दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने संबंधी अधीनस्थ न्यायालय का आदेश तब तक प्रभावी नहीं होगा, जब तक कि अदालत कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में जमानत को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर सुनवाई नहीं कर लेती।
ईडी ने न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन और न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा की पीठ के समक्ष अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी अपील का उल्लेख किया। पीठ ने कहा कि मामला जल्द ही उनके पास आ जाएगा और उसके बाद सुनवाई होगी। उच्च न्यायालय ने कहा कि तब तक अधीनस्थ न्यायालय के आदेश की तामील नहीं होगी। मामले की सुनवाई कुछ समय बाद के लिए निर्धारित कर दी गयी।
ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने बृहस्पतिवार की शाम को पारित अधीनस्थ न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि एजेंसी को अपना मामला रखने का उचित अवसर नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय ने 20 जून को रात आठ बजे के करीब फैसला सुनाया और अभी तक उन्हें आदेश की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गयी है।
एसवी राजू ने दलील दी कि आदेश पारित होने के बाद भी जब ईडी के वकीलों ने अधीनस्थ न्यायालय से आग्रह किया कि वे अपने आदेश को 48 घंटे के लिए स्थगित रखें ताकि वे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकें तो भी उनके अनुरोध पर विचार नहीं किया गया।