CRCL और IIT दिल्ली ने वैज्ञानिक क्षमताओं को मजबूत बनाने और व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए MoU पर हस्ताक्षर किए
केंद्रीय राजस्व नियंत्रण प्रयोगशाला (सीआरसीएल), केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी), राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली ने व्यापार को आसान बनाने और व्यापार सुगमता में सुधार के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस एमओयू का उद्देश्य सीआरसीएल में आरएंडडी, नवाचार और वैज्ञानिक उत्कृष्टता को गति देना, व्यापार सुगमता और विनियामक दक्षता को बढ़ावा देना है।
एमओयू पर आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी और सीआरसीएल के निदेशक वी. सुरेश ने सीबीआईसी के विशेष सचिव एवं सदस्य (सीमा शुल्क) सुरजीत भुजबल की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।
यह समझौता ज्ञापन एक दूरदर्शी पहल है जो वैज्ञानिक उत्कृष्टता, नियामक दक्षता और वैश्विक व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता के प्रति सीआरसीएल की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है, तथा देश को सीमा शुल्क अनुपालन और सुविधा के लिए एक विश्वसनीय केंद्र के रूप में स्थापित करता है।
एमओयू के प्रमुख रणनीतिक लाभ:
- उन्नत वैज्ञानिक क्षमताएं सीआरसीएल के विश्लेषणात्मक बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने के लिए आईआईटी दिल्ली के उन्नत आरएंडडी पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाती हैं, जिसमें ट्रेस-लेवल डिटेक्शन और हाई-एंड इंस्ट्रूमेंटेशन शामिल हैं।
- क्षमता निर्माण संयुक्त प्रशिक्षण, कार्यशालाएं और तकनीकी आदान-प्रदान से नैनोटेक्नोलॉजी, मैटेरियल साइंस और फोरेंसिक केमिस्ट्री जैसे क्षेत्रों में कस्टम केमिस्ट और अधिकारियों के कौशल में बढ़ोतरी होगी।
- मंजूरी प्रक्रियाओं में तेजी लाने के लिए त्वरित परीक्षण प्रोटोकॉल, स्वचालित स्क्रीनिंग विधियां और कस्टम विश्लेषणात्मक टूल्स के कस्टम टेस्टिंग डेवलपमेंट में नवाचार।
- ‘मेक इन इंडिया’ को समर्थन और भारत में विनिर्मित वस्तुओं के कारोबारी सुगम वैज्ञानिक सत्यापन और तेज टेस्टिंग टर्नअराउंड से सीमा शुल्क मंजूरी में तेजी आएगी और उद्योग का विश्वास बढ़ेगा।
- वर्ल्ड कस्टम्स ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूसीओ) के मानकों के साथ व्यापार सहूलियत और वैश्विक संरेखण तौर-तरीकों के सामंजस्य से भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत होती है और इससे अधिक पूर्वानुमानित सीमा शुल्क प्रक्रियाएं सुनिश्चित होती हैं।
एमओयू के उद्देश्य:
- सीमा शुल्क से संबंधित परीक्षण चुनौतियों और विनियामक विज्ञान पर संयुक्त अनुसंधान का संचालन करना।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करना और सीआरसीएल और क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं में उन्नत विश्लेषणात्मक तकनीकों को लागू करना।
- मानक संचालन प्रक्रियाओं, संदर्भ सामग्रियों और विश्लेषणात्मक डेटाबेस का साथ-साथ विकास करना।
- आईआईटी दिल्ली संकाय से सीआरसीएल वैज्ञानिकों को अकादमिक मार्गदर्शन प्रदान करना।
- नारकोटिक्स विश्लेषण, पर्यावरण निगरानी और गुणवत्ता आश्वासन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना।
केंद्रीय राजस्व नियंत्रण प्रयोगशाला (सीआरसीएल) के बारे में
केंद्रीय राजस्व नियंत्रण प्रयोगशाला (सीआरसीएल), केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी), राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, नई दिल्ली के तहत शीर्ष वैज्ञानिक संस्थान के रूप में कार्य करती है, जो पूरे भारत में 12 राजस्व प्रयोगशालाओं के नेटवर्क का नेतृत्व करती है। ये प्रयोगशालाएं व्यापारिक वस्तुओं के रासायनिक विश्लेषण के माध्यम से सीमा शुल्क और जीएसटी क्षेत्र संरचनाओं को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करती हैं, जिससे सटीक शुल्क निर्धारण और अप्रत्यक्ष कर कानूनों के प्रवर्तन में मदद मिलती है।
सभी 12 प्रयोगशालाएं आईएसओ/आईईसी 17025:2017 के अनुसार मान्यता प्राप्त हैं। विशेष रूप से:
- एनडीपीएस अधिनियम के तहत फोरेंसिक विश्लेषण के लिए 04 प्रयोगशालाएं भी मान्यता प्राप्त हैं।
- 02 प्रयोगशालाएं– सीआरसीएल (नई दिल्ली) और वडोदरा को एफएसएसएआई के तहत खाद्य प्रयोगशालाओं और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत पर्यावरण प्रयोगशालाओं के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- सीआरसीएल के कर्मचारी शासकीय अफीम एवं क्षारोद कार्यशालाओं (जीओएडब्ल्यू) में 02 प्रयोगशालाएं संचालित करते हैं।
कच्ची अफीम और अफीम एल्कलॉइड के गुणवत्ता नियंत्रण और परीक्षण के लिए गाजीपुर और नीमच में 2 कारखानें हैं।
प्रयोगशाला नेटवर्क वैज्ञानिक उत्कृष्टता और मानकीकृत तौर-तरीकों के माध्यम से व्यापार सहूलियत और विनियामक अनुपालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।