insamachar

आज की ताजा खबर

63rd meeting of NMCG Green signal given to major projects for environmental flow in tributaries of Ganga
भारत

NMCG की 63वीं बैठक: गंगा की सहायक नदियों में पर्यावरणीय प्रवाह के लिए प्रमुख परियोजनाओं को हरी झंडी

गंगा और उसकी सहायक नदियों के पुनरुद्धार की दिशा में एक ठोस और समग्र पहल के तहत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 63वीं कार्यकारी समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक का फोकस था – स्थिरता और नवाचार – जो मिशन के मुख्य उद्देश्यों से पूरी तरह से जुड़े हुए हैं जैसे कि जल की गुणवत्ता में सुधार, सतत शहरी जल प्रबंधन और गंगा बेसिन में इकोसिस्टम को पुराने रुप में लाना।

इस अवसर पर विभिन्न परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, जिनमें बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, वैज्ञानिक अध्ययन, तकनीकी समाधान और कायाकल्प योजनाएं शामिल थीं। इनका उद्देश्य केवल अल्पकालिक सुधार नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक और बड़े प्रभाव सुनिश्चित करना है, ताकि नदियों और जल निकायों का अस्तित्व भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहे।

बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर आगरा में सीवेज प्रबंधन परियोजना को मंजूरी दी गई, जिसका कुल बजट 126.41 करोड़ रुपये है। इस परियोजना के अंतर्गत 21.20 किलोमीटर इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन सीवर लाइनों के साथ-साथ 40 इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा, 8 आधुनिक पम्पिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे तथा जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने के लिए 5 प्रमुख ड्रेन में प्रभावी कचरा निगरानी स्क्रीन लगाई जाएंगी। यह परियोजना डिजाइन-निर्माण-संचालन-हस्तांतरण मॉडल पर आधारित है, जो इसे तकनीकी और प्रबंधकीय रूप से प्रभावशाली और दीर्घकालिक समाधान बनाता है।

पर्यावरणीय प्रवाह की गहन समझ को बढ़ावा देने के लिए, समिति ने दो प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी : “कोसी, गंडक और महानंदा नदियों का पर्यावरणीय प्रवाह आकलन” जिसकी लागत लगभग 6 करोड़ रुपये है और “घाघरा और गोमती नदी बेसिन में पर्यावरणीय प्रवाह आकलन” जिसकी अनुमानित लागत लगभग 8 करोड़ रुपये है। ये दोनों परियोजनाएं अगले तीन वर्षों में नदियों में सतत और अनुकूल प्रवाह व्यवस्था के विकास का मार्ग प्रशस्त करेंगी।

इसके अलावा, जोहकासौ प्रौद्योगिकी-आधारित और अन्य कॉम्पैक्ट प्लग एंड प्ले प्रौद्योगिकियों के घरेलू अपशिष्ट जल उपचार की प्रभावी निगरानी और दिशानिर्देश बनाने के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी गई। इस परियोजना की शुरुआत भारत में ऑन-साइट सीवेज उपचार की गुणवत्ता और स्थिरता को मजबूत करने के उद्देश्य से की जा रही है।

बैठक में अगले दो वर्षों के लिए 2.47 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ “उत्तराखंड के देहरादून जिले में रामसर साइट ‘आसन वेटलैंड’ के संरक्षण और प्रबंधन” परियोजना को मंजूरी दी गई। इस पहल का लक्ष्य वेटलैंड की जैव विविधता और इकोलॉजिकल हेल्थ को पुनर्जीवित करना है। इसमें वेटलैंड इन्वेंटरी असेसमेंट और निगरानी प्रणालियों के विकास के लिए स्वीकृति के साथ-साथ संरक्षण उपायों की योजना बनाना भी शामिल है।

एनएमसीजी की यह बैठक महज योजनाओं के अनुमोदन का एक औपचारिक अवसर ही नहीं थी, बल्कि एक नए सफर की शुरुआत थी – जहां परंपरा की गहराई और आधुनिक तकनीक की उड़ान, प्रकृति की मृदुता, विज्ञान की ताकत, सतत विकास की भावना और जनभागीदारी ने अद्भुत संगम रचा। स्वच्छ, समृद्ध और जीवंत नदी की दिशा में उठाया गया हर कदम न केवल नमामि गंगे मिशन को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी बन रहा है।

बैठक में प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें शामिल हैं: राजीव कुमार मित्तल (महानिदेशक, एनएमसीजी), महावीर प्रसाद (संयुक्त सचिव, विद्युत मंत्रालय), नलिन श्रीवास्तव (उप महानिदेशक, एनएमसीजी), अनूप कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक (तकनीकी), बृजेन्द्र स्वरूप कार्यकारी निदेशक (परियोजना), एस.पी. वशिष्ठ कार्यकारी निदेशक (प्रशासन), भास्कर दासगुप्ता कार्यकारी निदेशक (वित्त), नंदिनी घोष, (पश्चिम बंगाल की परियोजना निदेशक), प्रभाष कुमार (उत्तर प्रदेश एसएमसीजी से अपर परियोजना निदेशक), डॉ. रमाकांत पांडे, प्रबंध निदेशक यूपी जल निगम (शहरी)।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *