थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री सेंटर एंड स्कूल (एमआईसीएंडएस), अहिल्यानगर में एक भव्य समारोह के दौरान मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री की चार बटालियनों को प्रतिष्ठित राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किए। 27 नवंबर को आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्र के प्रति उनकी अनुकरणीय और सराहनीय सेवा को मान्यता दी गई। राष्ट्रपति ध्वज मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट की 26वीं और 27वीं बटालियनों और ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स की 20वीं और 22वीं बटालियनों को प्रदान किए गए, जो सबसे युवा बटालियनों के लिए गौरव का क्षण था। इस सम्मान के महत्व को मान्यता देते हुए इस भव्य समारोह में बड़ी संख्या में दिग्गजों, सैन्य कर्मियों और गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।
सेना प्रमुख ने कलर प्रेजेंटेशन परेड का निरीक्षण किया और चार मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री बटालियनों के मार्चिंग और घुड़सवार दस्तों द्वारा प्रदर्शित त्रुटिहीन मानकों की सराहना की। राष्ट्रपति की ओर से, उन्होंने बटालियनों को प्रतिष्ठित राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किए, राष्ट्र के प्रति उनकी अनुकरणीय सेवा और समर्पण को मान्यता दी। उन्होंने सभी रैंकों, विशेष रूप से सम्मानित बटालियनों को बधाई दी और युद्ध एवं शांति दोनों समय में मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री के पेशेवर अंदाज की सराहना की। भारतीय सेना के सबसे नवीन और सबसे बहुमुखी लड़ाकू हथियारों के रूप में, मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री में इन्फेंट्री और मैकेनाइज्ड बलों का सर्वश्रेष्ठ मिश्रण है। अपनी वीरता और कौशल के लिए प्रसिद्ध इसकी बटालियनें सभी थिएटरों और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में तैनात हैं।
थल सेनाध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि 1979 में अपनी स्थापना के बाद से, मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री आर्म ने भारतीय सेना के भीतर एक आधुनिक और पेशेवर बल के रूप में अपनी पहचान बनाई है, जिसने ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन रक्षक और ऑपरेशन स्नो लेपर्ड जैसे प्रमुख अभियानों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में असाधारण साहस, अनुशासन और परिचालन दक्षता का प्रदर्शन किया है। आज, मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री की चार बटालियनों को उनके अनुकरणीय सेवा और कई उपलब्धियों के लिए राष्ट्रपति ध्वज से सम्मानित किया जा रहा है, जिसमें युद्ध और शांति दोनों ही अभियानों में उनका योगदान शामिल है। तेजी से विकसित हो रहे युद्ध के तौर-तरीके के बीच, मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री भविष्य की इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स, नाग मिसाइल सिस्टम, कैनिस्टर लॉन्च एंटी-आर्मर सिस्टम, मिनी रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट और इंटीग्रेटेड सर्विलांस और टारगेट सिस्टम जैसी उन्नत प्रणालियों के साथ आधुनिकीकरण जारी रखती है, जो भविष्य के संघर्षों में एक निर्णायक बल के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करती है। आधुनिकीकरण के ये प्रयास आत्मनिर्भरता की नींव पर आगे बढ़ रहे हैं। भारतीय सेना को उनके व्यावसायिकता और समर्पण पर बहुत गर्व है, जो सभी रैंकों को उच्चतम मानकों को बनाए रखने और राष्ट्र की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए प्रेरित करता है। सेना प्रमुख ने विभिन्न यूनिटों से भारतीय सेना की दशक भर की परिवर्तन पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को भी कहा।
ऐतिहासिक सैन्य परंपराओं से उत्पन्न, जहां झंडे एक यूनिट की पहचान का प्रतिनिधित्व करते थे, राष्ट्रपति ध्वज भारतीय सेना में एक सैन्य यूनिट को दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मानों में से एक है। ऐतिहासिक रूप से युद्ध में रैली के बिंदुओं के रूप में कार्य करते हुए, सैन्य ध्वज, जबकि अब काफी हद तक प्रतीकात्मक हैं, सैनिकों के बीच मनोबल, प्रेरणा और अपनेपन की भावना को बढ़ावा देना जारी रखते हैं। यह कलर, एक औपचारिक ध्वज है जिस पर यूनिट का प्रतीक चिन्ह और आदर्श वाक्य अंकित होता है, जिसे युद्ध संचालन और शांति काल में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए निर्दिष्ट सराहनीय सेवा पूरी करने पर इकाइयों को प्रदान किया जाता है। यह प्रतिष्ठित सम्मान एक भव्य औपचारिक परेड के दौरान प्रदान किया जाता है, जिसमें अक्सर राष्ट्रपति या सेना प्रमुख जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं।
समारोह के दौरान, सेना प्रमुख ने पूर्व-सैनिक समुदाय और समाज की भलाई के लिए उनके योगदान को लेकर चार अनुभवी अचीवर्स को सम्मानित भी किया। उन्होंने सभी रैंकों और परिवारों को अपनी शुभकामनाएं दीं और सेना के सभी रैंकों से भारतीय सेना के मूल मूल्यों और लोकाचार को ध्यान में रखते हुए राष्ट्र की सेवा करते हुए उत्कृष्टता के लिए प्रयास जारी रखने का आह्वान किया।
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