगन में 2024 नेक्स्ट जेनरेशन डिजिटल एक्शन (NGDA) में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ
एआईएम-आईसीडीके वाटर इनोवेशन चैलेंज का चौथा संस्करण डेनमार्क के कोपेनहेगन में 2024 नेक्स्ट जेनरेशन डिजिटल एक्शन (एनजीडीए) में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। भारत और डेनमार्क के बीच बढ़ रही हरित रणनीतिक साझेदारी में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इस वर्ष के इस कार्यक्रम ने वैश्विक जल मुद्दों के लिए अभिनव और टिकाऊ समाधानों को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया। इस कार्यक्रम ने अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), नीति आयोग, इनोवेशन सेंटर डेनमार्क (आईसीडीके) और डीटीयू नेक्स्ट जेनरेशन एक्शन प्रोग्राम के तहत डीटीयू स्काईलैब सहित प्रमुख सहयोगियों को एक मंच पर लाया। इसके साथ ही इंटरनेशनल सेंटर फॉर क्लीन वाटर (आईसीसीडब्ल्यू), जल शक्ति मंत्रालय, डेनमार्क दूतावास, डेनमार्क की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी और डेनिडा फेलोशिप से समर्थन भी मिला।
भारत और डेनमार्क के बीच की साझेदारी, प्रभावशाली नवाचार को बढ़ावा देने में सहायक साबित हुई है। एआईएम-आईसीडीके वाटर इनोवेशन चैलेंज दोनों देशों के युवा नवोन्मेषकों को पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए सशक्त बनाने में विशेष रूप से प्रभावी रही है।
अटल इनोवेशन मिशन के मिशन निदेशक डॉ. चिंतन वैष्णव ने इस पहल के महत्व पर बल देते हुए कहा कि एआईएम-आईसीडीके जल चुनौती अपने चौथे वर्ष में है और वैश्विक जल चुनौतियों के लिए टिकाऊ तथा अभिनव समाधानों को बढ़ावा देने के लिए भारत और डेनमार्क की प्रतिबद्धता का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि कोपेनहेगन में नेक्स्ट जेनरेशन डिजिटल एक्शन 2024 में हमारे युवा नवप्रवर्तकों की उल्लेखनीय उपलब्धियां पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की शक्ति को उजागर करती हैं।
यह आयोजन तकनीकी नवाचार के साथ-साथ दीर्घकालिक प्रभाव की संभावना वाले व्यावहारिक समाधानों को भी प्रोत्साहित करता है। दोनों देशों की टीमों ने जल प्रबंधन, संरक्षण और इसके पहुंच में सुधार के लिए अभूतपूर्व समाधान प्रस्तुत किए। इस वर्ष के आयोजन ने प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और सतत विकास के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग को उजागर किया।
बेंगलुरु में डेनमार्क के महावाणिज्यदूत और व्यापार एवं नवाचार प्रमुख एस्के बो रोसेनबर्ग ने सहयोग के बारे में अपनी आशा व्यक्त की और कहा कि नेक्स्ट जेनरेशन डिजिटल एक्शन और डिजिटल टेक समिट में भारत की भागीदारी, वैश्विक चुनौतियों के समाधान में भारत-डेनमार्क संबंधों की मजबूती को दर्शाती है। उन्होंने यह भी कहा कि युवा उद्यमियों को समाधान के उपायों को विकसित करते देखना प्रेरणादायक है जो वैश्विक सहयोग की भावना को मूर्त रूप देते हैं और सतत विकास और नवाचार के लिए हमारे साझा लक्ष्यों को आगे बढ़ाते हैं।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में पांच स्टार्टअप टीमें शामिल थीं जिन्होंने वैश्विक नेक्स्ट जेनरेशन डिजिटल एक्शन कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में 10 देशों के प्रमुख विश्वविद्यालयों और नवाचार केंद्रों के युवा प्रतिभा संबद्ध रहे। इनमें से तीन विश्वविद्यालय टीमों- क्लिम8 (वीआईटी वेल्लोर), चेकमेट (वीआईटी वेल्लोर) और क्वालग्रिप (आईआईटी मद्रास) ने शुरुआती चरण के स्टार्टअप नवमार्ग और स्क्रैपिफाई के साथ मिलकर जटिल वैश्विक जल चुनौतियों से निपटने के लिए समाधान के आशाजनक उपाय विकसित किए।
वीआईटी वेल्लोर के तीन युवा नवप्रवर्तकों की टीम ‘क्लिम8’ ने ‘लीवरेजिंग मशीन लर्निंग एंड एआई फॉर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइसिंग’ पर दक्षिण अफ्रीका द्वारा पेश की गई चुनौती के लिए ‘एक्सेलेरेशन अवार्ड’ जीता। उन्हें राष्ट्रीय श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ स्टार्टअप अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल को डेनमार्क में भारत के राजदूत श्री मनीष प्रभात द्वारा आयोजित एक समारोह में सम्मानित किया गया। उन्होंने युवा नवप्रवर्तकों के योगदान की सराहना की और कहा कि इस सहयोग की सफलता पर्यावरण और तकनीकी चुनौतियों से निपटने में भारत और डेनमार्क के बीच बढ़ती साझेदारी को उजागर करती है। एआईएम-आईसीडीके जल नवाचार चुनौती की उपलब्धियाँ स्थायी समाधानों को बढ़ावा देने और भविष्य को आकार देने वाले नवप्रवर्तकों की अगली पीढ़ी का समर्थन करने की हमारी संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। प्रतिनिधिमंडल ने डीटीयू स्काईलैब द्वारा आयोजित टेक बाज़ार में भी भाग लिया। इस कार्यक्रम में दुनिया भर के राजनयिक, उद्योगपति और नवप्रवर्तक एक साथ दिखे।
कार्यक्रम के दौरान भाग लेने वाली टीमों ने गहन बूट कैंप और निवेशकों के सामने परियोजना की प्रस्तुति वाले सत्रों में भाग लिया, जिसका समापन 30 और 31 अक्टूबर, 2024 को डेनमार्क के कोपेनहेगन शहर में आयोजित डिजिटल टेक शिखर सम्मेलन में हुआ।
इस वर्ष की एआईएम-आईसीडीके वाटर इनोवेशन चैलेंज की सफलता भारत और डेनमार्क के बीच की साझेदारी को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ भविष्य के सहयोग के लिए एक मंच भी तैयार करती है जो वैश्विक स्थिरता के लिए प्रभावशाली समाधानों को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।