C-DOT और IIT, जोधपुर ने “AI के उपयोग से 5G और उससे आगे के नेटवर्क में स्वचालित सेवा प्रबंधन” के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए
दूरसंचार विभाग (डीओटी) के प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र सी-डॉट और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जोधपुर ने “एआई का उपयोग करके 5जी और उससे आगे के नेटवर्क में स्वचालित सेवा प्रबंधन” के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस समझौते पर डीओटी के टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (टीटीडीएफ) के तहत हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसे ग्रामीण एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में किफायती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं को सक्षम करने के लिए प्रौद्योगिकी डिजाइन, विकास, दूरसंचार उत्पादों के व्यावसायीकरण और समाधान में कार्यरत घरेलू कंपनियों और संस्थानों को वित्त पोषण सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इसका मुख्य उद्देश्य 5जी जैसे नेटवर्क में सृजित हो रही निरंतर जानकारी का उपयोग करके स्वचालित नेटवर्क प्रबंधन, गलती का पता लगाने और निदान तकनीकों के लिए एआई ढांचे को विकसित करना है। यह सेवा स्मार्ट मीटरिंग, रिमोट से संचालित वाहनों आदि जैसे विशिष्ट एप्लिकेशन के संयोजन में विकसित स्वचालित नेटवर्क प्रबंधन और स्लाइसिंग तकनीकों के प्रदर्शन के लिए एक वास्तविक समय 5जी और उससे आगे टेस्टबैड (ओ-आरएएन के अनुपालन में) स्थापित करेगी।
इस समझौते के हस्ताक्षर समारोह में सी-डॉट के निदेशक डॉ. पंकज कुमार दलेला और डॉ. साई किरण, एमपीआर, सहायक प्रोफेसर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग आईआईटी जोधपुर ने भाग लिया।
डॉ. साई किरण ने कहा कि “हम दूरसंचार विभाग से प्राप्त अनुसंधान और विकास अनुदान की घोषणा करते हुए बहुत रोमांचित हैं, जिससे 5जी और 6जी टेलीकॉम नेटवर्क प्रबंधन में क्रांति लाने और सेवा की गुणवत्ता (क्यूओएस) में सुधार लाने के उद्देश्य से उन्नत अनुसंधान और विकास पहल को बढ़ावा मिलेगा। अत्याधुनिक एआई प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर, हमारी टीम स्वचालित नेटवर्क प्रबंधन समाधानों के निर्माण का नेतृत्व करेगी, जो विलंब में कमी लाने और उच्च-विश्वसनीयता प्रदर्शन सुनिश्चित करते हैं, जिससे नए 5जी और 6जी एप्लिकेशन वर्टिकल जैसे रिमोट संचालित वाहन और स्मार्ट सिटी आदि के विकास को सक्षम बनाए जा सकेगा।”
सी-डॉट और आईआईटी-जोधपुर ने बताया कि इस परियोजना के सफल समापन से परिवहन प्रणालियों, स्मार्ट शहरों के क्षेत्रों में नए उपयोग के मामले सक्षम होंगे और इससे भारत को भविष्य के 6जी दूरसंचार मानकों में बेहतर योगदान में मदद मिलेगी।