पंचायती राज मंत्रालय 8वें भारत जल सप्ताह और प्रदर्शनी में भागीदार के रूप में शामिल हो रहा है। इस कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम के हॉल नंबर 12ए में 17 से 20 सितंबर 2024 तक किया जाएगा। इस कार्यक्रम का विषय “समावेशी जल विकास और प्रबंधन के लिए भागीदारी और सहयोग” है और यह विषय ग्रामीण भारत में स्थायी जल कार्यप्रणालियों को आगे बढ़ाने की पंचायती राज मंत्रालय की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। पंचायती राज मंत्रालय संसाधनों के अभिसरण के माध्यम से लक्षित पंचायत विकास योजनाओं से सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर अपने प्रयास के एक अंग के रूप में जल-पर्याप्त गांवों को प्रोत्साहन दे रहा है।
मंत्रालय के प्रदर्शनी स्टॉल पर देश भर की ग्राम पंचायतों द्वारा जल प्रबंधन में अपनाए गए सर्वोत्तम तरीकों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिसमें जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण, जल वितरण, जल वितरण में राशनिंग आदि शामिल हैं। इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले की कोठार ग्राम पंचायत है, जहाँ जल को एकत्रित करने के लिए पहाड़ की तलहटी में एक पानी की टंकी बनाई गई है, जिसे बाद में एक पंप हाउस के माध्यम से आस-पास के गाँवों में वितरित किया जाता है। यह परियोजना जल की पर्याप्तता सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक, अभिनव समाधानों को कार्यान्वित करने के प्रत्येक ग्राम पंचायत के समर्पण को दर्शाती है।
इसके अतिरिक्त, मणिपुर में कीनौ ग्राम पंचायत द्वारा जल एटीएम कियोस्क की स्थापना के माध्यम से ग्रामीणों को आरओ+यूवी जल की आपूर्ति करने के अभिनव दृष्टिकोण, अन्य ग्राम पंचायतों जैसे वंघमुन (जिला – जम्पुई हिल्स, त्रिपुरा), चिलुवुरु (जिला – गुंटूर, आंध्र प्रदेश), बीरगंज (जिला – गोमती, त्रिपुरा), हिवरे बाजार (जिला – अहमदनगर, महाराष्ट्र), बजरवाड़ा (जिला – वर्धा, महाराष्ट्र) और खुरसापर (जिला – नागपुर, महाराष्ट्र) द्वारा जल संरक्षण और प्रबंधन में सामुदायिक प्रयासों का उल्लेख किया जाएगा।
जल पर्याप्त पंचायत विषय सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण के नौ विषयों में से एक है। इसका उद्देश्य स्वच्छ जल की पहुँच सुनिश्चित करना, स्वच्छता को बढ़ावा देना और स्थायी जल प्रबंधन को अपनाना है। पंचायती राज मंत्रालय द्वारा विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के सहयोग से परिकल्पित सभी नौ विषय आपस में जुड़े हुए हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संयुक्त रूप से कार्य करता हैं।
पंचायती राज मंत्रालय ग्रामीण भारत में जल चुनौतियों से निपटने में ग्राम पंचायतों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देता है। पंचायती राज मंत्रालय पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई), ग्रामीण क्षेत्रों के स्थानीय निवासियों, अन्य प्रमुख हितधारकों और मीडिया से इस जन-कल्याणकारी, जन-उन्मुख कार्य में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह करता है। इन पहलों की सफलता काफी हद तक जन जागरूकता और सामूहिक कार्रवाई पर निर्भर करती है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबंधन एक साझा जिम्मेदारी है।
8वां भारत जल सप्ताह, इस मिशन में सभी हितधारकों को शामिल करने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। एलएसडीजी के जल पर्याप्त पंचायत विषय के अंतर्गत कुछ अच्छा प्रदर्शन करने वाली पंचायतों के प्रतिनिधि 8वें भारत जल सप्ताह में प्रतिनिधि के रूप में भाग लेंगे। पंचायती राज मंत्रालय ने भारत जल सप्ताह-2024 में सम्पूर्ण भारत की ग्राम पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह पहल जल प्रबंधन पर राष्ट्रीय विचार-विमर्शों में जमीनी स्तर की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
पंचायती राज मंत्रालय ने विभिन्न सम्मेलनों, कार्यशालाओं, क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और प्रोत्साहन हस्तक्षेपों एवं पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों सहित प्रमुख हितधारकों के साथ नियमित संवाद के माध्यम से जल पर्याप्तता को निरंतर बढ़ावा दिया है। 16 अप्रैल 2022 को आज़ादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) प्रतिष्ठित सप्ताह के अंग के रूप में जल पर्याप्त पंचायतों और स्वच्छ और हरित पंचायतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एलएसडीजी पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसके बाद 22 से 24 सितंबर 2022 तक महाराष्ट्र के पुणे में इन्हीं विषयों पर एक राष्ट्रीय विषयगत कार्यशाला का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (24 अप्रैल 2023) के नेतृत्व में 20 अप्रैल 2023 को स्वस्थ पंचायतों, जल पर्याप्त पंचायतों एवं स्वच्छ और हरित पंचायतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एलएसडीजी पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था।
इन सम्मेलनों और कार्यशालाओं ने शानदार प्रदर्शन करने वाली पंचायतों के लिए अपनी सर्वोत्तम कार्य-प्रणाली को साझा करने के लिए मंच तैयार किए हैं, जिससे जल स्थिरता की दिशा में एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन को प्रोत्साहन मिला है। माननीय प्रधानमंत्री के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, पंचायतें जल प्रबंधन, जल संरक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, इस प्रकार सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण और समृद्ध एवं स्थायी भविष्य की दिशा में भारत की यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
पंचायती राज मंत्रालय राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली पंचायतों को प्रोत्साहित कर रहा है। इन पुरस्कारों को नया रूप दिया गया है और वर्ष 2022 के दौरान इनकी 9 स्थानीयकरण सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) जैसे विषयों के साथ जोड़कर शुरूआत की गई। ये कुल 17 एसडीजी को जोड़ते हैं। तदनुसार, पंचायती राज मंत्रालय ने जल पर्याप्त पंचायत विषय के अंतर्गत अच्छा प्रदर्शन करने वाली पंचायतों के लिए एक प्रोत्साहन व्यवस्था का शुभारंभ किया है, जिससे अन्य लोगों को भी इसी तरह की सर्वोत्तम कार्य-प्रणालियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इन अनुकरणीय पंचायतों को अपनी उपलब्धियों को साझा करने के लिए राष्ट्रीय मंच प्रदान किया जाता है, जिससे अन्य लोगों को अपनी ग्राम पंचायतों में सफल जल प्रबंधन पहलों को दोहराने के लिए प्रेरणा मिलती है। पंचायत विकास सूचकांक (पीडीआई) के माध्यम से प्रगति की निगरानी भी की जाती है, जिससे जवाबदेही और निरंतर सुधार को बढ़ावा मिलता है।
8वें भारत जल सप्ताह के दौरान, जल क्षेत्र में सर्वोत्तम कार्य-प्रणालियों पर एक विषयगत सत्र में सम्पूर्ण भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सफल पहलों पर जोर दिया जाएगा। इस सत्र का उद्देश्य अंतर-राज्य सहयोग को बढ़ावा देना और ऐसे मॉडलों को प्रदर्शित करना है जिन्हें देश भर में जल चुनौतियों का समाधान करने के लिए दोहराया जा सकता है।