नीति आयोग के अटल नवाचार मिशन ने 20वीं चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र तकनीकी परामर्शदाता बैठक की मेजबानी की
नीति आयोग के अटल नवाचार मिशन (एआईएम) ने शुक्रवार 6 सितंबर 2024 को चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र पहल की 20वीं तकनीकी प्रामर्शदाता समिति (टीएसी) की बैठक की मेजबानी की, इसके बाद जीवन विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करने वाली इसकी नवाचार कॉफी टेबल बुक श्रृंखला ‘आपके लिए नवाचार’ के छठे संस्करण का अनावरण किया गया।
25 दिसंबर, 2023 को भारतीय आयुर्विग्यान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) – चिकित्सा उपकरण और नैदानिक मिशन सचिवालय (एमडीएमएस) द्वारा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के साथ साझेदारी में और नीति आयोग के मार्गदर्शन में शुरू की गई चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र पहल का उद्देश्य नैदानिक मूल्यांकन, नियामक सुविधा और नए उत्पादों को अपनाने के लिए महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करके चिकित्सा प्रौद्योगिकी नवोन्मेषकों को सशक्त बनाना और स्वास्थ्य देखभाल समाधानों को आगे बढ़ाना है।
चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र पोर्टल को इसके शुभारंभ के बाद से देश भर के नवोन्मेषकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। पोर्टल पर प्राप्त प्रश्नों के समाधान के लिए और चिकित्सा प्रौद्योगिकी नवोन्मेषकों को रणनीतिक समग्र सहायता प्रदान करने के लिए, ‘चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र’ की बीस तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) की बैठकें भारतीय आयुर्विग्यान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-मुख्यालय, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और नीति आयोग में आयोजित की गई हैं, जिसमें नवोन्मेषक शामिल थे। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), अटल नवाचार मिशन (एआईएम(-नीति आयोग, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), कलाम स्वास्थ्य एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, (केआईएचटी)/आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन (एएमटीजेड), डीएचआर-हेल्थ टेक्नोलॉजी असेसमेंट इन इंडिया (एचटीएआईएन), डीएचआर-सेंटर फॉर गाइडलाइन्स, आईसीएमआर-भारतीय नैदानिक परीक्षण एवं शिक्षा नेटवर्क (इंटेंट) और भारतीय आयुर्विग्यान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-चिकित्सा उपकरण एवं नैदानिक मिशन सचिवालय (एमडीएमएस), सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम), परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) के साथ-साथ मेडटेक उद्योग के अन्य प्रतिनिधि सहित चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र ज्ञान भागीदार संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुति देने के लिए भारतीय आयुर्विग्यान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-चिकित्सा उपकरण एवं नैदानिक मिशन सचिवालय (एमडीएमएस) द्वारा आमंत्रित किया गया।
शुक्रवार 6 सितंबर 2024 को आयोजित 20वीं तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) की बैठक, रणनीतिक और समग्र समर्थन प्रदान करने की चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र की प्रतिबद्धता की निरंतरता है। चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र की यात्रा को भारतीय आयुर्विग्यान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-चिकित्सा उपकरण एवं नैदानिक मिशन सचिवालय (एमडीएमएस) द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें सभी स्वास्थ्य देखभाल नवाचारों के दायरे का विस्तार करके और अन्य प्रासंगिक हितधारकों को शामिल करके इकोसिस्टम को और मजबूत करने के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला गया और क्वेरी समाधान और नवप्रवर्तकों की प्रतिक्रिया पर एक विस्तृत रिपोर्ट दी गई। इस कार्यक्रम में डॉ. वी.के. पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग, डॉ. राजीव बहल, सचिव डीएचआर और महानिदेशक, भारतीय आयुर्विग्यान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी, डीसीजीआई, सीडीएससीओ, डॉ. चिंतन वैष्णव, मिशन निदेशक, अटल नवाचार मिशन (एआईएम)-नीति आयोग, अनु नागर, संयुक्त सचिव, डीएचआर, सुरेंद्र मेहरा, प्रोग्रामर निदेशक (एस एंड टी), नीति आयोग और मेडटेक मित्र के ज्ञान भागीदारों के अन्य प्रतिष्ठित सदस्य उपस्थित थे, इनमें आईसीएमआर- इंटेंट नेटवर्क, आईसीएमआर- एमडीएमएस, सीडीएससीओ, एआईएम-नीति आयोग, बीआईएस, केआईएचटी/एएमटीजेड, डीएचआर- एचटीएइन, डीएचआर- दिशानिर्देश केंद्र, जीईएम और एईआरबी शामिल हैं। यह बैठक अब तक हुई प्रगति की समीक्षा करने और इसमें शामिल सभी हितधारकों के साथ रणनीतिक चर्चा करके पहल को आगे बढ़ाने पर केंद्रित एक सफल बैठक थी।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बनने की भारत की क्षमता को स्वीकार किया। पहल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “विचार-विमर्श से नैदानिक उपयोग तक की यात्रा सामान्य रूप से नियामक बाधाओं, परीक्षण आवश्यकताओं, उत्पादन जटिलताओं और नैदानिक मूल्यांकन प्रक्रियाओं सहित चुनौतियों से भरी होती है। चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र परामर्श, सहायता और आवश्यक संसाधनों तक पहुंच प्रदान करके इन समस्याओं का समाधान करता है।”
डीएचआर सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने पहल में शामिल सदस्यों की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की। नवेन्मेषकों के प्रश्नों के समाधान की दिशा में कदम उठाने के लिए टीम की सराहना करते हुए, उन्होंने नवेन्मेषको जुड़ाव में वृद्धि देखने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र को देश भर में चिकित्सा प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में डिज़ाइन किया गया है। नैदानिक मूल्यांकन सहायता, नियामक परामर्श और उत्पाद ग्रहण सुविधा तक पहुंच प्रदान करके, चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र इन स्टार्टअप्स को जटिल स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य को नेविगेट करने में सहायता करता है। यह एकीकरण सुनिश्चित करता है कि स्टार्टअप्स द्वारा विकसित नवाचार अवधारणा से बाजार तक आसानी से स्थानांतरित हो सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर उनका प्रभाव बढ़ सकता है। उन्होंने आगे कहा, “चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र को एक परिणाम के अनुरूप निकाय बनने का प्रयास करना चाहिए। प्रत्येक चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र ग्यान साझीदार की भारत सरकार के विकसित भारत दृष्टिकोण में योगदान देने का दायित्व है।”
डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी, डीसीजीआई, सीडीएससीओ ने चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र पहल की प्रगति को जनता के बीच प्रसारित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र पहल ने अपनी शुरुआत के बाद से उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। इस पहल में भारत को चिकित्सा उपकरणों और डायग्नोस्टिक्स का शुद्ध निर्यातक बनाने की काफी संभावनाएं हैं।”
अटल नवाचार मिशन के मिशन निदेशक डॉ. चिंतन वैष्णव ने अपने संबोधन के दौरान बैठक के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “20वीं चिकित्सा प्रौद्योगिकी मित्र तकनीकी परामर्शदाता बैठक चिकित्सा प्रौद्योगिकी नवेन्मेषकों को सहायता देने के हमारे चल रहे प्रयास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रदर्शित करती है। मजबूत चर्चाओं को सुविधाजनक बनाकर और व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करके, हमारा लक्ष्य चिकित्सा उपकरणों की प्रौद्योगिकी में प्रभावशाली प्रगति करना है। इसके अतिरिक्त, हम आपके लिए नवाचार के छठे संस्करण का अनावरण करने के लिए उत्साहित हैं, जो जीवन विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में भारतीय नवप्रवर्तकों के असाधारण योगदान का उत्सव मनाता है।”
बैठक के बाद अटल नवाचार मिशन (एआईएम) की ‘आपके लिए नवाचार’ कॉफी टेबल बुक का छठा संस्करण जारी किया गया। यह पुस्तक देश भर में फैले विभिन्न अटल इन्क्यूबेशन केंद्रों के अंतर्गत जुड़े 50 अग्रणी उद्यमियों पर प्रकाश डालती है, जो जीवन विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के माध्यम से बदलाव ला रहे हैं। इस क्षेत्र के भीतर, प्रकाशन उपश्रेणियों- डायग्नोस्टिक्स, थेरेप्यूटिक्स, बायोइंजीनियरिंग और ड्रग डिस्कवरी में नवाचारों को चित्रित करता है। प्रकाशन का उद्देश्य इन नवाचारों की कहानियों को उजागर करना और बड़े पैमाने पर समाज के लिए व्यापक अनुप्रयोगों और प्रभाव को रेखांकित करना है। आगामी स्टार्टअप को मार्गदर्शन और प्रेरित करने के उद्देश्य से, यह पुस्तक इन क्षेत्रों के भीतर नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहन देने में अटल नवाचार मिशन (एआईएम)-समर्थित इनक्यूबेटरों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करती है। इन इनक्यूबेटरों ने जीवन विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में भारत की क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है, उभरते नवप्रवर्तकों और शोधकर्ताओं को सशक्त बनाया है।