केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने दो हाइड्रो पंप भंडारण संयंत्रों (पीएसपी) को मंजूरी दे दी है, इनमें ओडिशा में 600 मेगावाट अपर इंद्रावती को ओएचपीसी लिमिटेड (ओडिशा सरकार का उपक्रम) द्वारा विकसित किया जा रहा है और कर्नाटक में 2000 मेगावाट शरावती को केपीसीएल (कर्नाटक सरकार का उपक्रम) द्वारा रिकॉर्ड समय में विकसित किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी , जीएसआई, सीएसएमआरएस और हितधारकों ने मिशन मोड पर सीईए का संयुक्त रूप से पूरा समर्थन किया है।
सीईए को हाइड्रो पीएसपी (लगभग 60 गीगावॉट) के बहुत सारे प्रस्ताव भी मिले हैं, जो डीपीआर तैयार करने के लिए सर्वेक्षण और जांच के अधीन हैं। सभी डेवलपर्स डीपीआर तैयार करने के विभिन्न चरणों में हैं। डीपीआर तैयार होने के बाद, डेवलपर्स द्वारा इन पीएसपी को विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 8 के तहत सीईए की सहमति के लिए सीईए की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
भारत सरकार के व्यापार में सुगमता के अभियान के अनुरूप पीएसपी की सहमति प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, सीईए ने पीएसपी की डीपीआर तैयार करने और इसकी सहमति की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए दिशानिर्देशों को और अधिक संशोधित किया है।
संशोधित दिशानिर्देशों की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
- डीपीआर के विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए आवश्यक दस्तावेजों की चेकलिस्ट को शामिल किया गया है। पहले की चेकलिस्ट को छोटा कर दिया गया है।
- डेवलपर्स को अब पहले 13 अध्यायों को पूरा करने के साथ डीपीआर ऑनलाइन जमा करने की अनुमति प्रदान कर दी गई है। कुछ अध्यायों को समाप्त कर दिया गया है। इसलिए डीपीआर को छोटा कर दिया गया है।
- लागत और वित्तीय अध्यायों के अनुमोदन की कोई अनिवार्य आवश्यकता नहीं है। इन अध्यायों को अधिनियम की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केवल संदर्भ और रिकॉर्ड के लिए प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- क्लोज लूप हाइड्रो पीएसपी के लिए जलाशयों के लिए वैकल्पिक स्थान योजना प्रस्तुत करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
- डेवलपर की ओर से एक वचनबद्धता शामिल करना जिसमें कहा गया हो कि प्रस्तुत डीपीआर सीईए/सीडब्ल्यूसी/जीएसआई/सीएसएमआरएस के मूल्यांकन समूहों द्वारा जारी पूर्व-डीपीआर मंजूरी के अनुरूप है। इससे डीपीआर को पुनः जांच के लिए भेजने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। इससे सहमति प्रक्रिया में लगभग 4 से 5 महीने का समय बचने की उम्मीद है।
- डेवलपर्स के जोखिम और लागत पर प्रारंभिक उत्खनन की अनुमति देने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया गया है ताकि डेवलपर्स द्वारा साइट पर काम शुरू करने के लिए अग्रिम कार्रवाई की जा सके। इससे परियोजना के निष्पादन में लगभग 6 से 8 महीने का समय बचने की उम्मीद है।
- डेवलपर्स को यह भी सलाह दी गई है कि वे समय पर जांच करें और जांच रिपोर्ट मूल्यांकन एजेंसियों को सौंप दें ताकि मूल्यांकन एजेंसियों द्वारा समानांतर गतिविधियां की जा सकें। इससे भी लगभग 1 से 2 महीने का समय बचने की उम्मीद है।
सरकार ने देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऊर्जा भंडारण प्रणालियों, विशेष रूप से पीएसपी के विकास को प्राथमिकता दी है। राष्ट्रीय विद्युत योजना (उत्पादन) के अनुसार, बीईएसएस सहित ऊर्जा भंडारण प्रणालियों की स्थापित क्षमता 2031-32 तक 74 गीगावाट होने का अनुमान है।
सीईए, सीडब्ल्यूसी, जीएसआई, सीएसएमआरएस, एमओईएफ और हाइड्रो पीएसपी डेवलपर्स के सहयोग से मिशन मोड में इस लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करेगा।