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Allied sectors of Indian agriculture have proved to be very important for improving agricultural income Economic Survey
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भारतीय कृषि से संबद्ध क्षेत्र कृषि आय में सुधार करने की दृष्टि से काफी महत्‍वपूर्ण साबित हुए हैं: आर्थिक समीक्षा

केंद्रीय वित्‍त एवं कारपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा -2023-24 पेश करते हुए कहा कि भारतीय कृषि के संबद्ध क्षेत्र लगातार प्रगति के मजबूत केन्द्रों और कृषि आय में सुधार के आशाजनक स्रोत के रूप में उभर रहे हैं। वर्ष 2014-15 से 2022-23 तक पशुपालन क्षेत्र की प्रगति बुनियादी मूल्‍य पर 7.38 प्रतिशत की काफी प्रभावी मिश्रित वार्षिक प्रगति दर (सीएजीआर) पर हुई। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में पशुपालन क्षेत्र का योगदान (बुनियादी मूल्‍य) पर कुल जीवीए वर्ष 2024-15 के 24.32 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 30.38 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2022-23 में पशुपालन क्षेत्र ने कुल जीवीए में 4.66 प्रतिशत का योगदान किया। जिसके चलते दुग्‍ध, अंडों और मांस की प्रति व्‍यक्ति उपलब्‍धता में पर्याप्‍त उछाल आया। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण योगदान देने वाले मत्‍स्‍य पालन क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 के बीच (बुनियादी मूल्‍य के आधार पर) कृषि जीवीए का करीब 6.72 प्रतिशत योगदान किया और इसने यह 8.9 प्रतिशत की मिश्रित वार्षिक दर से प्रगति की। इस ‘सनराइज सेक्‍टर’ ने विशेषकर हाशिए पर रहने वाले और असुरक्षित समुदायों के करी‍ब 3 करोड़ लोगों को सहायता प्रदान की।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) द्वारा व्यक्तिगत उद्यमियों, निजी कंपनियों, एफपीओ और धारा 8 की कंपनियों और डेयरी सहकारी (एएचआईडीएफ में डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास निधि का विलय करके शामिल की गई) से डेयरी प्रसंस्करण, मांस प्रसंस्करण, पशु चारा संयंत्रों और नस्ल सुधार प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश में सहायता दी जाती है। सरकार ऋण लेने वाले को 3 प्रतिशत ब्याज सहायता और कुल ऋण के 25 प्रतिशत तक की ऋण गारंटी प्रदान करती है। मई 2024 तक, ऋणदाता बैंकों/नाबार्ड/एनडीडीबी द्वारा 13.861 करोड़ रुपये मूल्य की 408 परियोजनाओं को स्‍वीकृति प्रदान की गई है। इसकी बदौलत प्रत्यक्ष रोजगार के 40,000 अवसरों का सृजन हुआ है और 42 लाख से अधिक किसानों को लाभ पहुंचा है।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष 2022-23 में, भारत ने 17.54 मिलियन टन का रिकॉर्ड मछली उत्पादन करके वैश्विक स्‍तर पर तीसरा स्‍थान प्राप्‍त किया और वैश्विक उत्‍पादन के 8 प्रतिशत के लिए उत्‍तरदायी रहा। इस क्षेत्र को प्रोत्‍साहन देने के लिए, बीज और मछली उत्पादन तथा अन्य विस्तार सेवाओं को बढ़ाने के संवर्धित करने के उद्देश्‍य से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के रूप में एक व्यापक हस्तक्षेप विकसित किया गया है। इस क्षेत्र की बुनियादी जरूरते पूरी करने के लिए कुल 7.52 हजार करोड़ रुपये की कुल धनराशि के साथ वर्ष 2018-19 में मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) की शुरुआत की गई। अब तक रियायती दर के रूप में 5.59 हजार करोड़ रुपये के लिए 121 प्रस्तावों की सिफारिश की गई है।

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र:

आर्थिक समीक्षा के अनुसार, भारत दुग्‍ध का सबसे बड़ा उत्‍पादक है तथा फलों, सब्जियों और चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्‍पादक है। भारत में खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग संगठित विनिर्माण क्षेत्र के सबसे बड़े नियोक्‍ताओं में से एक है। संगठित विनिर्माण क्षेत्र में कुल रोजगार में इसकी 12.02 प्रतिशत हिस्‍सेदारी है। वर्ष 2022-23 के दौरान प्रसंस्‍कृत खाद्य निर्यात सहित कृषि खाद्य निर्यात का मूल्‍य 46.44 बिलियन डॉलर रहा, जो भारत के कुल निर्यात के लगभग 11.7 प्रतिशत के लिए उत्‍तरदायी रहा। प्रसंस्‍कृत खाद्य निर्यात की हिस्‍सेदारी भी वर्ष 2017-18 में 14.9 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 23.4 प्रतिशत हो गई।

आर्थिक समीक्षा में इस बात को रेखांकित किया गया है कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में जीवीए वर्ष 2013-14 में 1.30 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 1.92 लाख करोड़ रुपये हो गया।इस क्षेत्र ने विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2011-12 के मूल्‍य पर जीवीए का 7.66 प्रतिशत स्‍थापित किया।

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