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Australian Army Chief Lieutenant General Simon Stuart arrives in New Delhi on an official visit to India
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ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट भारत की आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे

ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट 11 से 14 अगस्त तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करना तथा दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को बढ़ाना है।

इस यात्रा की शुरुआत राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर औपचारिक पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई, जहाँ जनरल स्टुअर्ट ने भारतीय सशस्त्र बलों के वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद साउथ ब्लॉक में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्‍द्र द्विवेदी से औपचारिक मुलाकात हुई।

ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख को भारत की सुरक्षा की दृष्टि से, ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय सेना में प्रौद्योगिकी अपनाने के संबंध में हाल में हुई प्रगति के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों के वरिष्ठ नेतृत्व से भी मुलाकात की, जिनमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी, वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह और रक्षा सचिव राजेश कुमार शामिल थे। इस यात्रा के दौरान, ऑस्ट्रेलियाई सेना के रेजिमेंटल सार्जेंट मेजर ने साउथ ब्लॉक में भारतीय सेना के सूबेदार मेजर से मुलाकात की और सभी रैंकों के बीच सौहार्द और सहयोग को बढ़ावा दिया।

जनरल स्टुअर्ट 12 अगस्त को आगरा जाकर 50 (स्वतंत्र) पैराशूट ब्रिगेड का दौरा करेंगे और सभी रैंकों के साथ बातचीत करेंगे। वह राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय में मुख्य भाषण देने के लिए नई दिल्ली लौटने से पहले प्रतिष्ठित ताजमहल भी देखेंगे।

ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख 13 और 14 अगस्त को पुणे जाएँगे, जहाँ वे दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ से बातचीत करेंगे और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला का दौरा करेंगे। वे कैडेटों को नेतृत्व, संयुक्त प्रशिक्षण और सहयोग पर संबोधित करेंगे। इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान, वे अन्य रक्षा सहयोग कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे।

यह उच्च स्तरीय यात्रा मजबूत और बढ़ती भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा साझेदारी की पुष्टि करती है और एक स्थिर, सुरक्षित और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता पर जोर देती है।

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