लक्षद्वीप, दमन दीव, दादरा और नगर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल ने आज केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से नई दिल्ली में मुलाकात की और केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तत्वावधान में चेन्नई के राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा पेयजल के लिए दुनिया का अपनी तरह का पहला “विलवणीकरण संयंत्र” स्थापित करने जैसी पहलों के लिए आभार व्यक्त किया।
प्रफुल्ल पटेल ने विश्व के पहले निम्न तापमान वाले तापीय विलवणीकरण (एलटीटीडी) संयंत्र के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को धन्यवाद दिया, जिसने केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराकर बड़ी राहत प्रदान की है। कुल 9 विलवणीकरण संयंत्र स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 7 संयंत्र चालू हैं और आने वाले सप्ताहों में एक और संयंत्र चालू हो जाएगा। इनमें से प्रत्येक निम्न तापमान वाले तापीय विलवणीकरण (एलटीटीडी) संयंत्र की क्षमता प्रतिदिन लगभग 1 लाख लीटर पीने योग्य पानी की है, जिसे आने वाले समय में बढ़ाकर 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन किया जाएगा।
निम्न तापमान वाले तापीय विलवणीकरण (एलटीटीडी) तकनीक महासागरों में स्वाभाविक रूप से उपलब्ध तापमान के अंतर का उपयोग करती है, कम दबाव पर सतह के पानी को वाष्पित करती है और परिणामी वाष्प को लगभग 400 मीटर गहराई से प्राप्त 12 डिग्री सेंट्रीग्रेड पर गहरे समुद्र के ठंडे पानी के साथ संघनित करती है। यह तकनीक स्वदेशी, पर्यावरण के अनुकूल और संचालन में आसान है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “दो हवाई अड्डे लक्षद्वीप में इको-पर्यटन और विकास के लिए वरदान सिद्ध होंगे।” उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश की वर्ष 2014 से विकास यात्रा और विद्यालयों, महाविद्यालयों और अस्पतालों तथा स्थानीय स्वशासी निकायों जैसे अन्य सामाजिक क्षेत्रों में लाए गए सुधारों पर प्रकाश डाला।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रफुल्ल पटेल को बताया कि दो पुनः खनिजीकरण संयंत्रों को चालू किया जा रहा है जो विलवणीकरण प्रक्रिया के दौरान वाष्पित होने वाले आवश्यक लवणों को पानी में फिर से मिश्रित कर देंगे। उन्होंने कहा कि अन्य विलवणीकरण इकाइयों/संयंत्रों को भी समय के साथ इसी तरह की पुनः खनिजीकरण सुविधा प्रदान की जाएगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि रामास्वामी स्मारक संस्थान के चिकित्सकों की एक टीम ने कावारत्ती संयंत्र की स्थापना से 6 महीने पहले और बाद के स्थानीय स्वास्थ्य रिकॉर्ड के आधार पर पाया कि जल जनित रोगों की घटनाओं में 90 प्रतिशत (200 से 8) की कमी आई है, जो पीने योग्य पानी के प्रावधान के स्वास्थ्य लाभ और प्रभाव को प्रदर्शित करता है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि ये स्वदेशी तकनीकी विकास एक मील का पत्थर साबित होंगे और केंद्र शासित प्रदेश में विकास की गति बढ़ाएंगे तथा पर्यटन को बढ़ावा देंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने लक्षद्वीप के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “आने वाले वर्षों में यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एक प्रमुख केंद्र बन जाएगा, जिससे रोजगार के अवसर सृजित होंगे और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा।” डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रफुल्ल पटेल को यह भी बताया कि उनके अधीन लगभग सभी मंत्रालय क्षेत्र में अधिक परियोजनाएं लाने और विकास के कार्य करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। इस अवसर पर दोनों नेताओं ने केंद्र शासित प्रदेश में विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों और परियोजनाओं पर चर्चा की।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के स्थापना दिवस, 26 सितंबर 2025 के शुभ अवसर…
आयुष मंत्रालय ने कैंसर देखभाल में एकीकृत चिकित्सा के माध्यम से बदलाव की दिशा में…
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में आज से शुरू हो रही वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स…
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में मूसलाधार बारिश के कारण कई जिलों में बाढ़ की स्थिति और…
भारत ने कहा है पाकिस्तान पर आतंकवाद का महिमामंडन करता है और भारत-पाकिस्तान संघर्ष के…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारसुगुड़ा में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं…