भारत के वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने के लिए मध्यस्थता और मध्यस्थता तंत्र महत्वपूर्ण: केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज दिल्ली में यूनाइटेड इंटरनेशनल एवोकेट कॉन्फ्रेंस के विशेष पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने के लिए मध्यस्थता और मध्यस्थता तंत्र महत्वपूर्ण हैं। इस अवसर अपने संबोधन में उन्होंने भारत के तीव्र आर्थिक विकास और वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की महत्वाकांक्षा को समर्थन देने में एक मजबूत कानूनी और मध्यस्थता ढांचे के महत्व को रेखांकित किया।
पीयूष गोयल ने कहा कि न्यायिक विलम्ब को कम करने और एक स्थिर और पारदर्शी कारोबारी वातावरण सुनिश्चित करने में मध्यस्थता और मध्यस्थता तंत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने मध्यस्थता तंत्र में विश्वास की आवश्यकता पर बल दिया और बड़ी कंपनियों के प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय पूर्वाग्रहों के बारे में चिंताओं को स्वीकार किया। पीयूष गोयल ने हितधारकों से भारत में मध्यस्थता कार्यप्रणालियों को मजबूत करने का आग्रह किया ताकि उन्हें अधिक कुशल और निष्पक्ष बनाया जा सके, जिससे निवेशकों के लिए अधिक अनुकूल माहौल को बढ़ावा मिले।
भारत के विकास पथ पर चर्चा करते हुए, पीयूष गोयल ने देश के मजबूत आर्थिक प्रदर्शन उल्लेख करते हुए कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है और 2025-26 तक चौथी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने के पथ पर है। उन्होंने इस प्रगति का श्रेय महत्वपूर्ण नीतिगत सुधारों को दिया, जिसमें व्यापार नियमों का सरलीकरण और जन विश्वास अधिनियम के माध्यम से 180 से अधिक कानूनी प्रावधानों का गैर-अपराधीकरण शामिल है। मंत्री महोदय ने बल देकर कहा कि इन सुधारों ने एक विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूप में भारत में अंतरराष्ट्रीय विश्वास का निर्माण किया है।
उन्होंने बताया कि जन विश्वास का नाम सरकार और लोगों के बीच आपसी विश्वास को बढ़ावा देने के भाव से रखा गया था। इसका उद्देश्य नागरिकों को यह भरोसा दिलाना था कि सरकार उन पर विश्वास करती है और छोटी-मोटी गलतियों के लिए गंभीर कानूनी परिणामों के साथ दंडित करने की कोशिश नहीं करती। इसके बजाय, प्रक्रियाओं को सरल बनाने और यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है कि लंबी न्यायिक जांच के बजाय उचित उपायों के माध्यम से त्रुटियों को ठीक किया जा सके।
पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार अब जन विश्वास 2.0 पर कार्य कर रही है, जिसका उद्देश्य कानूनी जटिलताओं को और कम करना है। उन्होंने कहा कि संयोग से, हम अब जन विश्वास 2.0 की ओर बढ़ रहे हैं। कम से कम, व्यवसायों और व्यक्तियों को अपने जीवन में हर छोटी-बड़ी कार्रवाई के बारे में चिंता करने वाले अनावश्यक तनाव और कठिनाइयों से मुक्ति मिलनी चाहिए। अगर किसी के पास कोई राय है, तो हम उसका स्वागत करते हैं। हम कानूनी विशेषज्ञों के साथ सक्रिय रूप से वार्तालाप कर रहे हैं लेकिन अब भी, हम किसी भी कानून पर सुझावों के लिए खुले हैं जो व्यवसायों और नागरिकों के जीवन को आसान बनाने में मदद कर सकता है।
वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत के लाभों पर चर्चा करते हुए, पीयूष गोयल ने युवा कार्यबल, तकनीकी प्रगति और विशाल घरेलू बाजार जैसे प्रमुख कारकों की ओर संकेत किया जो विनिर्माण प्रतिस्पर्धा को बढ़ाते हैं। मंत्री महोदय ने भारत के डिजिटल परिवर्तन का भी उल्लेख किया, जिसमें व्यापक 5जी कनेक्टिविटी ने पूरे देश में व्यापार संचालन को आसान बना दिया है।
वर्तमान कानूनी सुधारों को संबोधित करते हुए, पीयूष गोयल ने वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के साथ तालमेल बिठाने के लिए भारत की न्यायिक और मध्यस्थता प्रणालियों के आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्रौद्योगिकी एकीकरण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानक कानूनों के माध्यम से मध्यस्थता दक्षता बढ़ाने के लिए सरकार के संकल्प की पुष्टि की। पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि न्याय स्वतंत्र स्वशासन का मूल है और न्याय के बिना, एक राष्ट्र का अस्तित्व भी संभव नहीं है।
पीयूष गोयल ने कानूनी बिरादरी को स्पष्ट, मजबूत और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी कानूनी प्रारूप का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए समापन किया, जो वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत की आकांक्षाओं का समर्थन करता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एक मजबूत कानूनी ढांचा न केवल आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाएगा, बल्कि वैश्विक व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को भी मजबूत करेगा।