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लोकसभा में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा जारी

लोकसभा में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा शुरू हुई। राष्ट्रीय गीत, बंकिमचंद्र चटर्जी ने वर्ष 1875 में लिखा था। चर्चा की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम के मंत्र ने समूचे देश को शक्ति और प्रेरणा दी और स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जावान बनाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वंदे मातरम का स्मरण इस सदन के सभी सदस्यों और देशवासियों के लिए सौभाग्य की बात है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम ने वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। यहीं वंदे मातरम् है जिसने 1947 में देश को आजादी दिलाई। स्‍वतंत्रता संग्राम का भावात्‍मक नेतृत्‍व इस वंदे मातरम् के जयघोष में था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश के स्‍वतंत्रता सेनानियों ने अपनी आखिरी सांस तक वंदे मातरम का जयघोष किया। हमारे जांबाज सपूत बिना किसी डर के फांसी के तख्‍ते पर चढ़ते थे और आखिरी सांस तक वंदे मातरम्, वंदे मातरम्, वंदे मातरम् यही उनका भावघोष रहता था। खुदीराम बोस, मदनलाल ढींगरा, रामप्रताप बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान, रोशन सिंह, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद विश्वास अनगिनत जिन्‍होंने वंदे मातरम् कहते-कहते फांसी के फंदे को अपने गले पर लगाया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब वंदे मातरम अपनी 100वीं वर्षगांठ मना रहा था, तब देश आपातकाल से प्रभावित था। वंदे मातरम् एक सौ 50 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है, लेकिन आदरणीय अध्‍यक्ष जी वंदे मातरम् के जो 50 वर्ष हुए तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था और वंदे मातरम् के सौ साल हुए तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। जब वंदे मातरम् सौ साल का हुआ तक देशक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया। जिस वंदे मातरम् के गीत ने देश को आजादी की ऊर्जा दी थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम का विरोध करने वाली मुस्लिम लीग की राजनीति 1937 में शुरू हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने वंदे मातरम पर समझौता करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय गीत के मुद्दे पर मुस्लिम लीग के समक्ष समर्पण कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने इसके खिलाफ नारे लगाए थे और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू ने जिन्ना की निंदा करने के बजाय, जिन्ना के विरोध के पाँच दिन बाद ही वंदे मातरम की जाँच शुरू कर दी थी।

चर्चा में भाग लेते हुए, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि बंगाल के कई लेखकों और कवियों ने स्‍वाधीनता आंदोलन में प्राण फूंकने वाले गीत लिखे। गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अपने भाषण के दौरान चर्चा को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि वंदे मातरम् गीत ने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ कठिन समय में ऊर्जा और आशा का संचार किया। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्‍याय जी ने रचित वंदे मातरम् की प्रत्‍येक पंक्ति में भारत की प्रकृति, मातृत्‍व, वात्‍सल्‍य, सौंदर्य और शक्ति का अद्भुत संगम है। ये गीत उस युग में आशा की ज्‍योति बनकर उभरा, जब देश गुलामी के अंधकार से जूझ रहा था। इस गीत ने लाखों भारतीयों को अपने भीतर स्‍वतंत्रता का सब देखने का साहस दिया।

राष्ट्रीय गीत, वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा से पहले, केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि वंदे मातरम ने स्वतंत्रता संग्राम में लोगों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इतने विशाल देश में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह से हो रही स्‍वतंत्रता के संघर्ष को एकता के सूत्र में बांधने में वंदे मातरम् की बहुत बड़ी भूमिका थी और धीरे-धीरे वंदे मातरम् देश के स्‍वतंत्रता सेनानियों के अभिवादन से ले करके अंतिम शब्‍द तक के रूप में बनकर उभरा।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि युवा पीढ़ी के लिए वंदे मातरम के महत्व और इसकी भावना को समझना महत्‍वपूर्ण है। संसद के बाहर मीडिया से बातचीत में, चिराग पासवान ने युवाओं से इस विशेष चर्चा को सुनने का आग्रह किया। मुझे लगता है ये वंदे मातरम् कि 150 साल पूरे होने पर ही नहीं बल्कि आने वाले एक सौ 50 साल मज़बूत नीव वंदे मातरम् को लेकर रखने के लिए भी जरूरी है। पीढियां बीती, जो शायद वंदे मातरम् को जानते हैं पर इसके महत्‍व को, इसकी एकजुटता की भावना का शायद वो अंदाजा नहीं सकें। युवा पीढ़ी से विशेष तौर पर आग्रह करूंगा कि जरूर इस बहस को सुनें, हर किसी की बातों पर जरूर ध्‍यान दें।

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