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Ambassadors' meet organised by MDoNER receives overwhelming support from foreign diplomats to explore possibilities in Northeast
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MDoNER द्वारा आयोजित राजदूतों की बैठक को पूर्वोत्तर में संभावनाओं का पता लगाने के लिए विदेशी राजनयिकों से भारी समर्थन मिला

भारत के उत्तर पूर्व में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने और वैश्विक निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) ने 15 अप्रैल, 2025 को नई दिल्ली में राजदूतों की एक बैठक आयोजित की, जिसमें 80 से अधिक देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों और वरिष्ठ राजनयिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) की अकूत संभावनाओं को प्रदर्शित करना और सतत विकास के लिए द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना था।

राजदूतों की बैठक में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने भाग लेते हुए आर्थिक और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से इस क्षेत्र के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया। अपने मुख्य भाषण में उन्होंने पूर्वोत्तर को कनेक्टिविटी, व्यापार और नवाचार के केंद्र में बदलने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को सामने रखा। उन्होंने इस अवसर पर रेखांकित किया कि पूर्वोत्तर के आठों राज्यों में से प्रत्येक में अद्वितीय ताकत, संसाधन और अवसर हैं, जो इस क्षेत्र को भारत की विकास कहानी में एक अमूल्य संपत्ति बनाते हैं। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता से लेकर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और रणनीतिक स्थान तक पूर्वोत्तर क्षेत्र में देश की अग्रणी आर्थिक शक्तियों में से एक के रूप में उभरने की अपार संभावनाएं हैं। दक्षिण पूर्व एशिया से इसकी निकटता भी इसको दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के प्रवेशद्वार के रूप में स्थापित करती है, जो भारत की एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप है। केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले देशों को क्षेत्र के समृद्ध संसाधनों और शिल्प कौशल का लाभ उठाते हुए उन्हें पूर्वोत्तर में अवसरों की खोज करने का निमंत्रण दिया।

माननीय राज्य मंत्री एमडीओएनईआर डॉ. सुकांत मजूमदार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पूर्वोत्तर राज्य निवेश के अवसरों और एक साथ “विकसित भारत” के निर्माण के लिए बेहतरीन पहलू प्रदान करते हैं। उन्होंने पिछले 10 वर्षों के दौरान माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पूर्वोत्तर क्षेत्र में हुए बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में प्रमुख विकास पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें हवाई, सड़क और रेल संपर्क, जलमार्ग आदि का विस्तार शामिल है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर पूर्व को भारत की अष्टलक्ष्मी के रूप में महत्व दिया है, जो तेजी से औद्योगिकीकरण के लिए एक प्रमुख आर्थिक संपत्ति है। उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में पर्याप्त अवसरों के साथ उत्तर पूर्व भारत निवेशकों का स्वागत करता है ताकि वे इसकी अकूत क्षमता का पता लगा सकें और इसकी विकास यात्रा का सहभागी बन सकें।

इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अरुणाचल प्रदेश सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र की अद्वितीय शक्तियों पर प्रकाश डाला।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से इस बात को सामने रखा कि पूर्वोत्तर भारत की विकास नीतियों में सबसे आगे रहा है। उन्होंने कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट परियोजना के महत्व और दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों के लिए प्रवेशद्वार बनने की पूर्वोत्तर की क्षमता का उल्लेख किया।

इस अवसर पर एमडीओएनईआर के सचिव चंचल कुमार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर विस्तृत प्रस्तुति दी और क्षेत्र की अप्रयुक्त क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने आईटी और आईटीईएस, स्वास्थ्य सेवा, कृषि और संबद्ध, शिक्षा और कौशल विकास, खेल और मनोरंजन, पर्यटन और आतिथ्य, बुनियादी ढांचे और रसद, कपड़ा, हथकरघा और हस्तशिल्प और ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों पर भी अपनी बातें रखीं। उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में पर्याप्त अवसरों के साथ, पूर्वोत्तर भारत निवेशकों का स्वागत करता है ताकि वे इसकी विशाल क्षमता का पता लगा सकें और इसकी विकास यात्रा का हिस्सा बन सकें। उन्होंने कहा कि एमडीओएनईआर राजनयिक मिशनों, अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसियों और वैश्विक निवेशकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि संसाधनों और विशेषज्ञता को उन परियोजनाओं की ओर बढ़ाया जा सके जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में रोजगार, बुनियादी ढांचे और मानव पूंजी को बढ़ावा देंगी।

विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) पेरियासामी कुमारन ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र बांग्लादेश, भूटान, चीन, नेपाल और म्यांमार सहित पड़ोसी देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है, जो इसे एक रणनीतिक स्थान और भारत के लिए दक्षिण पूर्व एशिया का प्रवेशद्वार बनाता है। इसलिए इस क्षेत्र को न केवल दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ बल्कि पड़ोसी देशों, जैसे बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के साथ भी भारत के बढ़ते आर्थिक संबंधों के आधार के रूप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने रेखांकित किया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विविध संस्कृतियों, परंपराओं और मनभावन प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। उन्होंने राजदूतों की बैठक को रचनात्मक संवादों में शामिल होने, साझेदारी बनाने और निवेश आकर्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बताया, जो समावेशी विकास और समृद्धि को बढ़ावा देगा। उल्लेखनीय है कि यह मंच आगे आने और पूर्वोत्तर द्वारा पेश किए गए विविध अवसरों का पता लगाने का एक अवसर है।

उल्लेखनीय है कि राजदूतों की बैठक 23 और 24 मई, 2025 को एमडीओएनईआर द्वारा आयोजित किए जाने वाले उत्तर पूर्व निवेशक शिखर सम्मेलन की पूर्व-शिखर गतिविधियों में से एक थी। इस कार्यक्रम को अपेक्षित सफलता मिली, जिसमें राजदूतों और राजनयिक दूतों ने उत्तर पूर्वी राज्यों-अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा द्वारा पेश की गई संभावनाओं का पता लगाने के लिए भारतीय हितधारकों के साथ साझेदारी करने में गहरी रुचि व्यक्त की। इस कार्यक्रम ने न केवल सार्थक संवाद को बढ़ावा दिया बल्कि भविष्य की साझेदारी के लिए भी आधार तैयार किया, जिससे क्षेत्र में आर्थिक विकास और सतत विकास को बढ़ावा मिला।

इस कार्यक्रम में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और पूर्वोत्तर राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

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