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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) पर्वतारोहण अभियान दल को सम्मानित किया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) पर्वतारोहण अभियान दल को सम्मानित किया, जिसमें औसतन 19 वर्ष की आयु के पांच लड़कियां और पांच लड़के शामिल थे, जिन्होंने 18 मई, 2025 को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। रक्षा मंत्री ने कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में टीम के साहस, धैर्य और देशभक्ति का सम्मान करते हुए कठिन परिस्थितियों में यह उपलब्धि हासिल करने के लिए उन्‍हें 10 लाख रुपये का चेक प्रदान किया।

नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कैडेटों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्‍होंने अभियान के दौरान अपने कठोर प्रशिक्षण, सावधानीपूर्वक योजना तथा सामने आई चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया। रक्षा मंत्री ने साहस, अनुशासन, दृढ़ता, लचीलापन और धैर्य के लिए पूरी टीम की सराहना की।

राजनाथ सिंह ने कैडेटों को युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बताया और कहा कि इस अभियान के साथ बहादुर कैडेटों ने यह संदेश दिया है कि देश के युवाओं के लिए दुनिया की सबसे ऊंची चोटी भी कोई मायने नहीं रखती। उन्होंने विश्वास जताया कि कैडेट भविष्य की चुनौतियों का सामना उसी साहस और दृढ़ संकल्प के साथ करेंगे, जैसा उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के दौरान दिखाया।

रक्षा मंत्री ने कैडेटों में राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा करने तथा उन्हें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने और उनके सामाजिक कौशल विकसित करके उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में एनसीसी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कैडेटों के परिवार के सदस्यों की भी सराहना की जिन्होंने इस प्रयास में उनका साथ दिया। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में एनसीसी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह भी शामिल थे।

यह उपलब्धि एनसीसी द्वारा एवरेस्ट अभियान का तीसरा सफल अभियान है। इससे पहले उसने 2013 और 2016 में भी इसी तरह की उपलब्धियां हासिल कीं। अभियान दल में 10 कैडेट, अधिकारियों की एक टुकड़ी, जूनियर कमीशन प्राप्त अधिकारी, प्रशिक्षक और गैर-कमीशन अधिकारी शामिल थे। उल्‍लेखनीय है कि दल में सूबेदार मेजर बलकार सिंह शामिल थे, जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले भारतीय सेना के पहले सूबेदार मेजर थे। दल का युवा कैडेट सिर्फ़ 16 साल का था।

इस साहासिक अभियान को रक्षा मंत्री द्वारा औपचारिक रूप से 03 अप्रैल, 2025 को झंडी दिखाकर रवाना किया गया था। पूरे अभियान के दौरान दल ने सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल और परिचालन दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन किया तथा प्रत्येक चरण पर सभी सदस्यों की भलाई सुनिश्चित की।

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