रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने केरल के अलाप्पुझा जिले में विद्याधिराज विद्यापीठम सैनिक स्कूल का उद्घाटन किया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने केरल के अलाप्पुझा जिले में विद्याधिराज विद्यापीठम सैनिक स्कूल का उद्घाटन किया। यह स्कूल उन 100 नए सैनिक स्कूलों में से एक है, जिन्हें गैर सरकारी संगठनों/संस्थाओं/निजी स्कूलों/राज्य सरकार के विद्यालयों के साथ साझेदारी में क्रमबद्ध तरीके से स्थापित किया जा रहा है, इसके अलावा मौजूदा 33 सैनिक स्कूल पहले से ही पूर्ववर्ती पैटर्न के तहत शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि स्कूल विद्यार्थियों में अनुशासन, समर्पण, आत्म-नियंत्रण और राष्ट्र के प्रति सेवा के मूल्यों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि 100 नए सैनिक स्कूल स्थापित करने का उद्देश्य राष्ट्र के समग्र विकास के लिए बुनियादी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सैनिक स्कूल प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, जो सामान्य शिक्षा से भिन्न है। यहां छात्रों को शैक्षणिक व शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसका उद्देश्य बच्चों का शारीरिक, मानसिक एवं नैतिक विकास करना है। उन्होंने कहा कि इस पहल से सशस्त्र बलों में शामिल होने की इच्छा रखने वाले लोग आसानी से अपना लक्ष्य हासिल कर लेते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस प्रकार, “रक्षा’ एवं ‘शिक्षा’ का संगम राष्ट्र निर्माण के लिए निर्णायक भूमिका निभाता है।”
रक्षा मंत्री ने वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक भारतीय से देश के भविष्य को आकार देने, चुनौतियों पर काबू पाने और अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने के लिए एकजुट होने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान को दोहराया। उन्होंने कहा कि युवा भारत को विकासशील से विकसित राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
राजनाथ सिंह ने बताया, “ऐसा कहा जा रहा है कि 01 जनवरी, 2025 के बाद जन्म लेने वाले बच्चों को ‘बीटा जेनरेशन’ कहा जाएगा और उनमें नई चीजें तथा नई तकनीक सीखने की क्षमता अधिक होगी।” उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में, यह स्कूल बच्चों को भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए एक आधार प्रदान करेगा। रक्षा मंत्री ने कहा, “शिक्षा में उत्कृष्टता हासिल करके और चरित्र निर्माण करके, हमारे विद्यार्थी न केवल 21वीं सदी, बल्कि अगली सदी को भी नेतृत्व प्रदान करेंगे।”
रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ‘सैनिक’ शब्द न केवल योद्धा या युद्ध कला में निपुण होने का प्रतीक है; बल्कि यह इस तथ्य का भी प्रतीक है कि एक सैनिक में अनुशासन, समर्पण, आत्म-नियंत्रण व राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ सेवा जैसे कई गुण होते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद, आदि शंकराचार्य, श्री नारायण गुरु या राजा रवि वर्मा जैसे महान व्यक्तित्वों में यही गुण थे और सैनिक स्कूल समाज, विशेषकर युवाओं में इन मूल्यों को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार एक ऐसे भारत का निर्माण करने के लिए सैनिक स्कूलों की स्थापना कर रही है, जिसका नेतृत्व वे लोग करेंगे जो अपने पूर्वजों द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलेंगे, उनके गुणों को अपनाएंगे और पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन करेंगे। उन्होंने कहा कि स्कूल का नाम महान समाज सुधारक विद्याधिराज चट्टंबी स्वामी के नाम पर रखा गया है, जिनके कार्य एवं सामाजिक सुधार के प्रति उत्साह शिक्षा को आत्म-प्राप्ति और मातृभूमि की सेवा के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने की प्रेरणा के रूप में कार्य करते हैं। रक्षा मंत्री ने विद्यार्थियों में आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ सही मूल्यों को विकसित करने की दिशा में स्कूल प्रबंधन के प्रयासों की सराहना की।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सैनिक स्कूल न केवल समाज के सभी वर्गों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि लड़कियों को समान अवसर भी प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार का मानना है कि जब सैनिक स्कूल बच्चों के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं, तो बालिकाओं को पीछे नहीं छोड़ा जा सकता।” राजनाथ सिंह ने कहा कि एक तरफ जहां महिलाओं को सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सैनिक स्कूल भी बड़ी संख्या में महिलाओं को सेना में शामिल होने के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह भारत को सशक्त, देशभक्त, गौरवान्वित और अनुशासित युवा नागरिकों के साथ प्रस्तुत करने के हमारे दृष्टिकोण को साकार करेगा, जो पूरे राष्ट्र की संपत्ति हैं।
राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भरता के पथ पर भारत की तीव्र प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के सहयोग से स्वास्थ्य, संचार, उद्योग, परिवहन और रक्षा जैसे क्षेत्रों में नई ऊंचाइयां हासिल की जा रही हैं। रक्षा मंत्री ने सरकार के इस प्रयास को भी दोहराया कि भारत के युवा राष्ट्र के समग्र विकास को सुनिश्चित करते हुए अपनी आकांक्षाओं के अनुरूप जीवन में आगे बढ़ेंगे।